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Panchmukhi Hanuman Kavach : श्री पंचमुख हनुमत कवच हिंदी अर्थ सहित

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श्री Panchmukhi Hanuman Kavach : श्री पंचमुख हनुमत कवच हिंदी अर्थ सहित PANCHMUKH

 

Panchmukhi Hanuman Kavach

HANUMAN KAVACHA IN HINDI MEANING

पंचमुखी हनुमान कवच Panchmukhi Hanumat/Hanuman Kavach:

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Panchmukhi Hanuman Kavach में आपका हार्दिक स्वागत है। आज की पोस्ट में हम बात करेंगे पंचमुखी हनुमान कवच के बारे में। दोस्तों, किसी भी प्रकार का कवच धारण करने से मनुष्य के भीतर एक आत्मविश्वास रहता है। प्राचीन समय में जब राजा-महाराजा युद्ध लड़ने जाते थे तो वे भी कवच धारण करते थे जिससे कि युद्ध के समय अस्त्र तथा शस्त्रों का उन पर कम से कम प्रभाव पड़े।

Panchmukhi Hanuman Kavach

श्री हनुमान कवच एक ऐसा ही अत्यंत प्रभावशाली कवच है जिसे धारण करने से जातक सर्वत्र विजयी होता है तथा किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति उसका अहित नहीं कर सकती। इस कवच को धारण करने से मनुष्य पर किसी भी तांत्रिक प्रभाव, जादू-टोना आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा वह निर्भय होकर प्रत्येक स्थान पर विचरण करता है।

शास्त्रों में इस कवच के सीधे लाभ नहीं बताये गए हैं लेकिन यह सत्य है की इस कवच के पाठ से श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। यदि कोई काला जादू करे तो भी यह कवच आपकी उससे रक्षा कारण में सक्षम है। इस पोस्ट में हम कवच, कवच के लाभ आदि रोचक जानकारी प्राप्त करेंगे तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।

 

पंचमुखी हनुमान जी  की कथा : Story of Panchmukhi Hanumat Kavach

 

shri panchmukhi hanuman kavach stotra

 

हनुमान जी ने पंचमुखी स्वरूप क्यों धारण किया, आईये  जानें इसके पीछे की कहानी। श्री राम—रावण के युद्ध के समय की बात है, रावण के आदेश पर अहिरावण प्रभु श्री राम तथा लक्ष्मण जी का अपहरण करके उन्हें पाताल लोक में ले गया।

जब श्री हनुमान जी को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने पाताल लोक में पाया की अहिरावण का जीवन पाँच दीपकों में छिपा हुआ है और अहिरावण को यह वरदान प्राप्त था की यदि एक ही समय पर इन पाँचों दीपकों को बुझा दिए जाएगा जो की अलग–अलग दिशाओं में रखे हुए थे तो ही उसे समाप्त किया जा सकता है।

 

Panchmukhi Hanuman Kavach
Panchmukhi Hanuman Kavach

अहिरावण को मारने के लिए श्री हनुमान जी प्रकट हुए और उन्होंने वहाँ पांच अवतार लिए जो कि इस प्रकार हैं — हयग्रीव, नरसिंह, गरुड़, वराह व हनुमान जी। इसके उपरान्त श्री हनुमान जी अलग–अलग दिशाओं में गए और अहिरावण को समाप्त कर दिया।

श्री पंचमुख हनुमत कवच प्रारम्भ : Panchmukh Hanuman Kavach Hindi Meaning

 

Panchmukhi Hanuman Kavach in hindi

 

अथ श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचम्

श्री गणेशाय नम:।

ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषि:।
गायत्री छंद:। पञ्चमुख-विराट् हनुमान् देवता। ह्रीम् बीजम्।
श्रीम् शक्ति:। क्रौम् कीलकम्। क्रूम् कवचम्।
क्रैम् अस्त्राय फट् । इति दिग्बन्ध:।

भावार्थ :— इस पंचमुख हनुमत कवच स्तोत्र के ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद गायत्री है, देवता पंचमुख विराट हनुमानजी हैं, ह्रीम् बीज मन्त्र है, श्रीम् शक्ति है, क्रौम् कीलक है, क्रूम् कवच है और ‘ क्रैम् अस्त्राय फट् ’ मन्त्र दिग्बन्ध हैं।

श्री गरुड़ उवाच

Panchmukhi Hanuman Kavach

अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर,
यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत: प्रियम् ॥

भावार्थ :— गरुड़जी ने उद्घोष किया हे सर्वांगसुंदर, देवाधिदेव के द्वारा, उन्हें प्रिय रहने वाले जो हनुमानजी का ध्यान लगाते हैं, मैं उनके नाम का सुमिरण करता हूँ। मैं उनका ध्यान करता हूँ जिन्होंने आपको बनाया है।

पञ्चवक्त्रं महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्,
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।।

भावार्थ :— श्री हनुमान जी पाँच मुख वाले, अत्यन्त विशालकाय, पंद्रह नेत्र (त्रि-पञ्च-नयन) धारी हैं, श्री हनुमान जी दस हाथों वाले हैं, वे सकल काम एवं अर्थ इन पुरुषार्थों की सिद्धि कराने वाले देव हैं। भाव यह है की श्री हनुमान जी पाँच मुख वाले, पंद्रह नेत्र धारी और दस हाथों वाले हैं जो सभी कार्यों को सिद्ध करते हैं।

Panchmukhi Hanuman Kavach

पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्,
दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्॥

भावार्थ :— श्री हनुमान जी का मुख सदा ही पूर्व दिशा की ओर रहता है, यह पूर्व मुखी हैं। श्री हनुमान जी वानर मुखी हैं इनका तेज करोड़ों सूर्य के समतुल्य है। श्री हनुमान जी के मुख पर विशाल दाढ़ी है और इनकी भ्रकुटी टेढ़ी है। 

अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्,
अत्युग्रतेजोवपुषं भीषणं भयनाशनम् ॥

भावार्थ :— श्री हनुमान जी की देह दक्षिण दिशा में देखने वाली है और इनका मुख सिंह मुखी है जो अत्यंत ही दिव्य और अद्भुत है। श्री हनुमान जी का मुख भय को समाप्त करने वाला तथा शत्रुओं के लिए भय पैदा करने वाला है।

Panchmukhi Hanuman Kavach

पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्,
सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्॥

भावार्थ :— श्री हनुमान जी का जो मुख पश्चिम दिशा में देखने वाला है वह गरुड़ मुख है और वह मुख अत्यंत ही बलवान और सामर्थ्यशाली है। यह विष एवं भूतादि बाधाओं को (समस्त बाधाओं को ) दूर करने वाला  है। 

उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दीप्तं नभोपमम्
पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्,

भावार्थ :— श्री हनुमान जी का उत्तर दिशा में देखने वाला मुख वराहमुख (आगे की ओर निकला हुआ) है। वराह्मुखी श्री हनुमान जी कृष्ण वर्ण के हैं और उनकी तुलना आकाश से की जा सकती है। श्री हनुमान जी पाताल वासियों के प्रमुख बेताल और भूलोक के कष्ट हरने वाले हैं। बिमारियों और ज्वर को समूल नष्ट करने वाले ऐसे वराहमुख हनुमान जी हैं।

 

Panchmukhi Hanuman Kavach

 

ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्।
येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासुरम् ॥

जघान शरणं तत्स्यात्सर्वशत्रुहरं परम्।
ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम् ॥

भावार्थ :— ऊर्ध्व दिशा मुखी हनुमान जी दानवों का नाश करने वाले हैं। हे हनुमान जी ! (वीपेंद्र) आप गायत्री के उपासक हैं तथा असुरों का नाश करने वाले हैं। हमें ऐसे पंचमुखी हनुमान जी की शरण में रहना चाहिए। श्री हनुमान जी रूद्र और दयानिधि हैं इनकी शरण में हमें रहना चाहिए। श्री हनुमान जी अपने भक्तों के लिए दयालु और शत्रुओं का नाश करने वाले हैं।

 

Panchmukhi Hanuman Kavach

 

खड़्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशमङ्कुशपर्वतम् ।
मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुम् ॥

भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुङ्गवम्।
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्॥

भावार्थ :— श्री पंचमुख हनुमान जी अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल तथा खडग धारण करते हैं। श्री हनुमान जी के हाथों में तलवार, त्रिशूल, खट्वाङ्ग नाम का आयुध, पाश, अंकुश, पर्वत है साथ ही इन्होंने मुष्टि नाम का आयुध, कौमोदकी गदा, वृक्ष और कमंडलु को भी धारण कर रखा है।

श्री हनुमान जी ने भिंदिपाल (लोहे से बना एक प्रकार का अस्त्र) धारण कर रखा है। श्री हनुमान जी का दसवां शस्त्र ज्ञान मुद्रा है।

प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम्।
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्॥

भावार्थ :— श्री हनुमान जी प्रेतासन पर बैठे हैं तथा उन्होंने समस्त आभूषण धारण कर रखें हैं, श्री हनुमान जी ने दिव्य मालाएं ग्रहण की हैं जो आकाश के समान हैं और यह दिव्य गंध का लेप समस्त बाधाओं को दूर करने वाला है।

Panchmukhi Hanuman Kavach

सर्वाश्‍चर्यमयं देवं हनुमद्विश्‍वतो मुखम् ॥
पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं

शशाङ्कशिखरं कपिराजवर्यम्।
पीताम्बरादिमुकुटैरुपशोभिताङ्गं
पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि॥

भावार्थ :— हनुमान जी समस्त आश्चर्यों से भरे हुए हैं तथा विश्‍व में सर्वत्र जिन्होंने मुख किया है, ऐसे ये पंचमुखी-हनुमानजी हैं और ये पॉंच मुख (पञ्चास्य), अच्युत और अनेक अद्भुत वर्णयुक्त (रंगयुक्त) मुख धारण करने वाले हैं।

Panchmukhi Hanuman Kavach

 

शिवजी के अवतार होने के कारण हनुमान जी ने चन्द्रमा को अपने शीश पर धारण कर रखा है और सभी कपियों में सर्वश्रेष्ठ रहने वाले, ऐसे ये हनुमानजी हैं। श्री हनुमान जी पीतांबर, मुकुट आदि से सुशोभित हैं। श्री हनुमान जी पिङ्गाक्षं, आद्यम् और अनिशं हैं। ऐसे इन पंचमुख-हनुमानजी का हम अपने मन में स्मरण करते हैं।

मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम्।
शत्रुं संहर मां रक्ष श्रीमन्नापदमुद्धर॥

भावार्थ :— श्री हनुमान जी वानरों में श्रेष्ठ तथा प्रचंड तो हैं ही साथ ही अत्यधिक उत्साही भी हैं। श्री हनुमान जी आप शत्रुओं का नाश करने वाले हैं। हे कपियों में श्रेष्ठ श्रीमन् पंचमुख-हनुमानजी, कृपया मेरे शत्रुओं का संहार कीजिए तथा प्रत्येक संकट से मेरा उद्धार कीजिए।

 

Panchmukhi Hanuman Kavach

 

ॐ हरिमर्कट मर्कट मन्त्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले।
यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुञ्चति मुञ्चति वामलता॥
ॐ हरिमर्कटाय स्वाहा।

भावार्थ :— महाप्राण हनुमानजी के बाँये पैर के तलवे के नीचे ‘ॐ हरिमर्कटाय स्वाहा’ लिखने से  केवल शत्रु का ही नहीं बल्कि शत्रुकुल का भी नाश हो जाता है। श्री हनुमान जी वामलता को यानी दुरितता को, तिमिर प्रवृत्ति को हनुमानजी समूल नष्ट कर देते हैं और ऐसे एक बदन को स्वाहा कहकर नमस्कार किया है।

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय पूर्वकपिमुखाय
सकलशत्रुसंहारकाय स्वाहा।

भावार्थ :—  सकल शत्रुओं का संहार करने वाले पूर्वमुख को, कपिमुख को, भगवान श्री पंचमुख-हनुमानजी को मेरा नमन है।

Panchmukhi Hanuman Kavach

 

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय
नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाहा।

भावार्थ :—  दुष्प्रवृत्तियों के प्रति भयानक  (करालवदनाय), सारे भूतों का उच्छेद करने वाले, दक्षिणमुख को, नरसिंहमुख को, भगवान श्री पंचमुख-हनुमानजी को मेरा नमस्कार है।

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय पश्चिममुखाय
गरुडाननाय सकलविषहराय स्वाहा।

भावार्थ :— सारे विषों का हरण करने वाले पश्‍चिम मुख को, गरुडमुख को, भगवान श्री पंचमुख-हनुमानजी को मेरा नमस्कार है।

Panchmukhi Hanuman Kavach

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय उत्तरमुखाय
आदिवराहाय सकलसंपत्कराय स्वाहा।

भावार्थ :— सकल संपदाएँ प्रदान करने वाले उत्तरमुख को, आदिवराहमुख को, भगवान श्री पंचमुख-हनुमान जी को मेरा नमस्कार है।

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय ऊर्ध्वमुखाय
हयग्रीवाय सकलजनवशकराय स्वाहा।

भावार्थ :— सकल जनों को वश में करने वाले, ऊर्ध्वमुख को, अश्‍वमुख को, भगवान श्री पंचमुख-हनुमानजी को मेरा नमस्कार है।

ॐ श्रीपञ्चमुखहनुमन्ताय आञ्जनेयाय नमो नम:॥

भावार्थ :— आञ्जनेय श्री पञ्चमुख-हनुमानजी को पुन: मेरा नमस्कार है।

Panchmukhi Hanuman Kavach || पंचमुखी हनुमान कवच ||

 

इस प्रकार करें पंचमुख हनुमत कवच का पाठ  : Panchmukhi Path Karne Ki Vidhi

Panchmukhi Hanuman Kavach

Panchmukhi Hanuman Kavach

 

श्री पंचमुख हनुमत कवच अनेकों असाध्य कार्यों को भी पूर्ण करने में उपयोगी है। इस कवच shri panchmukhi hanuman kavach stotra में हमें श्री हनुमान जी के वीर भाव तथा रौद्र रूप के बारें में वर्णन प्राप्त होता है यद्यपि हम श्री हनुमान जी को श्री राम जी के दास रूप में ज्यादा पहचानते हैं। इस कवच के पाठ के सख्त नियम हैं जिन्हे आप अपने गुरु के सानिध्य से प्राप्त कर सकते हैं।

• प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएँ ।

• इसके उपरान्त लाल आसन पर बैठकर अपने सामने हनुमान जी की मूर्ति को रखें।

• पाठ करने से पूर्व श्री राम और हनुमान जी का स्मरण करें।

• श्री हनुमान जी को सिन्दूर, चोला, पुष्प, धूप-दीप तथा जनेऊ अर्पित करें तथा इसके उपरांत ही कवच का पाठ शुरू करें।

पंचमुख हनुमत कवच के लाभ : Panchmukhi Hnuman Kavach Benefits

Panchmukhi Hanuman Kavach

पंचमुखी हनुमत कवच के निम्न लाभ होते हैं –

• शत्रु की बुरी नजर से मुक्ति प्राप्त होती है।

• भूत–प्रेत तथा नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है।

• इस कवच को शोकनाशक भी कहा जाता है क्योंकि इससे समस्त प्रकार की चिंताएं दूर होती है।

• इस कवच से किसी भी प्रकार के अनिष्ट का भय दूर होता है।

• काले जादू और टोटकों के प्रभाव से व्यक्ति को मुक्त करता है।

• कुण्डली में स्थित समस्त प्रकार के राहु–केतु आदि दोषों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

 

Panchmukhi Hanuman Kavach

 

पञ्चमुख हनुमंत कवच कोई सामान्य स्त्रोत नहीं है अपितु दिव्य प्रभाव वाला एक ऐसा कवच है जो असामान्य तांत्रिक शक्तियाँ भी प्रदान करता है।

 ऐसी मान्यता है की रावण से युद्ध के दौरान प्रभु श्रीराम ने भी इस कवच का पाठ किया था ताकि वे युद्ध में रावण पर विजय प्राप्त कर सकें।

॥ इति ॥

दोस्तों, आशा करते हैं कि आपको आज की पोस्ट Panchmukhi Hanuman Kavach पसंद आई होगी। यदि आपके कुछ सुझाव हों तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बतायें साथ ही पोस्ट को शेयर करें जिससे आपके मित्रगण व सम्बन्धि भी इस ज्ञानवर्धक तथा आध्यात्मिक जानकारी का लाभ उठा सकें। धन्यवाद, आपका दिन शुभ तथा मंगलमय हो।


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