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Sawan 2023 : सावन में करें ये उपाय

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Sawan 2023 : सावन में करें ये उपाय

 

Sawan

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लाग में आपका स्वागत है। Sawan सावन माह भगवान शिव का प्रिय माह है इस महीनें में बाबा भोलेनाथ की जितनी ज्यादा-से-ज्यादा भक्ति कर ली जाये उतना ही हमारे लिये लाभप्रद है। इस माह में केवल हमारे देश में ही नहीं अपितु दुनियाभर में जहां भी भगवान शिव के भक्त रहते हैं वहां धार्मिक अनुष्ठानों का व्यापक स्तर पर आयोजन होता है।

 

Sawan

 

इस माह में शिव मन्दिरों को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया जाता है और बड़े स्तर पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं तथा मंदिर में शिवजी का जलाभिषेक कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।

वैसे तो प्रत्येक भक्त भोले बाबा को अपने-अपने स्तर से प्रसन्न करना चाहता है कोई भंडारों का आयोजन करता है तो कोई श्री शिवमहापुराण कथा का आयोजन कराता है लेकिन सभी के लिये यह संभव नहीं है इसलिये साधारण भक्तों के लिये इस लेख में शिवजी की आराधना हेतु कुछ उपाय दिये गये हैं तो आइये इस लेख में हम जानते हैं कि क्या हैं वे उपाय –

 

Sawan : रुद्राक्ष (Rudraksh) धारण करें

 

Rudraksh

 

Rudraksh रुद्राक्ष भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है। कहा जाता है कि जब सती ने अपने प्राण त्यागे थे तब भगवान शिव के अश्रु अर्थात आंसु जिस-जिस स्थान पर गिरे थे वहीं पर रुद्राक्ष के पेड़ों की उत्पत्ति हुई थी। रूद्राक्ष एक से लेकर चौदह मुखी तक पाये जाते हैं। प्रत्येक रुद्राक्ष को अपनी मनोकामना सिद्धि तथा अपनी जन्म कुण्डली के अनुसार ही धारण किया जा सकता है।

इन रुद्राक्षों में एक मुखी से लेकर पांच मुखी तथा गौरीशंकर नामक रुद्राक्ष मुख्य हैं। शैव अर्थात भगवान शिव को अपना इष्ट मानने वालों को यह अवश्य ही धारण करना चाहिये इससे बहुत लाभ होता है।

 

Sawan : त्रिपुण्ड (Tripund) धारण करें

 

Tripund

 

भगवान शंकर अपने मस्तक पर त्रिपुण्ड Tripund धारण करते हैं इसलिये इनको त्रिपुण्डधारी के नाम से भी जाना जाता है। सावन के इस पावन माह में सफेद चन्दन की लकड़ी लेकर उसे घिस लें तथा पानी के साथ मिश्रण करके शिवलिंग पर त्रिपुण्ड बनायें और मन ही मन कहें – “हे त्रिपुरारी पूर्ण कीजिये मनोकामना हमारी”। पूरे श्रावण मास Sawan आप यह उपाय कर सकते हैं।

यदि आप चाहें तो अपनी प्रतिदिन की पूजा में इसे सम्मिलित कर सकते हैं। इसके पश्चात अपने मस्तक पर उसी चन्दन से तीन रेखायें काढ़कर त्रिपुण्ड बनायें। यदि चन्दन की लकड़ी न मिले तो उसके स्थान पर चन्दन के पाउडर का भी प्रयोग किया जा सकता है किन्तु यदि सफेद चन्दन की लकड़ी मिल जाये तो अति उत्तम है।

Tripund

 

त्रिपुण्ड Tripund की तीन रेखायें सत, रज तथा तम का संकेत करती हैं यह तीनों तत्व हमारे शरीर में विद्यमान रहते हैं। इन तत्वों के असंतुलन से रोग, मानसिक अशान्ति तथा नाना प्रकार की व्याधियां आदि विकार जन्म लेते हैं किन्तु जब हम अपने मस्तक पर त्रिपुण्ड धारण करते हैं तो इनका संतुलन बना रहता है इसके अतिरिक्त मानसिक शान्ति भी प्राप्त होती है।

 

Sawan : मन में शिव का नाम जपें

 

Sawan

 

अपने मन मे सदैव भगवान शिव का स्मरण करते रहें। भगवान शिव से सम्बन्धित किसी भी मंत्र का जाप मन ही मन करते रहें। चलते-फिरते, उठते-बैठते, खाते-पीते तथा सोते-जागते मन में मंत्र का जाप करते रहें। इस विधि को “अजपा जप विधि“ कहते हैं इसमें मंत्रों की कोई संख्या निर्धारित नहीं होती ऐसा करने से आप स्वयं को प्रत्येक क्षण अपने आराध्य के समीप पाएंगे तथा एक आलौकिक शक्ति का अनुभव करेंगे।

कहते हैं कि यदि मस्तक पर त्रिपुण्ड, गले में रुद्राक्ष तथा मुख में सदा शिव का नाम हो तो कोई भी उन भक्तों का अहित नहीं कर सकता तथा वह किसी भी स्थान पर निर्भय होकर विचरण करते हैं क्योंकि उनकी रक्षा तो स्वयं महादेव करते हैं। प्रतिदिन सुबह तथा सायंकाल के समय शिव चालीसा का पाठ करें स्वच्छ कपड़े पहनकर एक स्वच्छ आसन ग्रहण करें ,

 

Shiv

 

तथा भगवान शिव के फोटो अथवा शिवलिंग के सम्मुख घी का एक दिया प्रज्ज्वलित करें तथा धूप, दीप आदि अर्पण करके शिव चालीसा का पाठ करें। यदि सम्भव हो तो रुद्राक्ष की एक माला लेकर “ऊं नमः शिवाय“ का जाप करें।

Sawan

Sawan : बिल्व पत्र (Bilv Patra) की महिमा

 

Bilv Patra

 

Bilv Patra बेल-पत्री भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है और संयोग देखिये कि जब सावन माह प्रारम्भ होता है तो यह सरलता से बहुतायत में उपलब्ध होती है। कुछ भक्त बेल पत्र को अर्पित तो करते हैं किन्तु उन्हें सही तरीके का ज्ञान नहीं होता। बेल-पत्र जब भी चढ़ायें तो सदैव उसका चिकना भाग नीचे अर्थात शिवलिंग की ओर होना चाहिये इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखना चाहिये कि पत्ता कहीं से कटा-फटा न हो।

भगवान शिव को सावन माह Sawan में सवा लाख बेल पत्र अर्पित करने से वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं इसके अतिरिक्त बड़े-बड़े अनुष्ठानों में भी इनका प्रयोग किया जाता है। बेल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है। बेल का पत्ता तीन पत्तियों से निर्मित होता है। इसके अतिरिक्त घर में समृद्धि तथा धन प्राप्ति हेतु बेलपत्री के तीनों पत्तों की प्रत्येक पत्ती पर श्रीं, श्री, श्रीं लिखकर पूरे सावन माह अथवा 21 दिनों तक लगातार 108 पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाने चाहिये।

 

Sawan

 

ऐसा करने से घर में श्रीवृद्धि का वास होता है तथा भक्तों के घर में मां लक्ष्मी सदा के लिए वास करती हैं तथा घर में धन-धान्य के भण्डार भरे रहते हैं। बेलपत्र, धतूरा तथा विजया अर्थात भांग की पत्ती को 21-21 की संख्या में ले लें तथा शिव पिण्डी पर अर्पित करें तथा रात्रि के समय वहीं पर बैठकर 21 बार रावण द्वारा रचित शिव ताण्डव स्त्रोत का पाठ करें,

ऐसा करने से बड़े से बड़े संकटों का नाश होता है तथा यदि कचहरी आदि लड़ाई झगड़े चल रहे हों तो वे सभी समाप्त होते हैं तथा वाद अर्थात मुकदमों में भी विजय प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त मात्र हल्दी घोलकर शिव पिण्डी पर अर्पित करने से बीमारियां नष्ट होती हैं तथा समाज में व्यक्तित्व भी निखरता है।

 

Sawan

 

यह कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा सिद्ध उपाय हैं जिनका प्रयोग करके भक्त भगवान आशुतोष की कृपा से अपने जीवन को सफल एवं आनन्ददायक बना सकते हैं। इसीलिए जब भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें तो यदि सम्भव हो सके तो बिल्व-पत्र का प्रयोग अवश्य करें आपके सभी मनोरथ पूर्ण होंगे।

सावन में पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व

सावन के महीने में हम भगवान शिव की बहुत सारी साधनायें करते हैं। इन्हीं साधनाओं में से एक साधना भगवान शंकर के पार्थिव शिवलिंग की भी है। इसकी प्रचलन प्राचीन काल से ही चला आ रह है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनि पवित्र नदियों के तट पर रहा करते थे तथा उसी नदी की मिट्टी से वह पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके उसकी पूजा-अर्चना किया करते थे। उसके पश्चात उस शिवलिंग को उसी नदी में प्रवाहित कर दिया जाता था तथा यह उनकी दैनिक दिनचर्या हुआ करती थी।

इस पवित्र मास में प्रत्येक शिव भक्त को कम-से-कम एक बार तो अवश्य ही पार्थिव शिवलिंग का पूजन करना चाहिये।
शुद्ध मिट्टी लाकर उससे छोटे-छोटे शिवलिंग का निर्माण कर उन्हें एक थाली में विराजमान करें। उसके बाद प्रत्येक शिवलिंग को दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल आदि से अभिषेक करें तथा धूप-दीप एवं अन्य सुगन्धित पदार्थ एवं खाद्य सामग्री जैसे फल इत्यादि अर्पित कर वहीं बैठकर शिवजी के किसी भी मंत्र की रूद्राक्ष की माला से जप करें।

यदि माला करनी सम्भव न हो तो “नमः शिवाय अथवा ऊं नमः शिवाय“ का 108 बार जाप करें। इसके अतिरिक्त शिवजी से सम्बन्धित कोई भी मंत्र अथवा कोई धार्मिक पुस्तक जैसे शिवचालीसा रुद्राष्टक आदि का भी पाठ कर सकते हैं। परिवार के सभी सदस्य साथ में बैठ कर शिवपूजा कर सकें तो अत्यन्त उत्तम है। पूजा सम्पन्न होने के पश्चात सभी मिलकर शिवजी की आरती करें तथा फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि – हे महादेव! यदि हमसे इस अनुष्ठान में कोई त्रुटि हो गयी हो तो कृपया हमें क्षमा करें तथा अपना आशीर्वाद हमें प्रदान करें।

हममें से कुछ लोग मंत्र, जाप इत्यादि नहीं जानते तो वे किसी ब्राह्मण के द्वारा भी यह पूजा सम्पन्न करा सकते हैं। शिव पुराण में भी पार्थिव शिवलिंग की पूजा-आराधना का वर्णन किया गया है जिसमें लिखा है कि भगवान आशुतोष के पार्थिव शिवलिंग की साधना करने से मनुष्य की समस्त कामनायें पूर्ण होती हैं तथा कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती। शिव पुराण के अन्तर्गत कुल एक हजार एक तथा एक लाख एक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उनका महारुद्राभिषेक करने का उल्लेख हमें मिलता है। ऐसा करने से सभी मनोकामनायें सिद्ध होती हैं तथा भोलेनाथ का महान आशीर्वाद प्राप्त होता है।

किन्तु वर्तमान परिवेश तभा भागदौड़ भरी जीवन-शैली में व्यापक स्तर पर यह कर पाना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य लगता है। अतः यदि आप कोई बड़ा अनुष्ठान न करवाकर घर पर ही यह साधना करना चाहते हैं तो कम-से-कम 11 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके भी यह पूजा सम्पन्न कर सकते हैं। कुछ लोगों के मन में यह सन्देह होता है कि क्या यह पूजा केवल सोमवार के दिन ही क्या जाना चाहिये ? जैसा कि हम जानते कि पूरा श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है तो जब भी आपको सुविधा हो आप अपने परिवार तथा मित्रों आदि के साथ सावन के किसी भी दिन यह अनुष्ठान कर सकते हैं।

अब प्रश्न उठता है कि शिवलिंग की पूजा सम्पन्न हो जाने के पश्चात उन पार्थिव शिवलिंग का क्या किया जाये? यदि आप किसी ऐसे स्थान पर रहते हैं जहां आस-पास कोई पवित्र नदी बहती है तो सर्वोत्तम है कि आप वहां जाकर यह पार्थिव शिवलिंग उस नदी में प्रवाहित कर दें। इससे जल प्रदूषण भी नहीं होता क्योंकि इनका निर्माण मिट्टी से ही होता है तथा यह सरलता से जल में ही विलीन हो जाते हैं।

किन्तु यदि आप किसी ऐसे शहर अथवा स्थान पर रहते हैं जहां आस-पास कोई नदी न हो तो किसी एकान्त स्थान पर जाकर अथवा किसी पेड़ के नीचे गड्ढा करके इन पार्थिव शिवलिंग को उस गडढे में रख दें तथा तत्पश्चात आप उसको मिट्टी से ढक दें। केवल इतना स्मरण रखें कि वह कोई सार्वजनिक स्थान न हो जिस पर लोग जूता-चप्पल पहनकर जाते हों।

॥ इति ॥

तो दोस्तों यह पोस्ट (Sawan सावन में करें ये उपाय) आपको कैसी लगी कृपया अवश्य बतायें। इस जानकारी को शेयर जरूर करें जिससे कि और भी इसका लाभ उठा सकें। आगे भी हम आपको ऐसी ही धार्मिक जानकारियां उपलब्ध कराने का प्रयास करते रहेंगे तब तक के लिए नमस्कार।


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