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Hinglaj Mata : श्री हिंगलाज माता मंदिर : जहां मुसलमान भी करते हैं पूजा

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Hinglaj Mata: श्री हिंगलाज माता मंदिर : जहां मुसलमान भी करते हैं पूजा

 

Hinglaj Mata Mandir: श्री हिंगलाज माता मंदिर

 

Hinglaj Mata

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Hinglaj Mata में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों,आज हम बात करेंगे हिंगलाज माता मंदिर के संबंध में जो मुसलमानों में नानी पीर के नाम से लोकप्रिय हैं। यह शक्तिपीठ Hinglaj Devi Mandir Pakistan पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में स्थित है। इस शक्तिपीठ की देखरेख मुस्लिम धर्म के लोग करते हैं और इसे चमत्कारिक स्थान मानते हैं।

 

Hinglaj Mata

 

माता का ये मंदिर हिंगोल नदी और चंद्रकूप पहाड़ पर स्थित है। सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित यह गुफा मंदिर इतना विशालकाय है कि आप इसे देखते ही रह जायेंगे। इतिहासकारों की मानें तो यह मंदिर 2000 वर्ष पुराना है।

हिंगलाज स्थल की ख्याति केवल कराची और पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में है नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिनों तक यहां विशेष आयोजन होता है। सिंध-कराची के लाखों सिंधी हिन्दू श्रद्धालु यहां माता के दर्शन को आते हैं। भारत से भी प्रतिवर्ष एक दल यहां दर्शन के लिए जरूर जाता है।

एक मान्यता के अनुसार हिन्दू चाहे चारों धामों की यात्रा कर लें, काशी में स्नान कर लें, अयोध्या के मंदिर में पूजा-पाठ कर लें, लेकिन अगर वह हिंगलाज देवी के दर्शन नहीं करता तो यह सब व्यर्थ माना जाता है। जो स्त्रियां इस स्थान का दर्शन कर लेती हैं उन्हें हाजियानी कहते हैं तथा हर एक धार्मिक स्थल पर उन्हें सम्मान के साथ देखा जाता है।

Hinglaj Mata ki katha : पौराणिक कथा :-

 

Hinglaj Mata

 

पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान शंकर माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव नृत्य कर रहे थे तो संसार को प्रलय से बचाने के लिये भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के मृत शरीर को 51 भागों में काट दिया था तथा यही विश्व में जिस स्थान पर गिरे वह शक्तिपीठ बन गया। हिंगलाज में माता का सिर गिरा था।

श्री राम ने भी किये दर्शन :-

 

Raghunath Ji

 

कहते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम भी इस सिद्ध पीठ के दर्शन हेतु आये तथा भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि ने इस स्थान पर घोर तप किया है। इस पवित्र स्थल के दर्शन हेतु गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव जैसे महान आध्यात्मिक संत भी आ चुके हैं।

Hinglaj Mata ka Mandir : मंदिर की बनावट :-

 

Hinglaj Mata ka Mandir

 

यह मंदिर एक गुफा मंदिर के रूप में स्थित है। पहाड़ी पर बनी एक गुफा में माता का विग्रह रूप विराजमान है गुफा में माता हिंगलाज का मंदिर है तथा इसमें कोई भी दरवाजा नहीं है। निकट ही यहां गुरु गोरखनाथ का चश्मा अर्थात पानी का एक झरना बहता है मान्यता है कि माता हिंगलाज देवी यहां सुबह स्नान के लिये आती हैं।

 

Hinglaj Mata : माता के अलावा और भी हैं मंदिर :-

यहां पर माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान शिव भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। इस परिसर में श्री गणेश, माता कालिका के अतिरिक्त ब्रह्मकुंड और तीरकुंड जैसे प्रसिद्ध तीर्थ हैं।

 

मुसलमान कहते हैं  Hinglaj Mata Mandir  को नानी पीर :-

 

Hinglaj Devi Mandir Pakistan

 

जिस समय पाकिस्तान का जन्म नहीं हुआ था और भारत की पश्चिमी सीमा अफगानिस्तान और ईरान थी, उसी समय से हिंगलाज तीर्थ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थ होने के साथ ही मुसलमानों का भी तीर्थस्थल भी है। यहां के मुस्लिम उन्हें नानी कहकर बुलाते हैं और लाल कपड़ा, अगरबत्ती आदि चढ़ाते हैं।

Hinglaj Devi Ka Mandir : मंदिर को तोड़ने के भी हुये प्रयास :-

 

मुस्लिम काल में इस मंदिर पर कई हमले हुये लेकिन यहां के स्थानीय हिन्दू और मुसलमानों ने इस मंदिर को एकजुट होकर बचाया। कहा जाता है कि जब यह हिस्सा भारत के हाथों से निकल गया तब आतंकवादियों ने इस मंदिर को हानि पहुंचाने की कोशिश की लेकिन वे सभी चमत्कारी रूप से हवा में लटक गये थे।

 

Hinglaj Mata : कैसे जायें माता हिंगलाज के दर्शन को ?

 

Hinglaj Mata ka Mandir

 

इस सिद्ध पीठ के दर्शन हेतु पहाड़ी तथा मरुस्थली दो मार्गों से जाया जा सकता है। यात्रियों का जत्था कराची से चलकर लसबेल पहुंचता है और फिर लयारी। कराची से लगभग 7 मील की दूरी पर हाव नदी पड़ती है जो हिंगलाज की यात्रा का पहला पड़ाव है।

इसी स्थान पर शपथ ग्रहण की क्रिया सम्पन्न होती है तथा लौटने तक की अवधि के लिए संन्यास ग्रहण किया जाता है। यहीं पर छड़ी का पूजन किया जाता है और श्रद्धालु रात में विश्राम करके प्रातःकाल हिंगलाज माता की जय बोलकर यात्रा का प्रारंभ करते हैं।

यात्रा के दौरान कई बरसाती नाले तथा कुएं भी मिलते हैं। इस स्थान की सबसे बड़ी नदी हिंगोल है जिसके निकट चंद्रकूप पहाड़ हैं। चंद्रकूप तथा हिंगोल नदी के मध्य लगभग 15 मील का फासला है। हिंगोल में यात्री अपने सिर के बाल कटवा कर पूजा करते हैं तथा यज्ञोपवीत धारण करते हैं।

 

Hinglaj Mata

 

यात्रा के लिए यहां से पैदल जाना पड़ता है क्योंकि आगे कोई सड़क मार्ग नहीं है। थोड़ा आगे चलकर स्थान कर कुछ भक्त अपने पुराने कपड़े गरीबों आदि में दान कर देते हैं तथा कुछ ही दूरी पर स्थित काली माता मंदिर के दर्शन करते हैं। इस मंदिर में पूजा के बाद यात्री हिंगलाज देवी के दर्शन को जाते हैं।

रास्ते में मीठे पानी के तीन कुंए हैं जिनका पवित्र जल का सेवन करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है इन कुंओं के पास ही श्री हिंगलाज माता का मंदिर स्थित है।

इति

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