छुटकी चिड़िया और राजा की कहानी : Chidiya Aur Raja Ki Kahani

छुटकी चिड़िया और राजा की कहानी : Chidiya Aur Raja Ki Kahani

 

Chidiya Aur Raja Ki Kahani

Chidiya Aur Raja Ki Kahani एक थी चिड़िया जिसका नाम था छुटकी। छुटकी बहादुर होने के साथ-साथ होशियार भी थी। सारे दिन इधर-उधर फुदकती रहती, कभी इस पेड़ का फल चखती तो कभी दूसरे पेड़ का, दिन बड़े मजे से कट रहे थे। एक दिन छुटकी राजा के राजमहल की छत पर बैठी थी तभी उसकी नजर छत पर रखे हुये बड़े आकर्षक कांच के एक गुलदस्ते पर पड़ी।

Chidiya Aur Raja Ki Kahani

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कौतूहलवश वह जाकर उस पर बैठ गयी और लगी शरारत करने। कभी उसमें अपना चेहरा देखती तो कभी उस पर चोंच मारती। अगले दिन अपनी और भी सहेली चिड़ियों को वहां पर बुला लाई और फिर सबके सब उस कांच के गुलदस्ते पर धमाचौकड़ी मचाने लगे। कुछ देर बाद शोर सुनकर राजा के सैनिक वहां आ गये तो सारी चिड़िया डरकर भागने लगीं और वह गुलदस्ता धड़ाम से नीचे गिरा और हो गया चकनाचूर।

राजा के सैनिकों ने उन्हें पकड़ना चाहा किन्तु उनके पास पंख नहीं थे इसलिए उन बेचारों के पास चिड़ियों को उड़ते देखने के सिवा और काई चारा नहीं था। यह सारी बात सैनिकों ने राजा को बताई जिस पर राजा को बड़ा क्रोध आया और उसने अपने मंत्री को बुलाकर आगे की योजना समझाई।

राजा ने अपने राज्य में यह संदेश भिजवा दिया कि अबसे कोई भी व्यक्ति चिड़ियों के लिये दाना-पानी की व्यवस्था नहीं करेगा यहां तक कि छत पर भी अनाज नहीं रखेगा। यह सब छुटकी सुन रही थी। उसने यह सारी बातें जाकर बाकी चिड़ियों को भी बतायी सबको चिन्ता सताने लगी कि आखिर अब उन्हें भोजन कौन देगा।

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राजा के डर से सभी ने पक्षियों के लिये दाना-पानी डालना बंद कर दिया था। चिडियों ने एक बैठक बुलाई जिसमें सबसे ज्यादा उम्र की चिड़िया बोली कि चिन्ता करने की बात नहीं है हम लोग जंगल में लगे पेड़ों के फलों पर निर्भर रह सकते हैं तथा अपनी भूख मिटा सकते हैं। जब यह बात राजा को पता चली तो उसने जंगल में मजदूर भेज दिये तथा पेड़ों पर से सारे फलों को तोड़ने का आदेश दे दिया। 

अब सभी पेड़ों से फल तोड़े जाने लगे, छुटकी गुस्से से बोली कि इतने सारे फलों को तोड़कर क्या करोगे तो मजदूरों ने कहा कि राजा का हुक्म है कि चाहें ये सारे फल फेंक दिये जायें किन्तु कोई भी चिड़िया इन फलों को ना खा सके। अब राजा ने सोचा कि क्यों ना सभी पक्षियों को कैद कर लिया जाये। ऐसा सोचकर वह उन पक्षियों के पास बड़ा सा पिंजरा लेकर गया। और बड़े भोलेपन से बोला कि मैं आप सबसे क्षमा मांगता हूं मैंने आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया ।
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मैंने आप सभी के लिये यह बड़ा-सा पिंजरा बनवाया है जिसमें आपके रहने और खाने-पीने की सारी व्यवस्था होगी और आपको भोजन के लिये नहीं भटकना पड़ेगा। छुटकी चिड़िया को राजा की बातों पर विश्वास ना हुआ वह बोली राजन! हम तो आजाद पंछी हैं पिंजरे में कैद नहीं रहना चाहते। इस पर राजा बोला कि इस पिंजरे का दरवाजा हमेशा खुला ही रहेगा आप लोग जब चाहे इसमें आ-जा सकते हैं।

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अब छुटकी राजा की चालाकी को समझ चुकी थी कि यह हम सबको इस पिंजरे में कैद करके कहीं बाहर भिजवाना चाहता है। वह बोली -“आप हमें थोड़ा समय दीजिये ताकि हम आपस में विचार-विमर्श कर सकें। राजा ने अनुमति दे दी। अब छुटकी ने सभी पक्षियों को राजा की चालाकी तथा धूर्तता के बारे में बता दिया। सभी ने योजना बनाई की इस राजा को कैसे इसी के पिंजरे में कैद किया जाये ।

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कुछ देर बाद सभी पक्षी राजा के समक्ष उपस्थित हुये। छुटकी ने कहा – महाराज! हमें आपका प्रस्ताव स्वीकार है तथा हम इस पिंजरे में जाने के लिये तैयार है किन्तु हम चाहते हैं कि आप एक बार इस पिंजरे में जाकर बताइये ताकि हमें विश्वास हो जाये कि यह पिंजरा हमारे लिये सुरक्षित होगा।

राजा को छुटकी की बात सुनकर बड़ा गुस्सा आया किन्तु उसने गुस्से को दबा लिया तथा बोला हां-हां इसमें कौन-सी बड़ी बात है। देखो मैं स्वयं इस पिंजरे के भीतर जाता हूं। दरबारियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया किन्तु राजा ने उनकी एक ना सुनी |

Chidiya Aur Raja Ki Kahani

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जैसे ही राजा ने पिंजरे में प्रवेश किया हलचल होते ही खटाक की आवाज के साथ पिंजरे का दरवाजा बंद हो गया राजा चिल्लाया, अरे कोई बाहर निकालो, पर किसी के पास पिंजरे का ताला खोलने की चाबी तो थी नहीं क्योंकि योजना तो यह थी कि जब पक्षी पिंजरे में बंद हो जायेंगे तो उन्हें पिंजरे सहित दूर फेंक दिया जायेगा। इसीलिये ताले की कोई चाभी भी नहीं बनवाई गयी थी |  अब राजा को बड़ा पछतावा हुआ और सभी चिड़ियों ने छुटकी की खूब प्रशंसा की।

Moral of the story : Chidiya Aur Raja Ki Kahani

हमें सदैव सतर्क रहना चाहिये।