Ganesh Ji ke 108 Naam : श्री गणेश जी के 108 नाम

Ganesh Ji ke 108 Naam : श्री गणेश जी के 108 नाम

Ganesh Ji ke 108 Naam

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

भावार्थ – हे विघ्नेश्वर, वर देने वाले, देवताओं के प्रिय, लम्बोदर, कलाओं से परिपूर्ण, जगत का हित करने वाले, गज यानी हाथी के समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को हमारा नमस्कार है। हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है।

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Ganesh Ji ke 108 Naam में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, आज की पोस्ट में हम चर्चा करेंगे गणों के अध्यक्ष, देवताओं में प्रथम पूज्य तथा महाराष्ट्र में सर्वाधिक पूजे जाने वाले सर्वाधिक प्रिय देवता श्री गणेश जी के बारे में।

 

Ganesh Mantra

 

प्रथम पूज्य भगवान गणेश के अनेकों नामों में से एक है गणपति। गण शब्द के विभिन्न अर्थ हैं । महर्षि पाणिनी के अनुसार गण यानी अष्टवसुओं का समूह। वसु का अर्थ दिशा, दिकपाल (दिशाओं का संरक्षक) या दिकदेव। अतः गणपति का अर्थ हुआ दिशाओं के पति यानी स्वामी।

ganesh ji ke 108 naam गणपति जी की अनुमति के बिना किसी भी देवता का किसी भी दिशा से आगमन नहीं हो सकता इसलिए किसी भी मांगलिक कार्य, अनुष्ठान या किसी भी देवी-देवता की प्राण प्रतिष्ठा के समय गणपति पूजन अनिवार्य है। गणपति जी द्वारा सर्व दिशाओं से मुक्त होने पर ही पूजित देवता पूजा के स्थान पर पधार सकते हैं।
इसी प्रकार की अन्य जानकारियां पाने के लिए आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।

 

Ganpati : गणपति कैसे कहलाये एकदंत

 

Ganesh Ji ke 108 Naam

 

शास्त्रों में गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है और उनके कई नामों में से एक नाम है एकदंत। एक प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार श्री परशुराम जी भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। किन्तु उस समय भगवान शिव विश्राम कर रहे थे, और उन्होंने अपने पुत्र श्री गणेश जी को पहरा देने के लिए कहा था।ganesh ji ke 108 naam

द्वार पर खड़े गणेश जी ने परशुराम जी को अंदर जाने से रोक दिया । परशुराम ने गणेश जी से काफी विनती की लेकिन वो नहीं माने तो अंत में परशुराम जी ने गणेश जी को युद्ध की चुनौती दी। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए गणेश जी ने युद्ध किया लेकिन इस दौरान परशुराम जी के फरसे के वार से उनका एक दांत टूट गया।

इतने में भोलेनाथ तथा माता पार्वती भी पहुंच गये। उन्हें देखकर महर्षि परशुराम जी को अपनी भूल का ज्ञान हुआ तथा उन्होंने क्षमा प्रार्थना के पश्चात गणेश जी को एकदन्त नाम से विश्व में प्रसिद्ध होने का वरदान दिया।

Ashtavinayak Maha Ganpati : अष्टविनायक महागणपति

 

Ashtavinayak

 

अष्टविनायक मंदिर पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर 50 किमी0 की दूरी पर स्थित राजणगांव में स्थित है। यहां भगवान गणपति की मूर्ति को माहोतक नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा करने के लिए इस मंदिर की मूल मूर्ति को तहखाने में छिपा दिया गया था।ganesh ji ke 108 naam

यद्यपि असली मूर्ति तहखाने में सुरक्षित रखी हुई है और कथित रूप से इसकी 10 सूंड और 20 हाथ हैं। ऐसी कहावत है कि रांजणगांव ही वह स्थान है जहां भगवान शिव के आशीर्वाद से भगवान गणपति ने अभिमानी असुर त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए महागणपति को त्रिपुरारी महागणपति के रूप में भी जाना जाता है।

Shree Ganesh : श्री गणेश जी की शारीरिक संरचना

 

Shree Ganesh

1. बड़ा सिर

गणेश जी का बड़ा सिर बड़ी सोच और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है जो संकेत देती है कि चाहे कैसी भी परिस्थिती हो मनुष्य को हमेशा अपनी सकारात्मक सोच रखनी चाहिए तथा बुद्धि से काम लेना चाहिए।

2. छोटी आंखें

एकाग्रता और सूक्ष्म दृष्टि का प्रतीक छोटी आंखे इस बात का प्रतीक है जो हमें सदा अपने मन को लक्ष्य के प्रति एकाग्र करना सिखाती हैं।

3. बड़े कान

भगवान श्री गणेश जी के बड़े कान बेहतरीन श्रवण शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं जो दर्शाते हैं कि मनुष्य को सदा अपने कान खुले रखने चाहिए साथ ही सदैव सतर्क रहना चाहिए।

4. छोटा मुख

छोटा मुख कम बोलने का प्रतीक है। गजानन का स्वरूप दर्शाता है कि हमें कम बोलने तथा अधिक सुनने की आदत डालनी चाहिए।

Ganesh Ji ke 108 Naam

5. एक दंत

विघ्नहर्ता श्री गणेश बुरी वस्तुओं का त्याग और अच्छी वस्तुओं को बनाए रखने का प्रतीक कहे जाते हैं।

6. सूंड

घुमावदार सूंड इनके कार्यकुशलता का प्रतीक मानी गई है।

7. कुल्हाड़ी

गणेश जी के हाथ में विद्यमान यह अस्त्र सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ति का प्रतीक है।

8. मोदक

मोदक यानी लड्डू आनंद तथा हर्षोल्लास को दर्शाता है।

9. बड़ा पेट

जीवन में शांतिपूर्वक सभी अच्छी और बुरी बातें स्वीकारने का प्रतीक। यह दर्शाता है कि मनुष्य को सुनी-सुनाई बातों को उदरस्थ कर लेना चाहिए यानी पेट में छिपा लेना चाहिए तथा साथ ही साथ निंदा व चुगली से बचना चाहिए।

Ganesh Ji ke 108 Naam

10. मूषक यानी चूहा वाहन

विकारों पर सवारी करने का प्रतीक। मन का स्वभाव है विकारों में भटकना । गणेश जी मूषक जैसे विकारों पर सवारी करने यानी अपने छोटे से छोटे बुरे विचारों पर नियंत्रण रखने का संदेश देते हैं।

आईये, जानते हैं गणेश जी के 108 (Ganesh Ji ke 108 Naam) नामों के बारे में।

Ganesh Ji ke 108 Naam: श्री गणेश जी के 108 नाम

Ganesh Ji ke 108 Naam

1. एकाक्षर

2. एकदन्त

3. बुद्धिनाथ

4. धूम्रवर्ण

5. प्रथमेश्वर

6. भालचन्द्र

7. गजकर्ण

8. गजानन

9. गजवक्र

10. गजवक्त्र

Ganesh Ji ke 108 Naam

11. गणाध्यक्ष

12. गणपति

13. गौरीसुत

14. लम्बकर्ण

15. लम्बोदर

16. महाबल

17. महागणपति

18. महेश्वर

19. मंगलमूर्ति

20. मूषकवाहन

Ganesh Ji ke 108 Naam

21. निदीश्वरम

22. बालगणपति

23. शूपकर्ण

24. शुभम

25. सिद्धिदाता

26. सिद्धिविनायक

27. सुरेश्वरम

28. वक्रतुण्ड

30. अलम्पता

Ganesh Ji ke 108 Naam

31. अमित

32. अविघ्न

33. अवनीश

34. अनन्तचिदरूपम

35. भीम

36. भूपति

37. भुवनपति

38. बुद्धिप्रिय

39. बुद्धिविधाता

40. चतुर्भुज

Ganesh Ji ke 108 Naam

41. देवादेव

42. देवांतकनाशकारी

43. देवव्रत

44. देवेन्द्राशिक

45. धार्मिक

46. दूर्जा

47. द्वैमातुर

48. एकदंष्ट्र

49. ईशानपुत्र

50. गदाधर

Ganesh Ji ke 108 Naam

51. गणाध्यक्षिण

52. गुणिन

53. हरिद्र

54. हेरम्ब

55. कपिल

56. कवीश

57. कीर्ति

58. कृपाकर

59. कृष्णपिंगाक्ष

60. क्षेमंकरी

Ganesh Ji ke 108 Naam

61. क्षिप्रा

62. मनोमय

63. मृत्युंजय

64. मूढ़ाकरम

65. मुक्तिदायी

66. नादप्रतिष्ठित

67. नमस्थेतु

68. नन्दन

69. सिद्धांथ

70. पीताम्बर

Ganesh Ji ke 108 Naam

71. प्रमोद

72. पुरुष

73. रक्त

74. रुद्रप्रिय

75. सर्वदेवात्मन

76 सर्वसिद्धांत

77. सर्वात्मन

78 ओमकार

79. शशिवर्णम

80 शुबगुणकानन

Ganesh Ji ke 108 Naam

81 श्वेता

82 सिद्धिप्रिय

83. स्कन्दपूर्वज

84. सुमुख

85. स्वरूप

86. तरूण

87. तरूण

87. उद्दण्ड

88. उमापुत्र

89. वरगणपति

90. वरप्रद

Ganesh Ji ke 108 Naam

91. वरदविनायक

92. वीरणपति

93. विद्यावारिधि

94. विघ्नहर

95. विघ्नहर्ता

96. विघ्नविनाशन

97. विघ्नराज

98. विघ्नराजेन्द्र

99. विघ्नविनाशाय

100. विघ्नेश्वर

Ganesh Ji ke 108 Naam

101. विकट

102. विनायक

103. विश्वमुख

104. विश्वराजा

105. यज्ञकाय

106. यशस्कर

107. यशस्विन

108. योगाधिप

Ganesh Mantra : गणेश जी की पूजा करने के लिए कुछ महामंत्र

 

Ganesh Ji ke 108 Naam

 

गणेश जी की पूजा करने के लिए कुछ महामंत्र बताए गए हैं। जो अत्यंंत सरल हैं तथा  संस्कृत नहीं जानने वाले लोग भी इन मंत्रों को पढ़ सकते हैं। इन मंत्रों को बोलने से पूजा पूर्ण होती है साथ ही गणेश जी भी  जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अर्थ सहित जानिए गणपति जी के ऐसे ही विशेष मंत्र –

 वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थ – घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।

मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)॥

अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥

अर्थ – हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप परशु धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है । आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है ।

Ganesh Ji ke 108 Naam

एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः ।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥

अर्थ – जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है ।

एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात॥

अर्थ – एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें।

Ganesh Aarti : श्री गणेश जी की आरती

Shree Ganesh Aarti

Ganesh Aarti

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

Ganesh Ji ke 108 Naam

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

Rinharta Ganesh Stotra

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

Rinharta Ganesh Stotra

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

Ganesh Chaturthi 2022
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

Ganesh ji ki kripa

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

Ganesh Chaturthi 2022

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता

जय देव जय देव॥
जय देव जय देव॥

॥इति॥

दोस्तों, आपको Ganesh Ji ke 108 Naam पोस्ट कैसी लगी कृपया हमें कमेंंट करके अवश्य बतायें। यदि आपको पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया इसे शेयर करें। श्री गणेश जी आपके सभी विघ्नों का नाश करें। धन्यवाद, आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।