Panchmukhi hanuman : पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुखों का रहस्य
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Panchmukhi Hanuman
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामाग्रगण्यम।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Panchmukhi hanuman में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, श्री रामभक्त हनुमान जी कलियुग में एक जागृत देवता माने जाते हैं। बजरंगबली को यह आशीर्वाद प्राप्त है कि ये चारों युगों अर्थात सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग में पृथ्वी पर विचरण करते रहेंगे तथा जनमानस के पूज्य रहेंगे।
कहा जाता है कि स्वयं माता सीता ने सदैव अजर तथा अमर रहने का वरदान इन्हें दिया है। panchmukhi hanuman पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से साधक को चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं। आज की पोस्ट में हम श्री हनुमान जी के इन्हीं पंचमुखों पर प्रकाश डालेंगे। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।
Panchmukhi hanuman : पंचमुखी हनुमान जी के स्वरूप का वर्णन
हनुमान जी के पांचों मुखों का अति सुंदर वर्णन श्रीविद्यार्णव तन्त्र में इस प्रकार किया गया है –
” पंचवक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम।
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकाम्यार्थ सिद्धिदम्”।।
भावार्थ – विराट्स्वरूप धारण करने वाले हनुमान जी के पांच मुख, पंद्रह नेत्र तथा दस भुजायें हैं। इन दस भुजाओं में इन्होंने दस आयुध अर्थात अस्त्र -शस्त्र धारण किये हैं ये आयुध निम्नलिखित हैं –
1. खड्ग
2. त्रिशूल
3. खटवांग
4. पाश
5. अंकुश
6. पर्वत
7. स्तम्भ
8. मुष्टि
9. गदा
10. वृ़क्ष की डाली।
अब बात करते हैं श्री हनुमान जी के पांचों मुखों के बारे में।
पूर्व दिशा की ओर मुख
Panchmukhi hanuman ji हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर जो मुख है वह वानर का है तथा इस मुख की प्रभा कोटि सूर्य अर्थात करोड़ों सूर्यों के प्रकाश के बराबर है। यह मुख विकराल दाढ़ों वाला है तथा मुख की भृकुटियां अर्थात भौंहे चढ़ी हुई हैं। इस मुख के दर्शन से मनुष्य तेजस्वी बनता है। यह बजरंगबली के क्रोध को दर्शाता है।
पश्चिम दिशा की ओर मुख
अजनी नंदन का यह मुख भगवान श्री हरि विष्णु के वाहन गरुड़ के स्वरूप वाला है। गरुड़ के समान ही इसकी चोंच टेढ़ी है। यह स्वरूप सांपों के भय का नाश करने वाला तथा बुरी आत्माओं से रक्षा करने वाला है। इस मुख के दर्शन से मनुष्य के समस्त रोगों का नाश हो जाता है।
उत्तर दिशा की ओर मुख
यह मुख वाराह (शूकर) के स्वरूप वाला है यह रूप आकाश में छाये बादलों की भांति कृष्णवर्ण है। इस मुख के दर्शन से पाताल में रहने वाले जीवों के साथ-साथ सिंह तथा वेताल के भय से मुक्ति मिलती है।
दक्षिण दिशा की ओर मुख
श्री हनुमान जी का यह मुख भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार नृसिंह का है। यह मुख अत्यंत उग्र तेज वाला तथा भयानक है। जिस प्रकार नृसिंह भगवान ने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी उसी प्रकार यह स्वरूप शरण में आये हुये भक्तों की सदैव रक्षा करता है Panchmukhi hanuman।
आकाश की ओर मुख
यह मुख हयग्रीव ( घोड़े ) का है जो असुरों का संहार करने वाला है। इस मुख के द्वारा ही हनुमान जी ने तारक नामक एक भयानक महादैत्य का वध किया तथा संसार की रक्षा की थी।
Panchmukhi hanuman : पंचमुखी हनुमान में समाई हैं भगवान शिव की पांच अवतारों की शक्तियां
दोस्तों, हमें ज्ञात है कि भगवान शंकर के पांच मुख हैं जो निम्न हैं –
तत्पुरुष
वामदेव
अघोर
ईशान।
इसी प्रकार शंकर जी के 11वें रुद्रावतार वाले श्री हनुमान जी के भी पांच मुख हैं। भगवान शिव का अवतार होने के कारण ही शिवजी की शक्ति भी हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप में समाई हुई है।
श्री रामभक्त हनुमान तथा श्री विष्णु भक्त गरुड़ के बीच क्या हैं समानता ?
दोस्तों, जिस प्रकार हनुमान जी सदैव ही अपने ईष्ट श्री राम की सेवा में लगे रहते हैं ठीक उसी प्रकार गरुड़ भी अपने आराध्य श्री विष्णु की सेवा में लगे रहते हैं।
हनुमान जी के कंधे पर श्रीराम तथा लक्ष्मण बैठते हैं तो वहीं गरुड़ जी की पीठ पर श्री हरि विष्णु माता लक्ष्मी सहित विराजमान रहते हैं।
गरूड़ जी अपनी माता विनता के लिए स्वर्ग से अमृत लेकर आये थे तो वहीं हनुमान जी श्री लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा हेतु संजीवनी बूटी लेकर आये थे।
Panchmukhi hanuman Mantra : पंचमुखी हनुमान जी का ध्यान मंत्र
पंचास्यमच्युतमनेक विचित्रवीर्यं
वक्त्रं सुशंखविधृतं कपिराज वर्यम्।
पीताम्बरादि मुकुटैरभि शेभितांगं
पिंगाक्षमाद्यमनिशंमनसा स्मरामि।।
भावार्थ – हे श्री रामभक्त हनुमान जी ! आप पीताम्बर तथा मुकुट से अलंकृत हैं। आपके नेत्र पीले वर्ण वाले हैं इसलिए आपका एक नाम पिंगाक्ष हुआ। आपके नेत्र अत्यंत करूणा से भरे हुये हैं जो शरणागतों के समस्त संकटों तथा चिंताओं को दूर कर उन्हें सुख प्रदान करते हैं। आपके नेत्रों की यह विशेषता है कि वे अपने आराध्य श्रीराम जी के चरणों के दर्शन हेतु सदैव लालायित रहते हैं।
Panchmukhi Hanuman Dwadashakshar Mantra : हनुमान जी का द्वादशाक्षर मंत्र
श्री हनुमान जी का द्वादशाक्षर मंत्र इस प्रकार है –
“ ओम ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्। ”
हनुमान जी के कुछ अन्य प्रभावशाली मंत्र-
हनुमान जी का कवच मूल मंत्र
“श्री हनुमंते नम:”
शत्रु, रोग और भय नाश के लिए हनुमान मंत्र
“ओम हं हनुमंताय नम:। ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।”
मनोकामना पूर्ति हनुमान मंत्र
“महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।”
पंचमुखी हनुमान मंत्र panchmukhi hanuman Mantra, ऐसी मान्यता है कि किसी पवित्र तथा शुद्ध स्थान पर हनुमान जी के इस द्वादश मंत्र का जो भी व्यक्ति मन लगान शुद्ध हृदय से जाप करता है तो उसकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। किन्तु ध्यान रहे कि इस मंत्र का जाप किसी अनुचित मांग अथवा किसी को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं करना चाहिये।
यदि एक लाख जाप का अनुष्ठान किसी विद्वान तथा श्रेष्ठ गुरू के सान्निध्य में रहकर किया जाये तो वह मनुष्य सभी बाधाओं को पार कर जाता है।
Panchmukhi Hanuman Ji Benefits : पंचमुखी हनुमान जी की पूजा से लाभ
1. जो भी मनुष्य पंचमुखी हनुमान panchmukhi hanuman जी की आराधना करता है उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
२. इस स्वरूप का प्रतिदिन ध्यान करने वाला व्यक्ति निर्भय होकर विचरण करता है। वह बिना किसी डर के किसी भी स्थान की यात्रा कर सकता है।
3. इस स्वरूप की आराधना करने वाले जातक पर भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी आदि भी कोई प्रभाव नहीं डाल सकते तथा ऐसे व्यक्ति को देखते ही दूर भाग जाते हैं।
4. पंचमुखी हनुमान जी की आराधना प्रत्येक मंगल अथवा शनिवार को नियम से करने वाला मनुष्य कभी भी नकारात्मक प्रभावों से नहीं घिरता तथा वह कठिन-से-कठिन असाध्य रोगों से भी सरलता से पार पा लेता है।
5. हनुमान जी के इस स्वरूप का द्वादशक्षार मंत्र सहित ध्यान करके अंत में हनुमान चालिसा तथा आरती का पाठ करने पर मनुष्य की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं तथा घर परिवार में श्री हनुमान जी के साथ-साथ श्री राम परिवार की भी कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है।
॥समाप्त ॥
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