Navarna Mantra : मां दुर्गा के नवार्ण मंत्र की महिमा

Navarna Mantra : मां दुर्गा के नवार्ण मंत्र की महिमा

 

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कलियुग में मां दुर्गा की आराधना तुरंत फल प्रदान करने वाली बताई गयी है। माता की यह उपासना उनके मूल मंत्र अर्थात navarna mantra नवार्ण मन्त्र के जप और देवी की वांग्मयी मूर्ति श्रीदुर्गासप्तशती के पाठ—हवन आदि करने पर शीघ्र ही सिद्धि प्रदायक होती है।
आदिशक्ति दुर्गा का मूल मंत्र नवार्ण मंत्र है तथा बीज मंत्र के रूप में प्रसिद्ध है।

Navarna Mantra : नवार्ण मंत्र का अर्थ एवं स्वरूप :-

 

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यह मंत्र नौ वर्णों से बना है इसी कारण से इसे नवाक्षर या नवार्ण मंत्र कहा जाता है जो कि इस प्रकार है –

 

।। ” ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ” ।।

 

Navarna Mantra : नवार्ण मंत्र में होते हैं तीन बीज मंत्र

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हमारे पुराणों के अनुसार मां दुर्गा के तीन चरित्र बताये गये हैं जिनमें प्रथम चरित्र में महाकाली, मध्य चरित्र में महालक्ष्मी तथा उत्तर चरित्र में महासरस्वती के रूप को दर्शाया गया है। इन्हीं तीनों चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मंत्र का निर्माण हुआ है आईये, इसे विस्तार से समझते हैं।

 

बीज मंत्र (ऐं ):-

अर्थात :- यह सरस्वती बीज है। ऐं का अर्थ सरस्वती है और बिन्दु का अर्थ है दुःखनाशक। इस प्रकार इस का अर्थ हुआ माता सरस्वती हमारे दुःख को दूर करें।

बीज मंत्र (ह्रीं ):-

अर्थात :- यह भुवनेश्वरी बीज है और माता महालक्ष्मी का बीज मंत्र है।

बीज मंत्र (क्लीं ):-

अर्थात :- यह कालीबीज मंत्र है।

 

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इस प्रकार इस मंत्र का भावार्थ इस प्रकार है कि “ हे चित्स्वरूपिणी महासरस्वती ! हे सद्रूपपिणी महालक्ष्मी ! हे आनन्दरूपिणी महाकाली ! ब्रह्मविद्या पाने के लिए हम प्रत्येक क्षण तुम्हारा ध्यान करते हैं। हे महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वतीस्वरूपिणी चण्डिके ! तुम्हें हमारा नमस्कार है अविद्यारूपी रज्जु की दृढ़ ग्रन्थि खोलकर मुझे मुक्त करो। ”

 इसे सरल शब्दों में इस प्रकार समझा जा सकता है कि “ महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नामक तीन रूपों में सच्चिदानन्दमयी आदिशक्ति योगमाया को हम अविद्या (मन की चंचलता और विक्षेप) दूर कर प्राप्त करें। ”

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Navarna Mantra : मंत्र के ऋषि, छंद, देवता तथा विनियोग

ब्रह्मा, विष्णु और शिव इस मंत्र के ऋषि कहे गए हैं। गायत्री उष्णिक और अनुष्टुप्-ये तीनों इस मंत्र के छंद हैं। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती इस मंत्र की देवता हैं। रक्तदन्तिका, दुर्गा तथा भ्रामरी इस मंत्र के बीज हैं। नन्दा शाकम्भरी और भीमा ये शक्तियां कही गयी हैं। धर्म, अर्थ काम तथा मोक्ष की प्राप्ति हेतु इस मंत्र का विनियोग किया जाता है।

 

Navarna Mantra : क्यों करें नवार्ण मंत्र की उपासना ?

श्री देवयथर्वशीर्ष के एक श्लोक के अनुसार,

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नमामि त्वां महादेवीं महाभयविनाशिनीम्।
महादुर्गाप्रशमनीं महाकारुण्यरूपिणिम्।।

 

अर्थात :- महाभय का नाश करने वाली, महासंकट को शान्त करने वाली और महान करुणा की मूर्ति तुम महादेवी को मैं नमस्कार करता हूं।

इस मंत्र से मनुष्य के सभी प्रकार के माया-मोह एवं तृष्णा जनित आसक्तियों का नाश होता है। महाकाली अपने साधक को अभय वरदान देती हैं तो महालक्ष्मी भक्तों को समस्त वैभव प्रदान कर बुराई से लड़ने की शक्ति देती हैं तथा महासरस्वती किसी भी प्रकार के संकट से जूझकर पार उतार देने वाली बुद्धि और विद्या प्रदान करती हैं।

 

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ऐसा कहा जाता है कि तीन चरित्रों के लिए प्रतिदिन एक-एक माला अर्थात प्रतिदिन तीन माला इस बीज मंत्र का जाप करने से सारे विघ्नों का नाश हो जाता है तथा मानसिक तथा शारीरिक शक्ति की प्राप्ति हाती है। इस प्रकार यदि साधक शुद्ध मन से जाप करे तो मां दुर्गा के तीनों स्वरूपों को प्रसन्न कर मनोवांछित वर प्राप्त कर सकता है।

Navarna Mantra : नव ग्रह से भी है संबंध

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नौ अक्षर वाले इस अद्भुत मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई हैं जिनका संबंध नवग्रहों से भी है। नवार्ण मंत्र के जप और मां दुर्गा की आराधना से सभी अनिष्ट ग्रह शन्त हो जाते हैं और मनुष्यों की दारुण बाधाएं भी शांत होती हैं।

 

श्री दुर्गासप्तशती अध्याय 13 श्लोक 4-5 के अनुसार

 

तामुपैहि महाराज शरणं परमेश्वरीम्।
आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा।।

 

अर्थ :- महर्षि मेधा राजा सुरथ से कहते हैं – हे राजन ! आप उन्हीं भगवती की शरण ग्रहण कीजिये । वे आरधना से प्रसन्न होकर मनुष्यों को भोग, स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती हैं। ऐश्वर्य की इच्छा रखने वाले राजा सुरथ ने देवी की आराधना से अखण्ड साम्राज्य प्राप्त किया और वैराग्यवान समाधि वैश्य को देवी ने मोक्ष प्रदान किया।

 

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Navarna Mantra: नवार्ण मंत्र के जाप की विधि

श्री दुर्गासप्तशती के पाठ के पूर्व नवार्ण मंत्र का जाप किया जाता है। देवी की उपासना करने वाले इस मंत्र का जप नित्य अपनी सुविधानुसार अर्थात १, ७, ११, २१ माला कर सकते हैं । ध्यान रहे कि इस मंत्र का जाप सदैव कमलगट्टे, रूद्राक्ष, लाल चंदन या फिर स्फटिक की माला से ही करें। पूर्णतया एकाग्रचित्त होकर मां भगवती के सम्मुख बैठकर ही इस मंत्र का जाप किया जाना चाहिये ऐसा करने से मां शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं।

Navarna Mantra Benifits : देवी ने स्वयं दिया नवार्ण मंत्र जप करने का निर्देश

 

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देवी जगदम्बिका ने भगवान श्री ब्रह्मा, श्रीविष्णु और श्री महेश से इस प्रकार कहा – “ आप इस मंत्र को सभी मंत्रों से श्रेष्ठ जानिए। बीज और ध्यान से युक्त मेरे इस नवाक्षर मंत्र का जप समस्त भय दूर कर देगा। मेरे द्वारा दिया गया वाग्बीज ( ऐं ), कामबीज        ( क्लीं ) तथा मायाबीज ( ह्रीं ) इनसे युक्त यह मंत्र परमार्थ प्रदान करने वाला है अतः आप निरंतर इसका जप कीजिए, ऐसा करने से न तो मृत्यु का भय होगा और न ही काल का डर सताएगा।

 

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पराम्बा आदिशक्ति ने ब्रह्मा को महासरस्वती, विष्णु को महालक्ष्मी तथा शिव को महाकाली अर्थात गौरी देवियों को देकर ब्रह्मलोक, विष्णुलोक तथा कैलाश जाकर अपने-अपने कार्यों का पालन करने का निर्देश दिया।

आदिशक्ति देवी भगवती मनुष्य की इच्छा से अधिक फल प्रदान करने की सामर्थ्य से युक्त हैं ऋग्वेद में (१०/१२५/५) में देवी कहती हैं – “मैं जिस-जिसको चाहती हूं उस-उसको श्रेष्ठ बना देती हूं तथा उसे ब्रह्मा, ऋषि या अत्यंत प्रभावशाली मनुष्य बना देती हूं। ”

॥इति नवार्ण मंत्र Navarna Mantra समाप्त्॥