Maruti Stotra : श्री मारुती स्तोत्र

Maruti Stotra : श्री मारुती स्तोत्र

 

Maruti Stotra

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते

अर्थात – इस जगत में जितने भी दुष्कर कार्य हैं वे सभी आपका ध्यान करने मात्र से सरल बन जाते हैं।

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Maruti Stotra में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, श्री हनुमान जी का वर्णन कुछ शब्दों में किया जा सकना असंभव है बजरंगबली, मारूतिनंदन, वायुपुत्र तथा अजनि नंदन आदि अनेकानेक नामों से इनकी आराधना की जाती है।

 

Maruti Stotra

 

प्रभु श्रीराम तथा माता सीता की तो इन पर सदैव ही विशेष अनुकम्पा रही है। मां सीता ने स्वयं इन्हें अष्ट सिद्धियों तथा नव निधियों का स्वामी बनाया है। ऐसी मान्यता है कि आज भी जिस स्थान पर रामायण का पाठ होता है वहां स्वयं श्री हनुमान जी पधारते हैं तथा आयोजन की सफलता सुनिश्चित करते हैं।

श्री हनुमान जी की भक्ति के लिए यूं तो कई साधनायें हैं किन्तु आज हम बात करेंगे इनके एक विशेष स्तोत्र की जिसका नाम है मारुति स्तोत्र। इस पोस्ट में स्तोत्र के मराठी संस्करण के अतिरिक्त इसके पाठ की विधि तथा इससे होने वाले लाभ सहित अन्य जानकारियां आपको उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।

 

हनुमान जी की कृपा पाने का सिद्ध मंत्र : Maruti Stotra

 

Maruti Stotra in Marathi

 

मारुति स्तोत्र (Maruti Stotra) की आराधना श्री हनुमान जी की विशेष कृपा प्रदान करने वाली है या यूं कहें कि यह स्तोत्र बजरंगबली का आशीर्वाद पाने का सबसे सरल तथा सिद्ध मंत्र है। इस स्तोत्र को सदा अपने हृदय में धारण करने वाला मनुष्य सदैव निडर तथा निरोगी तो रहता ही है साथ ही हनुमान जी स्वयं प्रत्येक स्थान पर तथा प्रत्येक क्षण उसकी रक्षा करते हैं।

 

कौन हैं मारुति स्तोत्र (Maruti Stotra) के रचयिता

 

Maruti Stotra in Marathi

 

 इतिहासकारों का मानना है कि 17 वीं शताब्दी में मारुति स्तोत्र की रचना महान संत तथा वीर शिवाजी महाराज के गुरू श्री समर्थ रामदास जी ने की तथा इसे मराठी भाषा में भी लिखा। ऐसा माना जाता है कि समर्थ गुरु रामदास जी हनुमान जी के भक्त थे और उन्हीं की भक्ति में उन्होंने मारुति स्तोत्र की रचना की। इस स्तोत्र को तुरंत सिद्धी प्रदान करने वाला माना जाता है। नव ग्रह शांति एव्ं भूत-प्रेत बाधा में भी इस स्तोत्र (Maruti Stotra) का लाभ लिया जा सकता है।

 

॥अथ श्री मारुति स्तोत्र प्रारंभ॥

 

Maruti Stotra Lyrics

Maruti Stotra

ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।

प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।

प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।

भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।

शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।

ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।

Maruti Stotra

मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।

मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।

व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन

शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।

क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।

 

Shri Maruti Stotra

 

श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय

चूर्णय चूर्णय खे खे

श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु

ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा

विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।

हन हन हुं फट् स्वाहा॥

एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥

 

इति श्री मारुति स्तोत्रं संपूर्णम्

 

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अथ श्री मारुति स्तोत्र (मराठी संंस्करण)

Maruti Stotra in Marathi

 

Maruti Stotra in sanskrit

 

भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।

वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।

सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।

दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।

पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।

पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।

ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।

काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।

 

Maruti Stotra

 

ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।

नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।

पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।

सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।

ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।

चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।

 

Maruti Stotra

 

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।

मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।

आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।

मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।

अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।

तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।

 

Maruti Stotra

 

ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।

तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।

आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।

वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।

धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।

पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।

 

Maruti Stotra

 

भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।

नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।

हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।

दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।

रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।

 

॥ इति श्री रामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम ॥

 

Maruti Stotra : मारुति स्तोत्र के लाभ

 

Maruti Stotra

 

• मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को आशीर्वाद देते हैं।

• इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य की सभी समस्याओं व चिंताओं का समाधान श्री हनुमान के आशीर्वाद से हो जाता है। साथ ही जातक को शत्रु भय नहीं रहता।

• मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के जीवन में सभी तरह की शुख शांति मिलती है।

• इस स्तोत्र के पाठ से भक्त के ह्रदय से भय का नाश होता है।

Maruti Stotra

• इस स्तोत्र के पाठ से हनुमान जी अपने भक्त के सभी कष्टों का निवारण कर देते हैं।

• मारुती स्तोत्र के पाठ से जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

• मारुती स्तोत्रम् के पाठ से साधक के चारों ओर स्थित सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

•  ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का 1100 बार पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

• मारुती स्तोत्र के पाठ से साधक के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहता है।

• मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्त के सभी रोग तथा कष्टों का निवारण करतें हैं तथा से भक्त की शारीरिक व मानसिक शक्ति में भी वृद्धि होती है।

 

Maruti Stotra : मारुति स्तोत्र से दूर करें कुण्डली सम्बन्धि दोष

 

Maruti Stotra

 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र  के अनुसार प्रत्येक जातक की कुण्डली पर ग्रहों एवं नक्षत्रों की चाल का अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है। क्रूर ग्रहों के दोषों से बचने के लिये मारुति स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली है। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से विधिपूर्वक इस स्तोत्र का शुद्ध हृदय से पाठ करता है तो उसे मंगल-शनि तथा राहु-केतु आदि ग्रहों से संबंधित दोषों से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही जातक को इन ग्रहों के शुभ फल प्राप्त होते हैं।

 

इस प्रकार करें मारुति स्तोत्र (Maruti Stotra) का जाप

 

Maruti Stotra

 

• प्रातः काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जायें।

• इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है किंंतु यदि संभव न हो तो मंगल व शनिवार के दिन अथवा अपनी सुविधानुसार भी कर सकते हैं।

• मारुति स्तोत्र का पाठ प्रातः के समय या फिर संध्या वंदन के समय करना चाहिए।

• एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर हनुमान जी की प्रतिमा अथवा फोटो स्थापित करें।

• हनुमान जी को सिंंदूर प्रिय है इसलिये उन्हें सिंंदूर लगायें तथा नैवेद्य अर्पित कर लाल पुष्प व धूप-दीप आदि दिखायें।

• भोग के लिये लड्डू, बूंदी अथवा कोई अन्य मिष्ठान्न रख लें तथा हनुमान जी की विधिवत पूजा करें। तत्पश्चात स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें।

 

Maruti Stotra

 

• स्तोत्र का पाठ सदैव पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें।

• उत्तम फल की प्राप्ति के लिए पाठ को 1100 बार पढ़ें।

• पाठ करते समय मन में हनुमान जी का ध्यान करें।

• पाठ एक स्वर में तथा लय के साथ करें, अधिक ऊँची आवाज में चिल्लाकर पाठ न करें।

• पाठ करने वाले जातक को मांसाहार का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए।

• जातक को शराब, सिगरेट, पान-मसाला या अन्य मादक पदार्थ का भी सेवन नहीं करना चाहिए।

 

Maruti Stotra

 

॥ इति ॥

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