गणेश जी की कृपा: Ganesh Ji Ki Kripa

गणेश जी की कृपा: Ganesh Ji Ki Kripa

Ganesh Ji Ki Kripa किसी गांव में राजू नाम का व्यक्ति रहता था उसके परिवार में उसकी मां, पत्नी रीना तथा एक पांच वर्ष का बेटा मनु रहता था। पूरा परिवार खुशहाल तथा प्रसन्न था। एक दिन की बात है राजू काम से जब घर लौटा तो उसकी तबियत खराब हो गई, पास के गांव से वैद्य जी को बुलाया उन्होंने उसे दवाई दे दी। किन्तु उसकी तबियत में कोई सुधार ना हुआ तथा कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गयी।

अब परिवार की आजीविका पर संकट आ पड़ा, इधर राजू की मां का व्यवहार राजू की पत्नी तथा बेटे पर दिन-पर-दिन खराब होता चला जा रहा था। वह दोनों को खूब ताने देती तथा भला-बुरा कहती।

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Ganesh Ji Ki Kripa

Ganesh ji ki kripa

एक दिन रीना की सास ने मां-बेटे को घर से निकाल दिया, दोनों रोते-रोते घर से चले गये । अब सबसे बड़ा प्रश्न था कि आखिर इतने बड़े गांव में कौन उन्हें आश्रय देगा। कुछ दूर चलने पर उन दोनों को भगवान गणेश Ganesh Ji का एक भव्य मन्दिर दिखाई दिया । मन्दिर में एक बुजुर्ग पुजारी रहते थे। उनकी दृष्टि इन दोनों पर पड़ी तो उन्हें मंदिर में बुलाया तथा रोने का कारण पूछा।

रीना ने रोते हुये उन्हें सारी बात बताई। पण्डित जी यह सुनकर दुःखी हुये तथा उन्होंने अपने परिचित के खाली पड़े मकान में उन्हें स्थान प्रदान कर दिया, मन्दिर में ही जो चढ़ावा आता था उसका थोड़ा भाग वह रीना और उसके पुत्र के लिए भेज दिया करते थे। रीना ने सोचा चढ़ावे के पैसों से घर चला पाना कठिन है तथा उसे घर चलाने के लिए कोई काम करना चाहिये किन्तु क्या काम करे ?

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पण्डित जी प्रतिदिन सुबह जल्दी उठते, मन्दिर की साफ-सफाई करते तथा भगवान को अर्पित करने के लिये फूल तोड़कर लाते।  यह देखकर रीना ने उनसे कहा कि पण्डित जी आपके स्थान पर मैं  फूल तोड़ लाया करूंगी और उसकी सुन्दर-सुन्दर माला तैयार कर दिया करूंगी। पण्डित जी ने कहा अच्छी बात है, तुम माला तैयार करके उन्हें बेचकर पैसे भी कमा सकती हो। रीना को यह सुझाव अच्छा लगा।  

अगली सुबह उसने गणेश जी का आशीर्वाद लेकर माला बेचने का काम शुरु कर दिया उसका बेटा मनु भी मां के काम में हाथ बंटाया करता था। ताजे फूलों से बनी माला देखकर ग्राहक उससे माला खरीदने लगे तथा कुछ ही दिनों में भगवान गणेश जी Ganesh Ji की कृपा से उसका काम अच्छा चल निकला। अब उसने छोटी-सी दुकान ले ली थी।

कुछ वर्षां के बाद उसका बेटा मनु भी बड़ा हो चला था। एक दिन मन्दिर में उस गांव के एक व्यापारी की पुत्री अपनी मां के साथ आयी। जब उसने रीना की दुकान से फूल लिये तो उसकी दृष्टि मनु पर पड़ी तो व्यापारी की पत्नी ने उनके बारे में पण्डित जी से पूछा। पण्डित जी ने सारी बातें बताई।

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उसके बाद वह घर लौट गये। शाम को व्यापारी से उसकी पत्नी ने उन मां-बेटे के बारे में बताया तथा अपनी पुत्री की शादी उससे करने का विचार बताया। व्यापारी को भी वर अपनी कन्या के लिये उचित लगा और विवाह के लिये तैयार हो गया। गणेश जी के मन्दिर में दोनों का विवाह बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुआ। 

उस व्यापारी के कोई पुत्र ना था इसीलिये उसने मनु को भी अपने साथ व्यापार में लगा लिया मनु के परिश्रम तथा ईमानदारी से व्यापार में खूब प्रगति हुयी। इधर रीना की सास की अवस्था खराब रहने लगी वह अकेली रहती तथा खराब स्वभाव के कारण कोई भी उसकी सहायता ना करता।

एक दिन रीना अपने पुत्र से बोली – बेटा ! तुम्हारी दादी बिलकुल अकेली हैं तथा वृद्धावस्था के कारण बीमार भी रहती हैं उन्होंने कैसा भी व्यवहार किया हो किन्तु हैं तो तुम्हारी दादी ही, उन्हें इस अवस्था में अकेला छोड़ना उचित ना होगा आज भगवान श्री गणेश की दया से हम सम्पन्न हैं तो क्यों ना उन्हें भी अपने साथ ही रख लें।

Ganesh Ji Ki Kripa

Ganesh ji ki kripa

अगले दिन रीना अपने पुत्र तथा बहु के साथ सास के घर पहुंची । दादी ने जब उन्हें देखा तो बहुत खुश हुयी साथ ही उसे अपने करनी पर पछतावा भी हुआ जिस कारण उसकी आंखों में आंसू आ गये। उन्होंने अपनी बहु रीना से अपने व्यहार के लिये क्षमा मांगी। रीना ने अपनी सास को क्षमा कर दिया और अपने साथ घर ले आयी तथा सभी साथ में रहने लगे।

Ganesh Ji Ki Kripa : Moral of Story

शिक्षा सच्चे मन से की गई भगवान की आराधना अवश्य सफल होती है।