Hanuman Vadvanal Stotra : श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र
Table of Contents
Hanuman Vadvanal Stotra
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवंनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
भावार्थ — श्री हनुमान जी अतुलित बल के स्वामी हैं। वे स्वर्ण पर्वत सुमेरू के समान प्रकाशित हैं। श्री हनुमान जी दानव रूपी जंगल को समाप्त करने हेतु अग्नि के समान हैं, समस्त ज्ञानियों में अग्रगण्य अर्थात ज्ञानियों के भी ज्ञानी हैं। समस्त गुणों के स्वामी तो हैं ही वे वानरों के भी प्रमुख हैं। ऐसे रघुपति प्रभु राम जी के अत्यंत प्रिय तथा वायुपुत्र श्री हनुमान जी को मैं प्रणाम/नमन करता हूं।
नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट hanuman vadvanal stotra में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, श्री हनुमान जी सर्वगुण संपन्न हैं वे महाबलशाली तो हैं ही , अथाह ज्ञान तथा वीरता के भण्डार भी हैं। वे प्रभु श्रीराम तथा माता सीता के अत्यंत प्रिय हैं यही कारण है कि बजरंगबली की पूजा करने साधक को सहज ही इनके साथ-साथ श्रीराम जी तथा माता सीता का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
दोस्तों, आज की पोस्ट में हम इन्हीं अंजनिसुत के एक अत्यंत प्रभावी श्री हनुमत वाडवानल स्तोत्र के बारे में जानेंगे। ऐसी मान्यता है कि शुद्ध हृदय तथा पूरे विधि-विधान के साथ इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक की समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती हैं तथा हनुमान जी प्रत्येक क्षण उसके साथ रहकर उसकी रक्षा करते हैं।
आज हम इसी स्तोत्र का पाठ करेंगे। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।
विभीषण ने की Hanuman Vadvanal Stotra स्तोत्र की रचना
जब हनुमानजी लंका का दहन कर रहे थे तब उन्होंने अशोक वाटिका को इसलिए नहीं जलाया, क्योंकि वहां सीताजी को रखा गया था। दूसरी ओर उन्होंने विभीषण का भवन इसलिए नहीं जलाया, क्योंकि विभीषण के भवन के द्वार पर तुलसी का पौधा लगा था । साथ ही निवास स्थान पर भगवान विष्णु का पावन चिह्न शंख, चक्र और गदा भी बना हुआ था। सबसे सुखद तो यह था कि उनके घर के ऊपर “राम” नाम अंकित था। यह सब देखकर हनुमानजी ने उनके भवन को नहीं जलाया।
विभीषण जी ने श्री हनुमान जी की वीरता एवं प्रभु श्री राम व माता सीता के प्रति अनन्य भक्ति से प्रभावित होकर हनुमान जी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की है। विभीषण द्वारा रचित इसी रचना को “श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र” के नाम से जाना जाता है।
Hanuman Vadvanal Stotra : श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र प्रारंभ
विनियोग
ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः,
श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं,
मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे
सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम्
आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं
श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये।
hanuman vadvanal stotra
ध्यानं
मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम
सकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितय
वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र
उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र
अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार
सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार-ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद
सर्व-पाप-ग्रह-वारण-सर्व-ज्वरोच्चाटन डाकिनी-शाकिनी-विध्वंसन
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख
निवारणाय ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन
भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर
चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर,
माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस
भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां
ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं
ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां
शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर
आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय
शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय
प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन
परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु
शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय
नागपाशानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटकालियान्
यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते
राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र
पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय
नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा।
॥ इति विभीषणकृतं हनुमद् वडवानल स्तोत्रं सम्पूर्णम॥
Hanuman Vadvanal Stotra : विधि:-
सरसों के तेल का दीपक जलाकर इस स्तोत्र का 108 बार नित्य 41 दिन तक पाठ करने पर सभी बाधाओं का शमन होकर अभीष्ट कार्य की सिद्धि होती है।
Hanuman Vadvanal Stotra Benefits – हनुमान वडवानल स्तोत्र के लाभ
1- श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक स्तोत्र है।
2- इस स्रोत का जाप करने से भय से मुक्ति मिलती है।
3- स्रोत को हृदय में धारण करने वाला साधक निर्भय हो जाता है तथा शरणागत की रक्षा करने में भी सक्षम हो जाता है।
4- मंगल तथा शनिवार को इस स्तोत्र का पाठ विशेष फल प्रदान करने वाला होता है।
5- जो साधक प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक इसका जाप करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
6- निरंतर इसका पाठ करने वाले साधक पर जादू-टोना, तंत्र-मंत्र आदि नकारात्मक शक्तियां का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
7- चोला अर्पित करके चरणों में बैठकर जो कोई इस स्रोत का पूरी निष्ठा के साथ इस पाठ करता है वह हनुमान जी का विशेष कृपा पात्र बन जाता है।
॥ इति ॥
दोस्तों, आपको hanuman vadvanal stotra पोस्ट कैसी लगी कृपया हमें कमेंट करके जरूर बतायें। आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं। यदि पोस्ट आपको पसंद आई हो तो कृपया अधिक-से-अधिक शेयर करें जिससे अन्य लोग भी इस धार्मिक जानकारी का लाभ उठा सकें। आपका अमूल्य समय हमें देने के लिए धन्यवाद, आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
नमस्कार दोस्तों, मैं सुगम वर्मा (Sugam Verma), Jagurukta.com का Sr. Editor (Author) & Co-Founder हूँ । मैं अपनी Education की बात करूँ तो मैंने अपनी Graduation (B.Com) Hindu Degree College Moradabad से की और उसके बाद मैने LAW (LL.B.) की पढ़ाई Unique College Of Law Moradabad से की है । मुझे संगीत सुनना, Travel करना, सभी तरह के धर्मों की Books पढ़ना और उनके बारे में जानना तथा किसी नये- नये विषयों के बारे में जानकारियॉं जुटाना और उसे लोगों के साथ share करना अच्छा लगता है जिससे उस जानकारी से और लोगों की भी सहायता हो सके। मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आशा है आप हमारी पोस्ट्स को अपने मित्रों एवं सम्बंधियों के साथ भी share करेंगे। और यदि आपका कोई question अथवा सुझाव हो तो आप हमें E-mail या comments अवश्य करें।