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Moral Stories : चालाक रमन और बुद्धु चोर

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Moral Stories : चालाक रमन और बुद्धु चोर

रमन नाम का एक चतुर लड़का दीनापुर गांव में रहता था। उसके पिता बाहर कहीं काम किया करते थे वह अपनी मां के साथ एक छोटे से घर में रहा करता था। उनके घर के आंगन में अमरूद का एक पेड़ लगा हुआ था जिस पर ताजे व मीठे अमरूद लगा करते थे रमन के पड़ोसी तथा कुछ छोटे-छोटे बच्चे भी उनके आंगन से वह अमरूद ले जाया करते थे।

एक बार रमन की मां ने रमन से कहा कि -‘‘बेटा! तुम्हारे पिताजी पैसा कमाने के लिये बाहर गये हैं वे जो पैसा हमें भेजते हैं उससे हमारा गुजारा नहीं हो पाता क्यों न हम इस अमरूद के पेड़ से फल तोड़कर गांव के बाजार में बेच दिया करें जिससे हमारी कुछ आमदनी भी हो जायेगी तथा धन की कमी भी दूर हो जायेगी। यह सुनकर रमन मां से बोला-‘‘ ठीक हैं मां! मैं कल से ही इन अमरूदों को बाजार में बेचकर आया करूंगा। 

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अगले दिन सुबह रमन अमरूदों को एक टोकरे में भरकर बाजार की ओर चल दिया। रास्ते में एक जंगल पड़ता था जब रमन उस जंगल को पार कर रहा था तो दो चोर वहां बैठे हुये थे तथा आपस में बातें कर रहे थे। उनकी बातें रमन ने एक पेड़ के पीछे से छिपकर सुन ली थीं जो कि किसी को लूटने की योजना बना रहे थे। रमन उनकी बातें सुनकर सतर्क हो गया था।

जब वह वहां से जाने लगा तो दोनों चोरों ने उसे रोक लिया और पूछा कि -‘‘ए लड़के! कहां जा रहे हो ?‘‘ रमन ने बहादुरी से काम लिया और कहा कि -‘‘ मैं ये अमरूद बाजार में बेचने जा रहा हूं जिससे कुछ धन प्राप्त कर सकूं। चोरों ने कहा कि यह टोकरा यहीं रख दो नही तो तुम्हारे साथ अच्छा नहीं होगा।

ऐसा सुनकर रमन बिना डरे बोला कि इन अमरूदों को बेचने पर मुझे जो सोने के सिक्के मिलेंगे उसे मैं तुम्हें दे दूंगा। अभी मुझे जाने दो।‘‘ यह सुनकर चोर बोले -‘‘ पागल है क्या इन अमरूदों के बदले में तुझे कौन सोने के सिक्के देगा ?‘‘ रमन बोलो-‘‘ ये साधारण अमरूद नहीं हैं जादूई हैं।‘‘ उसकी बातों पर चोरों को विश्वास न हुआ लेकिन सोने के सिक्के के लालच में आकर वे बोले कि हम भी बाजार तुम्हारे साथ चलेंगे और देखेंगे कि कौन तुम्हें इनके बदले में सोने के सिक्के देता है यदि तुम्हें सोने के सिक्के मिलेंगे तो हम तीनों आपस में बराबर-बराबर बांट लेंगे। Moral Stories 

रमन ने कहा ठीक है! लेकिन मैं थक गया हूं इसलिए तुम में से कोई एक यह टोकरा लेकर बाजार तक मेरे साथ चले। रमन की बात उन्होंने मान ली उनमें से एक चोर ने टोकरा अपने सिर पर रख लिया और फिर तीनों बाजार की ओर चल दिये। जब वे बाजार पहुंच गये तो एक स्थान पर बैठकर ग्राहक का इंतजार करने लगे। तभी एक कंजूस सेठ जी वहां आए और अमरूद का भाव पूछा। तो रमन ने बताया कि एक किलो अमरूद का एक सोने का सिक्का लगेगा।

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सेठ जी बोले इनमें ऐसा क्या खास है कि तुझे सोने का सिक्का दूं। रमन बोला- ‘‘ इन अमरूदों को मैंने 10 दिन पहले पेड़ से तोड़ा है और देखिये ये आज तक इतने ताजे हैं। बिना सोचे लालच में आकर सेठ ने सोचा यदि मैं ये अमरूद यहां के राजा को बेच दूं तो वे खुश होकर मुझे बहुत-सा धन देंगे ऐसा सोचकर उसने सारे अमरूद खरीद लिये। Moral Stories 

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रमन को बदले में कुल तीस सोने के सिक्के मिले। अब रमन और वे दोनों चोर जंगल की ओर वापस चल दिये। वहां पहुंचकर एक स्थान पर बैठकर वे तीनों सिक्कों का बंटवारा करने लगे। रमन ने अपना दिमाग लगाया और बोला कि -‘‘ मैं तुममे से किसी एक को अपने हिस्से के दस सिक्के देना चाहता हूं लेकिन उसकी एक शर्त है।

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शर्त यह है कि तुम दोनों में से जो भी ताकतवर होगा उसी को यह सिक्के इनाम के रूप में मिलेगें। ऐसा सुनकर दोनों चोरों को लालच आ गया तथा वे दोनों आपस में बहस करने लगे कि मैं ताकतवर हूं। उन दोनों का झगड़ा इतना बढ़ चुका था कि वे दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे तथा दोनों आपस में मारपीट करने लगे।

मौका देखकर रमन ने वे सारे सिक्के उठाये और वहां से रफूचक्कर हो गया उसने वे सारे सिक्के घर लौटकर अपनी मां को दे दिये और सारी बातें बताईं। रमन की मां अपने बेटे की होशियारी तथा बहादुरी पर बड़ी प्रसन्न हुई और उसने मन-ही-मन ईश्वर को धन्यवाद दिया।

॥ समाप्त ॥

शिक्षा :-   हमें कठिन परिस्थितियां में भी कभी घबराना नहीं चाहिये तथा समझदारी से काम लेना चाहिए।

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