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Moral Stories : गरीब चायवाला की कहानी

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Moral Stories : गरीब चायवाला की कहानी

Garib Chaiwala

 

किसी गांव में मदन नाम का एक गरीब चायवाला रहता था। उसके घर में उसकी पत्नि सीमा और उसकी बेटी रीनू थे। रमन गांव में ही चाय बेचता था इसी से उसका तथा परिवार का खर्च बड़ी मुश्किल से चल पाता था।

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शाम को मदन जब घर लौटता तो रास्ते में एक नदी बहती थी जिसमें रंग-बिरंगी मछलियां रहती थीं उन मछलियों को वह आटे की गोलियां खिलाया करता था। ऐसा करने से उसके मन को बड़ी शान्ति मिलती थी और मछलियां भी उससे खुश रहती थीं।

Garib ki kahani गरीबी के कारण मदन अपनी बेटी रीनू के स्कूल की फीस भी बड़ी मुश्किल से भर पाता था। एक दिन रीनू स्कूल से रोते हुए घर आई। मदन के पूछने पर उसने बताया कि आज उसकी टीचर ने स्कूल से उसका नाम काट दिया क्योंकि मदन ने पैसों की कमी के कारण पिछले तीन महीनों से उसकी फीस नहीं भरी थी।

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Moral Stories अगले दिन मदन चाय बेचने नहीं गया बल्कि उदास मन से नदी किनारे जाकर बैठ गया और वहीं बैठकर मछलियों को दाना डालने लगा। जब वह वापस जाने लगा तो उस नदी से एक सुनहरी जलपरी निकली और मदन से बोली कि क्या बात है मदन ? आज तुम उदास लग रहे हो।

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मदन उस जलपरी jalpari ki kahani को देखकर हैरान हो गया उसने पूछा कि आप कौन हो और मेरा नाम कैसे जानती हो ? जलपरी ने कहा – मैं एक जलपरी हूं और मुझमें कुछ जादुई शक्तियां हैं जिससे मैंने तुम्हारा नाम जान लिया। तुम्हारी मछलियों को दाना खिलाने की आदत से मैं प्रसन्न हूं।

अगर तुम्हें कोई कष्ट है तो मुझे बताओ मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूंगी Garib ki kahani। मदन ने सारी बात उस जलपरी को बता दी। जलपरी ने कहा — मदन कल तुम सूरज निकलने से पहले यहां आना । मैं तुम्हें सोने के सिक्कों से भरा थैला दूंगी जिससे तुम अपने परिवार का खर्चा अच्छे से उठा सकोगे। यह सुनकर जलपरी वापस नदी में चली गई Moral Stories।

अगले दिन सूरज निकलने से पहले ही मदन नदी पर पहुंचा तभी वहां जलपरी प्रकट हुई और उसने मदन को सोने के सिक्कों से भरी एक थैली दे दी। मदन ने जलपरि को धन्यवाद दिया और मछलियों को दाना खिलाकर वापस अपने घर चल दिया तथा उस थैले को उसने एक सुनार को बेच दिया जिससे उसे बहुत सारे पैसे मिले।

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सबसे पहले मदन ने अपनी बेटी के स्कूल की फीस भरी जिससे कि वह वापस अपनी पढ़ाई शुरू कर सके। कुछ महीने के बाद मदन ने उन पैसों की मदद से एक छोटा सा होटल शुरू कर दिया। उस होटल से उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी होने लगी तथा उसने एक पक्का मकान भी बनवा लिया।

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मदन ने सोचा कि अब उसके पास अच्छा-खासा धन हो गया है अब वह जलपरी को धन्यवाद करके सोने का थैला उसे वापस कर देगा क्योंकि अब वह मेहनत से व्यापार के द्वारा अपने परिवार का खर्च चला सकता है। ऐसा सोचकर वह रात को जल्दी सो गया Garib ki kahani in hindi।

उसी गांव में रमेश और सुरेश नाम के दो व्यक्ति रहते थे। वे मदन की सफलता से ईर्ष्या रखने लगे कि वह इतनी जल्दी कैसे धनी व्यक्ति बन गया। किसी तरह उन्हें सोने के सिक्के वाली बात पता चल गई। अब तो रमेश और सुरेश ने एक योजना बनाई कि कल जब वह नदी के पास जायेगा तो हम उससे सोने के सिक्कों की थैली छीन लेंगे।

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योजना के अनुसार दोनों ने मदन का पीछा किया और नदी के पास ही एक झाड़ी के पीछे छिप गये। मदन ने जलपरी को थैला वापस करते हुये कहा कि जलपरी तुमने मेरी बहुत मदद की है और तुम्हारे कारण मैं अब एक धनी आदमी बन गया हूं। साथ ही मैंने अपना व्यापार भी शुरू कर लिया है इसलिये मैं यह सोने के सिक्कों की थैली आपको लौटाना चाहता हूं Garib ki kahani।

जलपरी मदन की ईमानदारी से बड़ी प्रसन्न हुई। अभी वह बात कर ही रहे थे कि रमेश और सुरेश दोनों ने मदन को पकड़ लिया और उसे धमकाने लगे और थैला देने के लिए कहा। यह देखकर जलपरी ने अपनी छड़ी घुमाकर उन दोनों को बेहोश कर दिया।

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Moral Stories उनके बेहोश होने पर जलपरी ने मदन से कहा कि हमेशा ईमानदारी से अपना व्यापार करना जिससे व्यापार में तुम्हारी खूब तरक्की होगी। यह सुनकर मदन ने जलपरी से वादा किया कि वह ईमानदारी और पूरी लगन से काम करेगा उसने जलपरी को धन्यवाद दिया और सिक्कों का थैला सुनहरी जलपरी को वापस कर दिया । फिर उससे विदा लेकर अपने घर वापस लौट गया।


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