fbpx

Neel Saraswati Stotram : नील सरस्वती स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

Spread the love

Neel Saraswati Stotram : नील सरस्वती स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Neel Saraswati Stotram में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि मां सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है तथा वह भारत ही नहीं अपितु समस्त विश्व में श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक पूजी जाती हैं। किन्तु क्या आप जानते हैं कि माता सरस्वती की पूजा शत्रु नाश के लिए भी की जाती है ?

Neel Saraswati Stotram

यदि नहीं, तो आज की पोस्ट में हम माता शारदे को समर्पित एक ऐसे ही स्तोत्र को जानेंगे जिसको पढ़ने मात्र से साधक को अपने शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है इस स्तोत्र का नाम है “ नील सरस्वती स्तोत्र (Neel Saraswati Stotram)।” इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से साधक की बुद्धि तीक्ष्ण होती है साथ-ही-साथ उसमें विद्या, ज्ञान तथा कवित्व शक्ति का भी संचार होता है।

Neel Saraswati Stotram Benefits

नील सरस्वती स्तोत्र Neel Saraswati Stotram का पाठ शत्रुओं का नाश करने वाला एवं विद्या प्राप्त कराने वाला है। नील सरस्वती की साधना तंत्रोक्त विधि से भी की जाती है, इसे दस महाविद्याओं में से एक माना गया है। इस पोस्ट में हम आज माता सरस्वती के इसी सिद्ध तथा अत्यंत चमत्कारिक स्तोत्र को जानेंगे। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं।

 

Also Read : ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके मंत्र | Sarva Mangala Mangalye Mantra In Hindi

नील सरस्वती कौन हैं ?

दोस्तों, नील सरस्वती माता सरस्वती का ही एक स्वरूप हैं, जिनकी आराधना शत्रु नाश के लिए की जाती है। माता अपने सौम्य रूप में जहां विद्या प्रदान करती हैं वहीं अपने भक्तों पर आने वाली विपदाओं को हरने के लिए उग्र रूप धारण कर नील सरस्वती के रूप में उन्हें अभय प्रदान करती हैं।

Neel Saraswati Stotram॥ नील सरस्वती स्तोत्र ॥

 

Neel Saraswati Stotram

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥1॥

भावार्थ भयानक रूपवाली, घोर निनाद करनेवाली, सभी शत्रुओं को भयभीत करनेवाली तथा भक्तों को वर प्रदान करनेवाली हे देवि ! आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।
जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥2॥

भावार्थ देव तथा दानवों के द्वारा पूजित, सिद्धों तथा गन्धर्वों के द्वारा सेवित और जड़ता तथा पाप को हरने वाली हे देवि ! आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

Neel Saraswati Stotram

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।
द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥3॥

भावार्थ जटाजूट से सुशोभित, चंचल जिह्वा को अंदर की ओर करने वाली, बुद्धि को तीक्ष्ण बनाने वाली हे देवि ! आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

सौम्यक्रोधधरे रुपे चण्डरूपे नमोऽस्तु ते।
सृष्टिरुपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्। ॥4॥

भावार्थसौम्य क्रोध धारण करनेवाली, उत्तम विग्रहवाली, प्रचण्ड स्वरूपवाली हे देवि ! आपको नमस्कार है। हे सृष्टिस्वरुपिणि माता ! आपको नमस्कार है, मुझ शरणागत की रक्षा करें।

Neel Saraswati Stotram

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला।
मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥5॥

 

Also Read : Sampoorna Durga Saptashati Paath दुर्गा सप्तशती

 

भावार्थ आप मूर्खों की मूर्खता का नाश करती हैं तथा भक्तों के लिये भक्तवत्सला हैं। हे देवि ! आप मेरी मूढ़ता को हरें और मुझ शरणागत की रक्षा करें। neel saraswati stotram

वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नमः।
उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्। ॥6॥

भावार्थ वं ह्रूं ह्रूं बीजमन्त्रस्वरूपिणी हे देवि ! मैं आपके दर्शन की कामना करता हूँ। बलि तथा होम से प्रसन्न होनेवाली हे देवि ! आपको नमस्कार है। उग्र आपदाओं से तारनेवाली हे उग्रतारे ! आपको नित्य नमस्कार है, आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

Neel Saraswati Stotram

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे।
मूढ़त्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥7॥

भावार्थ हे देवि ! आप मुझे बुद्धि दें, यश दें, कवित्वशक्ति दें और मेरी मूढ़ता का नाश करें। आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

इन्द्रादिविलसद्द्वन्द्ववन्दिते करुणामयि।
तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम्। ॥8॥

भावार्थ इन्द्र आदि के द्वारा वन्दित शोभायुक्त चरणयुगल वाली, करुणा से परिपूर्ण, चन्द्रमा के समान मुखमण्डल वाली तथा जगत को तारनेवाली हे भगवती तारा ! आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

Neel Saraswati Stotram

अष्टम्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां यः पठेन्नरः।
षण्मासैः सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा। ॥9॥

भावार्थजो मनुष्य अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी तिथि को इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह छः महीने में सिद्धि प्राप्त कर लेता है, इसमें संदेह नहीं करना चाहिए।

मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम्।
विद्यार्थी लभते विद्यां तर्कव्याकरणादिकम्। ॥10॥

भावार्थ इसका पाठ करने से मोक्ष की कामना करनेवाला मोक्ष प्राप्त कर लेता है, धन चाहनेवाला धन पा जाता है तथा विद्या चाहनेवाला विद्या तथा तर्क – व्याकरण आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

Neel Saraswati Stotram

इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाऽन्वितः।
तस्य शत्रुः क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते। ॥11॥

भावार्थ जो मनुष्य भक्तिपरायण होकर इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके शत्रु का नाश हो जाता है साथ ही उसमें महान बुद्धि का उदय भी हो जाता है।

पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये।
य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशयः। ॥12॥

भावार्थ जो व्यक्ति विपत्ति में, संग्राम में, मूर्खत्व की दशा में, दान के समय तथा भय की स्थिति में इस स्तोत्र को पढ़ता है, उसका कल्याण हो जाता है, इसमें संदेह नहीं है।

Neel Saraswati Stotram

इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत्। ॥13॥

भावार्थ इस प्रकार स्तुति करने के अनन्तर देवी को प्रणाम करके उन्हें योनिमुद्रा दिखानी चाहिए।

Neel Saraswati Stotram

॥ श्री नील सरस्वती स्तोत्रं सम्पूर्णम ॥

 

Neel Saraswati Stotram Benefits : स्तोत्र के लाभ

 

Neel Saraswati Stotram Benefits

जो मनुष्य भक्तिपूर्वक  नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करता है वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लेता है। एक मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति विशेष तिथिओं जैसे अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी को इस स्तोत्र का पाठ करता है उसे सिद्धि की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मोक्ष की कामना करने वाला मोक्ष पा लेता है ,धन चाहने वाला धन पाता है और विद्या चाहने वाला विद्या तथा तर्क व्याकरण आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

Neel Saraswati Stotram

॥ इति॥

दोस्तों, आशा करते हैं कि आपको Neel Saraswati Stotram पोस्ट पसंद आई होगी। यदि पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया इसे आगे भी शेयर करें तथा इसी तरह की अन्य जानकारियां पाने के लिए ब्लॉग को सब्सक्राइब कर लें जिससे कि हम सरलतापूर्वक नवीनतम पोस्ट आप तक पहुंचाते रहें। धन्यवाद, आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


Spread the love