चांदी का सिक्का देने वाली गाय: Magic Cow Story
किसी गांव में राजू नाम का एक किसान रहता था उसके पास एक गाय थी और खेती के लिये थोड़ी-सी जमीन थी। राजू संतोषी स्वभाव का था तथा जितना खेती तथा गाय के दूध को बेचकर से आमदनी होती उसी में खुश रहता था। उसके पड़ोस में दो किसान रहते थे जो हमेशा राजू से ईर्ष्या रखते थे वह किसी भी तरह राजू की गाय को हासिल करना चाहते थे।
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Magic Cow Story
एक दिन उन्होंने राजू से कहा कि हम तुम्हें मुंह मांगा धन देगें यह गाय हमें बेच दो किन्तु राजू को अपनी गाय से बहुत प्यार था इसलिये उसने मना कर दिया। एक दिन उन्होंने योजना बनाई कि कैसे इसका नुकसान किया जाये। इस योजना के अनुसार एक रात को उन दोनों ने राजू के खेत में आग लगा दी। राजू की सारी फसल जलकर नष्ट हो चुकी थी दोनों किसानों को लगा कि अब इसे गरीबी के कारण अपनी गाय बेचनी पड़ेगी। अपने जले हुये खेत को देखकर राजू को अत्यन्त दुःख हुआ।
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अब उसके पास कुल पूंजी के नाम पर 20 पुराने चांदी के सिक्के बचे थे जिनको उसने एक पोटली में बांधा और अपनी गाय के गले में बांध दिया ताकि रास्ते में किसी चोर को शक ना हो। अब वह गाय को लेकर उसे बेचने के लिये चल दिया। रात होने को आ गयी थी तो उसने एक धर्मशाला में रुकने का निर्णय लिया, उसने अपनी गाय को बाहर बांध दिया और अंदर चला गया।
Magic Cow Story
कुछ देर बाद गाय के गले में बंधी पोटली से एक सिक्का नीचे गिर गया। धर्मशाला के मालिक की दृष्टि उस पर पड़ी तो उसने सोचा कि यह तो जादुई गाय है जो चांदी का सिक्का देती है शायद इसके मालिक को इसके बारे में पता नहीं है। ऐसा कहकर वह राजू के कमरे में गया और पूछा कि यह गाय आपकी है।
राजू बोला हां! तो वह व्यक्ति बोला कि मैं इस गाय को खरीदना चाहता हूं। राजू को और क्या चाहिये था वह तैयार हो गया। धर्मशाला के मालिक ने राजू कोे सोने के पूरे 100 सिक्के देकर वह गाय खरीद ली। अब राजू की समस्या का समाधान हो गया था उसे इतना धन मिल चुका था कि वह एक के स्थान पर कई गाय खरीद सकता था।
उसने उस धन से कुछ अच्छी नस्ल की गाय खरीदीं और उनका ध्यान रखने के लिये नौकर भी रख लिये तथा खेती के लिये पहले से ज्यादा जमीन खरीद ली थी। अब राजू की गिनती गांव के बड़े तथा धनी किसानों में होने लगी थी। जो किसान उसका बुरा चाहते थे उनका दाँव उलटा पड़ चुका था।
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Magic Cow Story :Moral of the story कहानी का सार
कभी किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिये और न ही कभी करना चाहिये |
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