fbpx

Hanuman Ji : इन्होनें किये हनुमान जी के साक्षात दर्शन

Spread the love

Hanuman Ji : इन्होनें किये हनुमान जी के साक्षात दर्शन|

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट hanuman ji में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, हनुमान जी अष्ट सिद्धियों तथा नव निधियों के ज्ञाता हैं। अपनी इच्छानुसार वे कोई भी रूप धरकर समस्त संसार में विचरण करते हैं। प्र्भु श्रीराम के वरदान के अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें सायुज्य की प्राप्ति होगी तथा माता सीता के वरदान के फलस्वरूप वे चिरंजीवी रहेंगे। 

बजरंगबली को देवताओं के राजा इन्द्र से इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त हुआ था।  हनुमान जी आज भी अपने भक्तों की प्रत्येक परिस्थिति में सहायता करते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने रामभक्त हनुमान को साक्षात देखा है। इस पोस्ट में हम उन लोगों के बारे में चर्चा करेंगे जिन्होंने श्री पवनपुत्र का दर्शन साक्षात किया है। 

तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं –

Hanuman Ji : इन्होनें किये हनुमान जी के साक्षात दर्शन

 

भीम

भीम अपने बड़े भ्राता युधिष्ठिर की आज्ञा का पालन करते हुए ऋषि पुरुष मृगा को खोजने निकल पड़े। उन्हें खोजते हुए वे घने जंगलों में पहुंच गए। जंगल में चलते समय भीम को मार्ग में लेटे हुए एक वृद्ध वानर दिखाई दिये। ये और कोई नहीं स्वयं हनुमान जी थे जो परीक्षा लेने के उद्देश्य से वहां लेटे थे।

Hanuman Ji
भीम ने उनसे अपनी पूंछ रास्ते से हटाने के लिए कहा। तब वानर का वेष धारण किये हनुमान जी ने कहा कि वे वृद्ध हैं तथा पूंछ हटाने में अक्षम हैं अतः भीम स्वयं ही उनकी पूंछ हटाकर एक ओर रख दें।अपने बल के अहंकार से भरे भीम पूंछ को उठाना तो दूर हिला तक न सके। भीम को एहसास हो गया कि यह कोई साधारण वानर नहीं हैं, उन्होंने क्षमा प्रार्थना की तो हनुमान जी ने अपने दर्शन दिये।
Hanuman Ji

Also ReadHanuman Vadvanal Stotra: श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र

अर्जुन

एक दिन अर्जुन रामेश्वरम की ओर गये तो उनकी भेंट श्री हनुमान जी से हुई। रामसेतु को देखकर गर्व से भरे अर्जुन बोले यदि उस समय मैं यहां होता तो यह सेतु अपने बाणों से ही बना देता। यह सुनकर हनुमान जी बोले कि आपके बाणों से बना सेतु तो एक व्यक्ति का भी भार नहीं झेल सकता।

Hanuman Ji

यह सुनकर क्रोध से भरे अर्जुन बोले यदि मेरा बनाया सेतु आपके चलने से टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊँगा। हनुमान जी ने कहा मुझे चुनौती स्वीकार है। यदि मेरे दो चरण ही इसने झेल लिए तो मैं हार मान लूंगा। फिर क्या था अर्जुन ने अपने बाणों से कुछ ही क्षणों में सेतु बना दिया। हनुमान जी का पहला पग पड़ते ही सेतु डगमगाने लगा और क्षण भर में ही टूट गया।

अत्यंत ग्लानि से भरे अर्जुन अग्नि में प्रवेश की तैयारी करने लगे तभी वहां श्रीकृष्ण प्रकट हुये तथा बताया कि यह सारी लीला उन्होंने अर्जुन के गर्व को चूर करने के लिए रची थी। यह जानकर अर्जुन ने हनुमान जी तथा भगवान श्रीकृष्ण दोनों से क्षमा मांगी। हनुमान जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया तथा वचन दिया कि कुरुक्षेत्र के रण में वे उनके रथ की ध्वजा पर विराजमान रहेंगे तथा युद्ध के अंत तक उनकी रक्षा करेंगे।

Hanuman Ji

माधवाचार्य जी

Hanuman Ji

विख्यात संत माध्वाचार्य जी का जन्म 1238 ई0 में हुआ था इन्होंने हनुमान जी के साक्षात दर्शन किये थे। इन्होंने ब्रह्मसूत्र और 10 उपनिषदों की व्याख्या की है। हनुमान जी की तरह माध्वाचार्य भी प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे तथा अपने आश्रम में इन्होंने हनुमान जी के दर्शन की बात बताई थी। 79 वर्ष की अवस्था में ये ब्रह्म तत्व में विलीन हो गये।

Also ReadPashupati Vrat : पशुपति (पाशुपत) व्रत की महिमा | विधि तथा नियम | Katha | Aarti

तुलसीदास जी

पौराणिक कथाओं के अनुसार तुलसीदास जी जब चित्रकूट में रहा करते थे तब जंगल में शौच करने जाते थे और शौच के पश्चात जो जल शेष रह जाता था उसे वे एक शमी के वृक्ष की जड़ में डाल दिया करते थे। उस वृक्ष के उपर एक प्रेत रहता था। तुलसीदास जी के इस कार्य से वे प्रसन्न हो गया और उनके सामने प्रकट होकर उनसे कोई वर मांगने को कहा।

तुलसीदास जी बोले कि प्रभु श्रीराम के दर्शन के अतिरिक्त मेरी कोई और इच्छा नहीं है। इस पर प्रेत बोला कि मैं आपको स्वयं श्रीराम के दर्शन तो नहीं करा सकता किन्तु एक मार्ग बता सकता हूं। जिस स्थान पर भी हरि कथा होती है वहां श्री राम के परम भक्त श्री हनुमान जी रूप बदलकर अवश्य जाते हैं। मैं तुम्हें संकेत कर के बता दूंगा, वही तुम्हें प्रभु का दर्शन करा सकते हैं।

Hanuman Ji

एक दिन जब राम कथा में हनुमान जी एक कुष्ठ रोगी का रूप धरकर आये तो तुलसीदास जी ने प्रेत का इशारा समझकर उनके पैर पकड़ लिये। हनुमान जी ने उनकी भक्ति भावना देखकर प्रभु श्री राम के दर्शनों का वचन दे दिया।

एक दिन तुलसीदास जी मंदाकिनी के तट पर चंदन घिस रहे थे तब प्रभु राम बालरूप धारण कर उनसे चंदन मांग-मांगकर लगा रहे थे। तब हनुमान जी ने एक तोते का रूप धारण कर यह दोहा पढ़ा — ” चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर, तुलसीदास चंदन घिसें तिलक देत रघुबीर।यह सुनते ही तुलसीदास जी प्रभु श्री राम के चरणों में लोट गये। इस प्रकार उन्हें श्री राम तथा उनके परमभक्त श्री हनुमान जी, दोनों के दर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

बाबा नीब करौरी जी महाराज

इनका वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में इन विख्यात महात्मा का जन्म 1900 के आसपास हुआ था।  बाबा नीब करौरी ने साक्षात श्री हनुमान जी के दर्शन किये थे तथा देशभर में हनुमान जी के मंदिरों की स्थापना कराई। neem karoli baba

Hanuman Ji

वृंदावन में 11 सितंबर, 1973 को इन्होंने अपना शरीर त्यागा था। वृंदावन में इनका समाधि मंदिर है तथा नैनीताल के पास स्थित कैंची धाम में इनका भव्य मंदिर स्थित है। इनके भक्त इन्हें हनुमान जी का ही रूप मानते हैं।

समर्थ रामदास जी

समर्थ रामदास का जन्म जालना में हुआ था। वे हनुमानजी के परम भक्त तथा वीर शिवाजी के गुरु थे। महाराष्ट्र में इन्होंने रामभक्ति के साथ हनुमान भक्ति का भी जोर-शोर से प्रचार किया। इन्होंने वहां हनुमान मंदिरों के साथ अखाड़े बनवाये तथा सैनिकीकरण की नींव रखी। इन्हें भी हनुमान जी ने दर्शन दिये थे।

Hanuman Ji
कहते हैं जो हनुमान जी पर पूर्ण विश्वास तथा श्रृद्धा रखता है उसे वे कभी-न-कभी किसी-न-किसी रूप में अवश्य दर्शन देते हैं। ऐसे कई भक्त हैं जिन्होंने अपने अनुभवों में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्हें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में हनुमान जी ने दर्शन दिये हैं।

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

Hanuman Ji

Hanuman ji ki Aarti :श्री हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥

Hanuman Ji

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

॥ इति संपूर्णंम् ॥

कलियुग में तो वैसे भी हनुमान जी को जागृत देवता माना गया है। अतः हमें भी पूर्ण लगन तथा निष्ठा के साथ इनकी भक्ति करनी चाहिए तथा इनका आशीर्वाद प्राप्त कर अपना जीवन सफल कर लेना चाहिए। दोस्तों, आशा करते हैं कि आपको hanuman ji पोस्ट पसंद आई होगी।
कृपया पोस्ट को शेयर करें साथ ही हमारे ब्लॉग से जुड़े रहें। अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।

 


Spread the love