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Mahalaxmi Ashtakam: महालक्ष्मी अष्टकम हिंदी अर्थ सहित

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Mahalaxmi Ashtakam: महालक्ष्मी अष्टकम हिंदी अर्थ सहित|

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट mahalaxmi ashtakam में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, मां लक्ष्मी धन की देवी अथवा स्वामिनी कही जाती हैं। मां जिस पर प्रसन्न हो जाती हैं उसके घर कभी दरिद्रता नहीं आती तथा धन-धान्य के अक्षय भण्डार भरे रहते हैं। 

महालक्ष्मी अष्टकम ( महालक्ष्म्यष्टक )। वह स्रोत है जिससे मुनष्य की धन-धान्य सहित सभी मनोकामनायें तो पूर्ण होती ही हैं साथ-ही-साथ इसकी उपासना करने वाला मनुष्य समाज में प्रतिष्ठापूर्ण ख्याति भी अर्जित करता है। यह माता लक्ष्मी को समर्पित एक स्तोत्र है। ऐसा माना जाता है कि इस स्रोत की रचना स्वयं स्वर्ग के राजा अर्थात देवराज इन्द्र ने की है।

देवराज इन्द्र द्वारा रचित इसका उल्लेख  कुल अट्ठारह पुराणों  में से एक पद्म पुराण में किया गया है। इसके नियमित पाठ से साधक महालक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य संपन्न हो जाता है, उसके महान पातकों यानि पापों तथा शत्रुओं का भी नाश हो जाता है। इस पोस्ट में हम अष्टक का हिन्दी सहित अर्थ जानेंगे। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं – 

Mahalaxmi Ashtakam॥ महालक्ष्मी अष्टकम (महालक्ष्म्यष्टक ) mahalaxmyashtakam॥

Mahalaxmi Ashtakam

॥ Mahalakshmyashtakam ॥

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।

शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥१॥

Namastestu Mahaa-MaayeShrii-Piitthe Sura-Puujite।

Shangkha-Cakra-Gadaa-HasteMahalakshmi Namostute॥1॥

अर्थ श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं से पूजित होनेवाली हे महामाये ! तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाली हे महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि ।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥२॥

Namaste Garudda-AaruuddheKolaa-Aasura-Bhayamkari।

Sarva-Paapa-Hare DeviMahalakshmi Namostute॥2॥

अर्थ गरुड़ पर आरूढ़ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवती महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है।

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि ।

सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥३॥

Sarvajnye Sarva-VaradeSarva-Dusstta-Bhayamkari।

Sarva-Duhkha-Hare DeviMahalakshmi Namostute॥3॥

Mahalaxmi Ashtakam

Mahalaxmi Ashtakam

अर्थ सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दुःखों को दूर करने वाली हे देवि महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है।

mahalaxmi ashtakam

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥४॥

Siddhi-Buddhi-Prade DeviBhukti-Mukti-Pradaayini।

Mantra-Muurte Sadaa DeviMahalakshmi Namostute॥4॥

अर्थ सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे भगवती महालक्ष्मी ! तुम्हें सदा प्रणाम है।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥५॥

Aadi-Anta-Rahite DeviAadya-Shakti-Maheshvari।

Yogaje Yoga-SambhuuteMahalakshmi Namostute॥5॥

अर्थ हे देवि ! हे आदि-अंत रहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरि ! हे योग से प्रकट हुई भगवती महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है। Mahalaxmi Ashtakam

Mahalaxmi Ashtakam

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।

महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥६॥

Sthuula-Suukssma-MahaaraudreMahaa-Shakti-Mahodare।

Mahaa-Paapa-Hare DeviMahalakshmi Namostute॥6॥

अर्थ हे देवि ! तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा हो और बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली हो। हे देवि महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥७॥

Padmaa-Asana-Sthite DeviPara-Brahma-Svaruupinni।

Parameshi JaganmaatarMahalakshmi Namostute॥7॥

अर्थ हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्म स्वरूपिणी देवि ! हे परमेश्वरि ! हे जगदम्ब ! हे महालक्ष्मी ! तुम्हें मेरा प्रणाम है।

mahalaxmi ashtakam

Mahalaxmi Ashtakam

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते ।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥८॥

Shveta-Ambara-Dhare DeviNaana-Alangkaara-Bhuussite।

Jagat-Sthite JaganmaatarMahalakshmi Namostute॥8॥

अर्थ हे देवि ! तुम श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो। सम्पूर्ण जगत में व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो। हे महालक्ष्मी ! तुम्हें मेरा प्रणाम है।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥

Mahalakshmy-Ashtakam StrotramYah Patthed-Bhaktimaan-Narah।

Sarva-Siddhim-AvaapnotiRaajyam Praapnoti Sarvadaa॥9॥

अर्थ जो मनुष्य भक्तियुक्त होकर इस महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का सदा पाठ करता है, वह सारी सिद्धियों और राज्य वैभव को प्राप्त कर सकता है।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।

द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥१०॥

Eka-Kaale Patthen-NityamMahaa-Paapa-Vinaashanam।

Dvi-Kaalam Yah Patthen-NityamDhana-Dhaanya-Samanvitah॥10॥

अर्थ जो प्रतिदिन एक समय पाठ करता है, उसके बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है। जो प्रतिदिन दो समय पाठ करता है, वह धन-धान्य से संपन्न होता है।

Mahalaxmi Ashtakam

Mahalaxmi Ashtakam

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥

Tri-Kaalam Yah Patthen-NityamMahaa-Shatru-Vinaashanam।

MahaalakshmirbhavennityamPrasannaa Varadaa Shubhaa॥11॥

अर्थ जो प्रतिदिन तीनों कालों में पाठ करता है, उसके महान शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके ऊपर कल्याणकारिणी वरदायिनी महालक्ष्मी सदा ही प्रसन्न होती हैं।

॥ इति ॥

दोस्तों, आशा करते हैं कि आपको mahalaxmi ashtakam पोस्ट पसंद आई होगी। सनातन धर्म से जुड़ी इसी प्रकार की अन्य जानकारियां पाने के लिए हमसे जड़े रहिये। अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


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