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Bajrang Baan : बजरंग बाण हिंदी अर्थ सहित

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Bajrang Baan : बजरंग बाण हिंदी अर्थ सहित

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Bajrang Baan में आपका स्वागत है। दोस्तों, हनुमान जी कलयुग में सर्वाधिक जाग्रत देवता माने जाते हैं जो सप्त चिरंजीवी में से एक हैं ,अर्थात जिनकी कभी मृत्यु नहीं हो सकती।

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इन्होंने भगवान श्री राम की ही सहायता नहीं की अपितु द्वापर युग में अर्जुन और भीम की भी सहायता की थी, यह भगवान शिव के अवतार हैंं। जब भी हम श्री हनुमान जी की आराधना करना शुरू करते हैं तो सबसे पहले हमारे मन में श्री हनुमान चालिसा या फिर सुंदरकाण्ड का विचार आता है जो कि अत्यंत प्रभावी भी हैं।

आज की पोस्ट में हम आपको बजरंगबली से सम्बन्धित एक ऐसे ही पाठ के संबंध में बतायेंगे जिसका नाम है “ बजरंग बाण । ” इसका पाठ तांत्रिक प्रभाव, शत्रु बाधा, जादू-टोना, प्रेत बाधा तथा वास्तुदोष आदि के लिए एक बाण की तरह काम करता है इसीलिए इसे बजरंग बाण कहा जाता है।

आज की पोस्ट में हम इसी पर चर्चा करेंगे। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं –

 

Bajrang Baan : श्री बजरंग बाण हिंदी अर्थ सहित

 

Bajrang baan

 

॥ दोहा॥

 

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सन्मान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।

भावार्थ :-  पूर्ण प्रेम विश्वास के साथ जो भी व्यक्ति विनय पूर्वक अपनी आशा रखता है, रामभक्त हनुमान जी की कृपा से उसके सभी कार्य शुभदायक और सफल होते हैं ।

॥ चौपाई ॥

 

जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।

भावार्थ :- हे भक्त वत्सल हनुमान जी आप संतों के हितकारी हैं, कृपा पूर्वक मेरी विनती भी सुन लीजिये ।

जन के काज विलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।

भावार्थ :- हे प्रभु पवनपुत्र आपका दास अति संकट में है , अब बिलम्ब मत कीजिये एवं पवन गति से आकर भक्त को सुखी कीजिये ।

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जैसे कूदि सुन्धु महि पारा ।
सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।

भावार्थ :- जिस प्रकार से आपने खेल-खेल में समुद्र को पार कर लिया था और सुरसा जैसी प्रबल और छली के मुंह में प्रवेश करके वापस भी लौट आये ।

आगे जाई लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ।।

भावार्थ :- जब आप लंका पहुंचे और वहां आपको जब प्रहरी लंकिनी  ने रोका तो आपने एक ही प्रहार में उसे देवलोक भेज दिया ।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।

भावार्थ :- राम भक्त विभीषण को जिस प्रकार आपने सुख प्रदान किया , और माता सीता के कृपापात्र बनकर वह परम पद प्राप्त किया जो अत्यंत ही दुर्लभ है ।

बाग उजारि सिन्धु महं बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ।।

भावार्थ :- Bajrang Baan कौतुक-कौतुक में आपने सारे बाग को ही उखाड़कर समुद्र में डुबो दिया एवं बाग के रक्षकों को जिसको जैसा दंड उचित था वैसा दंड दिया ।

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अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेट लंक को जारा ।।

भावार्थ :- बिना किसी श्रम के क्षण मात्र में जिस प्रकार आपने दशकंधर (रावण) के पुत्र अक्षय कुमार का संहार कर दिया एवं अपनी पूंछ से सम्पूर्ण लंका नगरी को जला डाला ।

लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर में भई ।।

भावार्थ :-  घास-फूस के छप्पर की तरह सम्पूर्ण लंका नगरी जल गयी, आपका ऐसा कृत्य देखकर हर जगह आपकी जय जयकार हुई ।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ।
कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।

भावार्थ :- हे प्रभु तो फिर अब मुझ दास के कार्य में इतना बिलम्ब क्यों ? कृपा पूर्वक मेरे कष्टों का हरण करो क्योंकि आप तो सर्वज्ञ और सबके ह्रदय की बात जानते हैं ।

जय जय लखन प्राण के दाता ।
आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।

भावार्थ :- हे दीनों के उद्धारक आपकी कृपा से ही लक्ष्मण जी के प्राण बचे थे , जिस प्रकार आपने उनके प्राण बचाये थे उसी प्रकार इस दीन के दुखों का निवारण भी करो ।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर ।
सुर समूह समरथ भटनागर ।।

भावार्थ :- हे योद्धाओं के नायक एवं सब प्रकार से समर्थ, पर्वत को धारण करने वाले एवं सुखों के सागर मुझ पर कृपा करो ।

Bajrang baan

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।

भावार्थ :-  हे हनुमंत !  हे दुःखभंजन !  हे हठीले हनुमंत !  मुझ पर कृपा करो और मेरे शत्रुओं को अपने वज्र से मारकर निस्तेज और निष्प्राण कर दो ।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ।
महाराज प्रभु दास उबारो ।।

भावार्थ :- हे प्रभु ! गदा और वज्र लेकर मेरे शत्रुओं का संहार करो और अपने इस दास को विपत्तियों से उबार लो ।

ऊंंकार हुंकार महाप्रभु धावो ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।

भावार्थ :- हे प्रतिपालक मेरी करुण पुकार सुनकर हुंकार करके मेरी विपत्तियों और शत्रुओं को निस्तेज करते हुए मेरी रक्षा हेतु आओ, तथा शीघ्र अपने अस्त्र-शस्त्र से शत्रुओं का निस्तारण कर मेरी रक्षा करो ।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीशा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।

भावार्थ :- हे ह्रीं ह्रीं ह्रीं रूपी शक्तिशाली कपीश आप शक्ति को अत्यंत प्रिय हो और सदा उनके साथ उनकी सेवा में रहते हो , हुं हुं हुंकार रूपी प्रभु मेरे शत्रुओं के हृदय और मस्तक विदीर्ण कर दो ।

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सत्य होहु हरि शपथ पाय के ।
रामदूत धरु मारु जाय के ।।

भावार्थ :- हे दीनानाथ ! आपको श्री हरि की शपथ है मेरी विनती को पूर्ण करो। हे रामदूत ! मेरे शत्रुओं का और मेरी बाधाओं का विलीन कर दो ।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।

भावार्थ :- हे अगाध शक्तियों और कृपा के स्वामी आपकी सदा ही जय हो , आपके इस दास को किस अपराध का दंड मिल रहा है ?

पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।

भावार्थ :- हे कृपा निधान आपका यह दास पूजा की विधि, जप का नियम, तपस्या की प्रक्रिया तथा आचार-विचार सम्बन्धी कोई भी ज्ञान नहीं रखता मुझ अज्ञानी दास का उद्धार करो ।

वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।

भावार्थ :- आपकी कृपा का ही प्रभाव है कि जो आपकी शरण में है वह कभी भी किसी भी प्रकार के भय से भयभीत नहीं होता चाहे वह स्थल कोई जंगल हो अथवा सुन्दर उपवन चाहे घर हो अथवा कोई पर्वत ।

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पांय परों कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।

भावार्थ :- हे प्रभु ! मैं आपके चरणों में पड़ा हुआ, हाथ जोड़कर आपको मना रहा हूँ , और इस ब्रह्माण्ड में भला कौन है जिससे अपनी विपत्ति का हाल कहूं और रक्षा की गुहार लगाऊं ।

जय अंजनि कुमार बलवन्ता ।
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।

भावार्थ :- हे अंजनी पुत्र हे अतुलित बल के स्वामी, हे शिव के अंश वीरों के वीर हनुमान जी मेरी रक्षा करो ।।

बदन कराल काल कुल घालक ।
राम सहाय सदा प्रति पालक ।।

भावार्थ :- हे प्रभु आपका शरीर अति विशाल है और आप साक्षात काल का भी नाश करने में समर्थ हैं , हे राम भक्त , राम के प्रिय आप सदा ही दीनों का पालन करने वाले हैं ।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर ।
अग्नि बेताल काल मारी मर ।।

भावार्थ :- चाहे वह भूत हो अथवा प्रेत हो भले ही वह पिशाच या निशाचर हो या अगिया बेताल हो या फिर अन्य कोई भी हो ।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ।।

भावार्थ :- हे प्रभु आपको आपके इष्ट भगवान राम की सौगंध है अविलम्ब ही इन सबका संहार कर दो और भक्त प्रतिपालक एवं राम-भक्त नाम की मर्यादा की आन रख लो ।

Bajrang baan

 

जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।

भावार्थ :- हे जानकी एवं जानकी बल्लभ के परम प्रिय आप उनके ही दास कहाते हो ना , अब आपको उनकी ही सौगंध है इस दास की विपत्ति निवारण में विलम्ब मत कीजिये ।

जय जय जय धुनि होत अकाशा ।
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।

भावार्थ :- आपकी जय-जयकार की ध्वनि सदा ही आकाश में होती रहती है और आपका सुमिरन करते ही दारुण दुखों का भी नाश हो जाता है ।

चरण शरण कर जोरि मनावौंं ।
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।

भावार्थ :-  हे रामदूत अब मैं आपके चरणों की शरण में हूँ और हाथ जोड़ कर आपको मना रहा हूँ – ऐसे विपत्ति के अवसर पर आपके अतिरिक्त किससे अपना दुःख बखान करूँ ।।

उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ।
पांय परों कर जोरि मनाई ।।

भावार्थ :- हे करूणानिधि अब उठो और आपको भगवान राम की सौगंध है मैं आपसे हाथ जोड़कर एवं आपके चरणों में गिरकर अपनी विपत्ति नाश की प्रार्थना कर रहा हूँ ।।

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।

भावार्थ :- हे चं वर्ण रूपी तीव्राति तीव्र वेग (वायु वेगी) से चलने वाले, हे हनुमंत लला ! मेरी विपत्तियों का नाश करो ।

ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल ।
ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।

भावार्थ :- हे हं वर्ण रूपी आपकी हाँक/ हुंकार से ही समस्त दुष्ट जन ऐसे निस्तेज हो जाते हैं जैसे सूर्योदय के समय अंधकार सहम जाता है ।

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अपने जन को तुरत उबारो ।
सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।

भावार्थ :- हे प्रभु ! आप ऐसे आनंद के सागर हैं कि आपका सुमिरण करते ही दास जन आनंदित हो उठते हैं अब अपने दास को विपत्तियों से शीघ्र ही उबार लो ।

यह बजरंग बाण जेहि मारै ।
ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।

भावार्थ :- Bajrang baan in hindi यह बजरंग बाण यदि किसी को मार दिया जाए तो फिर भला इस अखिल ब्रह्माण्ड में उबारने वाला कौन है ?

पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करैं प्राण की ।।

भावार्थ :- जो भी पूर्ण श्रद्धा युक्त होकर नियमित रूप से इस बजरंग बाण का पाठ करता है , श्री हनुमंत लला स्वयं उसके प्राणों की रक्षा में तत्पर रहते हैं ।

यह बजरंग बाण जो जापै ।
ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।

भावार्थ :- जो भी व्यक्ति नियमित इस बजरंग बाण का जप करता है , उससे  भूत-प्रेतादि कोसों दूर रहते हैं ।

धूप देय अरु जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।

भावार्थ :- जो भी व्यक्ति धूप-दीप देकर श्रद्धापूर्वक पूर्ण समर्पण से बजरंग बाण का पाठ करता है उसके शरीर पर कभी कोई व्याधि / कलेश नहीं रहता ।।

॥दोहा॥

उर प्रतीति दृढ सरन हवै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर करै, सब काज सफल हनुमान।।

भावार्थ :- प्रेम पूर्वक एवं विश्वासपूर्वक जो कपिवर श्री हनुमान जी का स्मरण करता हैं एवं सदा उनका ध्यान अपने हृदय में करता है उसके सभी प्रकार के कार्य हनुमान जी की कृपा से सिद्ध होते हैं ।

Bajrang baan padhne se labh : बजरंग बाण के लाभ (फायदे)

 

Hanuman Ji Ke 12 Naam

 

• नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करने से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

• यदि आप अपने शत्रुओं से परेशान है तो बजरंग बाण का नियमित 7 बार पाठ करें ।

•अपने व्यापार और कारोबार में वृद्धि के लिए अपने ऑफिस (कार्य स्थल) पर पाँच मंगलवार तक 7 बार बजरंग बाण का पाठ करें।

• जिन व्यक्तियों के बने -बनाये कार्य बिगड़ जाते हों उन्हें अपनी दैनिक पूजा में बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए।

• नियमित रूप से बजरंग बाण Bajrang baan lyrics का पाठ व्यक्ति में साहस बढ़ाने के साथ -साथ सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करता है।
• कदली (केला) वन, या कदली वृक्ष के नीचे बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह की बाधा खत्म हो जाती है। यहां तक कि तलाक जैसे कुयोग भी टल जाते हैं।

• यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार के ग्रहदोष से पीड़ित हो, तो प्रात:काल बजरंग बाण का पाठ करे। ऐसा करने से बड़े से बड़ा ग्रह दोष पल भर में टल जायेगा।

• यदि शनि, राहु, केतु जैसे क्रूर ग्रहों की दशा— महादशा चल रही हो तो बजरंग बाण Bajrang baan in hindi  का पाठ अति लाभदायक सिद्ध होता है।

Hanuman Ji Ke 12 Naam (Anjani suta)

 

• हनुमान जी को बंदि छोड़ बाबा भी कहा जाता है। इनकी आराधना करने से कोर्ट केस में भी आपको जीत मिल जायेगी ।

• कई बार घर में वास्तुदोष के कारण  समस्या उत्पन्न हो जाती है  जिसके निवारण के लिए 3 बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही हनुमान जी को लाल ध्वजा (झंडा) चढ़ाने के बाद उसे घर की छत  पर लगाने से भी वास्तुदोष से मुक्ति मिलती है।

• घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा घर के मुख्य द्वार पर लगायें।

॥ इति ॥

दोस्तों ! आशा करते हैं कि Bajrang Baan पोस्ट आपको पसंद आई होगी, यदि पसंद आई हो तो इसे ज्यादा-से-ज्यादा शेयर करें साथ ही चैनल को सब्सक्राइब कर लें। धन्यवाद, आपका दिन शुभ तथा मंगलमय हो।


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