Hanuman : 11 मुखी हनुमान जी के चमत्कारी स्वरूप की कथा
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नमस्कार दोस्तों, हमारे ब्लॉग पोस्ट hanuman में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, आज की पोस्ट में हम चर्चा करेंगे श्री हनुमान जी के 11 स्वरूपों के बारे में। हनुमान जी की पूजा दुनिया के कई देशों में बड़े श्रद्धा भाव के साथ की जाती है। श्रीलंका, मारीशस तथा इंडोनेशिया आदि देश इन में प्रमुख हैं। वीर हनुमान, स्वामी भक्त हनुमान, सखा हनुमान तथा पंचमुखी हनुमान आदि स्वरूपों में इनकी आराधना हम सभी करते हैं।
इसी क्रम में आज हम बजरंगबली के 11 मुखी स्वरूप के बारे में विस्तार से जानेंगे। हनुमान जी ने यह स्वरूप क्यों अपनाया इसके पीछे का कारण आदि प्रश्नों के उत्तर हम इस पोस्ट में जानेंगे तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।
hanuman : हनुमान जी के 11 मुखी स्वरूप की कथा
पवनपुत्र हनुमान जी के ग्यारहमुखी रूप लेने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। बताया जाता है कि प्राचीन काल में ग्यारह मुख वाला एक शक्तिशाली राक्षस हुआ करता था, जिसका नाम कालकारमुख था। उसने एक समय भगवान ब्रह्मा जी को अपने कठोर तप से प्रसन्न कर मनचाहा वरदान मांग लिया । उसने कहा, आप मुझे कुछ ऐसा वर दीजिए की जो भी मेरी जन्मतिथि पर ग्यारह मुख धारण करे, वही मेरा अंत करने में सक्षम हो।
ब्रह्मा जी ने कालकारमुख को ये वरदान दे दिया। इस वरदान को पाकर कालकारमुख ने सभी लोकों में आतंक मचा रखा था । उसके आतंक से परेशान सभी देवों ने श्री हरि विष्णु के कहने पर भगवान श्री राम से इस मुश्किल घड़ी से सभी को निकालने की विनती की। प्रभु श्री राम ने देवताओं से कहा कि इस संकट से आपको सिर्फ हनुमान जी ही निकाल सकते हैं।hanuman
कथा के अनुसार, प्रभु श्री राम की आज्ञा से हनु्मान जी ने चैत्र पूर्णिमा के दिन 11 मुखी रुप ग्रहण किया, जो राक्षस कालकारमुख की जन्मतिथि थी। जब असुर कालकारसुर को इसका पता चला तो वह हनुमान जी का वध करने के लिए सेना के साथ निकल पड़ा। कालकारमुख को देखकर हनुमान जी क्रोधित हो गए और उन्होंने क्षणभर में ही उसकी सेना को नष्ट कर दिया।
फिर हनुमान जी ने कालकारमुख की गर्दन पकड़ी और उसे बड़ी वेग से आकाश में ले गए, जहां उन्होंने कालकारसुर का वध कर दिया।
11 मुखी हनुमान जी का स्वरूप
1- पूर्व मुखी हनुमान
पूर्व की ओर मुख वाले बजरंगबली को वानर रूप में पूजा जाता है। श्री हनुमान जी के इस रूप को बेहद शक्तिशाली तथा करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के लिए बजरंगबली जाने जाते हैं। यदि आप पर भी शत्रु हावी हो रहे हों तो पूर्वमुखी हनुमान जी की पूजा शुरू कर दें कुछ ही दिनों में आप अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लेंगे।
2- पश्चिम मुखी हनुमान
पश्चिम की ओर मुख वाले हनुमानजी को गरुड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप को संकटमोचन स्वरूप भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी के पति भगवान श्री हरि विष्णु का वाहन गरुड़ को अमरता का वरदान प्राप्त है। उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। माता सीता ने उन्हें अमर रहने का वरदान प्रदान किया था। कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।
3- उत्तरमुखी हनुमान
उत्तर दिशा की ओर मुख वाले हनुमान जी का स्वरूप की पूजा शूकर के रूप में होती है। ध्यान देने योग्य है कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा हेती है। यह दिशा देवताओं की दिशा होने के कारण अत्यंत शुभ तथा मंगलकारी है। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त भी बनाती है।
4- दक्षिण मुखी हनुमान
दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नृसिंह का रूप माना जाता है। यह अवतार श्री विष्णु ने अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिये धारण किया था। इसके साथ ही दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता यमराज की भी मानी जाती है। इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से मनुष्य को शोक, डर, चिंता तथा सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।
5- उर्ध्वमुखी हनुमान
इस ओर मुख किए हनुमान जी को उर्ध्वमुख रूप यानी घोड़े के रूप में माना गया है। इस स्वरूप की पूजा करने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरूप को भगवान ने ब्रह्माजी के कहने पर धारण किया था तथा हयग्रीव नामक दैत्य जिसका स्वरूप घोड़े के समान ही था उसका संहार किया था hanuman
6- पंचमुखी हनुमान
हनुमान जी की पांच रूपों में पूजा की जाती है। इसमें प्रत्येक मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। रावण ने जब छल से राम लक्ष्मण को बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था। पांच दीये एक साथ बुझाने पर ही श्रीराम-लक्ष्मण मुक्त हो सकते थे इसलिए भगवान ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख में विराजते हैं।
7- एकादशी हनुमान
श्री हनुमान जी का ये रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है। एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का 11 वां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख नाम के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रूप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है।
8- वीर हनुमान
हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा उनके भक्त साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हैं। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात जो भगवान श्रीराम के काज को संवार सकते हैं वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।
9- भक्त हनुमान
भगवान का यह स्वरूप श्री राम जी के भक्त का है। इनकी पूजा करने से बजरंगबली के आशीर्वाद के साथ ही आपको भगवान श्रीराम का भी आशीर्वाद मिलता है। बजरंगबली की पूजा सभी अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एकाग्रता और भक्ति की भावना जागृत होती है।
10- दास हनुमान
बजरंगबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजा करने वाले भक्तों को धर्म कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्पण का भाव भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।
11- सूर्यमुखी हनुमान
यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। अपने बाल्यकाल में हनुमान जी से सूर्य भगवान से ही शिक्षा ग्रहण की थी इसी कारण सूर्यदेव बजरंबली के गुरु माने जाते हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खुलता है क्योंकि सूर्यदेव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।
सियापति रामचंद्र की जय
पवनसुत हनुमान की जय॥
॥ इति ॥
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