Rinharta Ganesh Stotra : ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित|
Table of Contents
जय गणेश जय सिद्धिविनायक, रिद्धि-सिद्धि के दाता,
जो कोई तुमको नमन करे वो मनवांछित फल पाता रे
मनवांछित फल पाता। जय गणेश जय सिद्धिविनायक…
नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Rinharta Ganesh Stotra में आपका स्वागत है दोस्तों, जैसा कि हम सभी को ज्ञात है कि भगवान श्री गणेश देवताओं में प्रथम पूज्य हैं तथा इन्हें यह आशीर्वाद स्वयं भगवान शिव ने प्रदान किया है। भगवान गणेश का एक नाम “विघ्नविनाशन” भी है, विघ्नविनाशक अर्थात सभी विघ्नों का नाश करने वाले देवता।
दोस्तों ! यही कारण है कि जब भी कोई मांगलिक कार्य अथवा शुभ कार्य जैसे विवाह हो, गृह प्रवेश हो या फिर किसी दुकान आदि का मुहूर्त हो इन सभी अनुष्ठानों में सर्वप्रथम श्री गणेश का आह्वान किया जाता है जिससे हमारे सभी कार्य बिना किसी अड़चन के सफलतापूर्वक सिद्ध हो सकें।
आज की पोस्ट में हम श्री गणेश स्तोत्र को हिन्दी अर्थ सहित जानेंगे । इस स्तोत्र के पाठ से मनुष्य को सभी ऋणों से मुक्ति मिलती है तथा साथ ही मनोकामनायें भी पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही वह मनुष्य सदैव सफलता के पथ पर अग्रसर रहता है। तो आईये ! पोस्ट आरंभ करते हैं।
Rinharta Ganesh Stotra : इस स्तोत्र से मिलती है सभी ऋणों से मुक्ति
जैसा कि हम पोस्ट की शुरूआत में चर्चा कर चुके हैं कि भगवान गणेश के इस ऋणनाशक स्त्रोत का पाठ करने से सभी ऋणों से मुक्ति मिलती है, इसके संबंध में एक कथा इस प्रकार है। एक समय भगवान चंद्रशेखर माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान थे तब माता ने उनसे पूछा कि स्वामी ! जो मनुष्य किसी कारणवश कर्ज में फंसे हुये हैं वे किस प्रकार ऋण से मुक्त हो सकते हैं ?
शिवजी बोले – देवी ! आपने जगत कल्याण हेतु अत्यंत हितकारी बात पूंछी है, सो ध्यानपूर्वक इसका उत्तर सुनो। देवों में प्रथम पूज्य श्री गणेश ऋण मुक्ति दायक हैंं, यदि ऋण में फंसा हुआ कोई भी मनुष्य शुद्ध तथा पवित्र हृदय से श्री गणेश के इस स्तोत्र का पाठ करता है तो निश्चित ही वह ऋण से सदा के लिए मुक्त हो जाता है।
Rinharta Ganesh Stotra Path : ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र
ध्यानं
सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेश लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम्।
ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम्।।
भावार्थ :- सच्चिदानन्द भगवान गणेश की अंगकान्ति सिन्दूर के समान है। उनके दो भुजाएं हैं, वे लम्बोदर (लंबे पेट वाले) हैं तथा कमलदल पर विराजमान हैं, ब्रह्मा आदि देवता उनकी सेवा में लगे हैं तथा वे सिद्ध समुदाय से घिरे हुए हैं। देवताओं में ऐसे प्रथम पूज्य श्री गणपति जी को मेरा प्रणाम है।
ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र प्रारंभ
सृष्टयादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे ॥1॥
भावार्थ :- सृष्टि के अदिकाल में ब्रह्माजी ने सृष्टिरूप फल की सिद्धि के लिए जिनका सम्यक पूजन किया था वे पार्वती पुत्र सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चितः।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे ॥2॥
भावार्थ :- त्रिपुर वध के पूर्व भगवान शिव ने जिनकी सम्यक् आराधना की थी, वे पार्वतीनन्दन श्री गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
हिरण्यकश्यपादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ॥3॥
भावार्थ :- भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप आदि दैत्यों के वध के लिए जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीकुमार गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
महिषस्य वधे देव्या गणनाथ : प्रपूजितः।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥4॥
भावार्थ :- महिषासुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने जिन गणनाथ की उत्तम पूजा की थी, वे पार्वती नन्दन श्री गणेश सदा ही मेरे ऋणों का नाश करें Rinharta Ganesh Stotra ।
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजितः।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥5॥
भावार्थ :- कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर के वध से पूर्व जिनका भली-भांति पूजन किया था, वे पार्वतीपुत्र मेरे ऋण का नाश करें।
भास्करेण गणेशस्तु पूजितश्छविसिद्धये।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे ॥6॥
भावार्थ :- भगवान सूर्यदेव ने अपनी तेजोमयी प्रभा की रक्षा के लिए जिनकी आराधना की थी वे माता पार्वती के पुत्र सदा मेरे ऋण का नाश करें।
शशिना कान्तिसिद्धयर्थ पूजितो गणनायकः।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे ॥7॥
भावार्थ :- चन्द्रमा ने अपनी कान्ति की सिद्धि के लिए जिन गणनायक का पूजन किया वे मां पार्वती के पुत्र गणेश जी सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
पालनाय च तपसा विश्वामित्रेण पूजितः।
सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥8॥
भावार्थ :- विश्वामित्र ऋषि ने अपनी रक्षा के लिए तपस्या द्वारा जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीपुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
Rinharta Ganesh Stotra Benefits : ऋणहर्ता स्त्रोत की महिमा
इदं त्वृणहरं स्तोत्रं तीव्र दारिद्रयनाशनम्।
एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकंसमाहितः
दारिद्रयं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत्।
भावार्थ :- यह ऋणहर्ता स्तोत्र दारुण दरिद्रता का नाश करने वाला है। इसका प्रतिदिन एकाग्र तथा शुद्ध हृदय से पाठ करने से मनुष्य को निसंदेह ऋण से मुक्ति मिलती है तथा दरिद्रता भी दूर हो जाती है साथ -ही- साथ मनुष्य को कुबेर के समान ही धन-वैभव प्राप्त हो जाता है।
॥श्री ऋणहर्ता स्तोत्रम सम्पूर्णम॥
Ganesh ji Mantra : गणेश जी के अर्थ सहित मंत्र
1- नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥
भावार्थ :- मैं भगवान गजानन की पूजा करता हूं, जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं। सूर्य के समान सुवर्ण तथा दीप्तिमान तेज से चमक रहे हैं। नाग को यज्ञोपवीत रूप में धारण करते हैं, लम्बोदर अर्थात लम्बे पेट वाले हैं व कमल के सुंदर आसन पर विराजमान हैं।
2- गजाननं भूतगणादि सेवितं
कपित्थजम्बूफलसार भक्षितम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारणं
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥
भावार्थ :- गजानन (हाथी के जैसे सर वाले) के मुख वाले, भूत गणों के द्वारा सेवा किए जाने वाले, आप कपिथा (वुड एप्पल) जाम्बु /जामुन (रोज एप्पल) को ग्रहण (चाव से खाने वाले ) करने वाले, जो उमा के पुत्र हैं। जिनके द्वारा समस्त दुखों को समाप्त किया जाता है।
मैं उन सभी विघ्नों को दूर करने वाले श्री गजानन जी को नमन करता हूँ। भूतगण भगवान शिव के भक्त हैं। शिव पुत्र होने के कारण भूतगण को गणेश जी के भी भक्त कहा गया है। श्री गजानन जी को कैथ तथा जामुन के फल अत्यंत ही प्रिय हैं।
॥ इति ॥
आशा करते हैं कि आपको पोस्ट Rinharta Ganesh Stotra पसंद आई होगी। यदि पसंद आई हो तो कृपया पोस्ट को शेयर करें आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से भी दे सकते हैं भगवान श्री गणेश आपके सभी विघ्नों का नाश करें धन्यवाद। आपका दिन शुभ तथा मंगलमय हो।
नमस्कार दोस्तों, मैं सुगम वर्मा (Sugam Verma), Jagurukta.com का Sr. Editor (Author) & Co-Founder हूँ । मैं अपनी Education की बात करूँ तो मैंने अपनी Graduation (B.Com) Hindu Degree College Moradabad से की और उसके बाद मैने LAW (LL.B.) की पढ़ाई Unique College Of Law Moradabad से की है । मुझे संगीत सुनना, Travel करना, सभी तरह के धर्मों की Books पढ़ना और उनके बारे में जानना तथा किसी नये- नये विषयों के बारे में जानकारियॉं जुटाना और उसे लोगों के साथ share करना अच्छा लगता है जिससे उस जानकारी से और लोगों की भी सहायता हो सके। मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आशा है आप हमारी पोस्ट्स को अपने मित्रों एवं सम्बंधियों के साथ भी share करेंगे। और यदि आपका कोई question अथवा सुझाव हो तो आप हमें E-mail या comments अवश्य करें।