Dhanteras 2023 : जानिये धनतेरस का शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा, पूजा विधि
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नमस्कार दोस्तों, हमारे ब्लॉग पोस्ट Dhanteras में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, अक्टूबर माह त्योहारों का महीना माना जाता है, करवा चौथ, अहोई अष्टमी, धनतेरस तथा दीपावली आदि उत्सवों का आगमन इसी महीने में होता है। तिथि तथा पंचांगों के अनुसार इनमें आंशिक परिवर्तन होते रहते हैं किन्तु अधिकांशतया यही समय है जब एक के बाद एक ये त्योहार हमारे जीवन में हर्षोल्लास भरते हैं।
दीपावली भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख उत्सवों में से एक है। यह पंचदिवसीय उत्सव है जिसका प्रारंभ धनतेरस पर्व के आगमन से प्रारंभ होता है। आज की पोस्ट में हम जानेंगे धनतेरस के महत्व तथा इस पर्व की पौराणिक कथा के बारे में। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।
Dhanteras धनतेरस का पर्व छोटी दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहार दीपावली की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर देव की पूजा अर्चना की जाती है। आज के दिन बर्तन तथा सोने अथवा चांदी के समान की खरीद अत्यंंत शुभ मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई संपत्ति में कई गुना वृद्धि होती है, यही कारण है कि लोग इस दिन बर्तनों की खरीदारी के अलावा सोने-चांदी की चीजें भी खरीदते हैं।
Dhanteras : धनतरेस 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस दिन शुक्रवार 10 नवम्बर 2023 को है।
कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 नवम्बर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से होगा जो कि 11 नवम्बर की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक रहेग।
इस वर्ष धन्वंतरि देव की पूजा का शुभ मुहूर्त — शाम 5 बजकर २5 लेकर मिनट से 06 बजे तक है।
Dhanteras : धनतेरस की पौराणिक कथा
प्रचलित कथा के अनुसार एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए जा रहे थे तब लक्ष्मी जी ने भी उनसे साथ चलने का आग्रह किया। श्री हरि उनका आग्रह मानकर अपने साथा भूमंडल पर ले आये।
कुछ समय पश्चात एक स्थान पर पहुंचकर विष्णु जी ने माता लक्ष्मी से कहा मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं जब तक मैं न आंऊ तुम यहां ठहरो, उधर मत आना। विष्णु जी के जाने पर लक्ष्मी जी के मन में कौतुहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य है जो मुझे मना किया गया है और प्रभु स्वयं चले गये? चलकर देखना चाहिए।
लक्ष्मी जी से रहा न गया और जैसे ही भगवान आगे बढ़े माता लक्ष्मी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया। जिसमें खूब फूल लगे थे। सरसों की शोभा देखकर वह मुंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं। आगे जाने पर एक गन्ने के खेत से लक्ष्मी जी ने एक गन्ने को तोड़ा तथा उसके रस का आनंद लेने लगीं।
उसी क्षण भगवान विष्णु आए तथा लक्ष्मी जी पर क्रोधित होकर बोले कि मैंने आपसे इधर आने को मना किया था पर आप न मानीं तथा किसान की चोरी का अपराध कर बैठीं। अब इस दण्ड के फलस्वरूप आपको इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करनी होगी।
ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए। मां लक्ष्मी को बड़ा दुख हुआ तथा वह उस किसान के घर पर रहने लगीं, किसान तथा उसकी पत्नी उन्हें अपनी पुत्री की भांति प्रेम करते थे। एक दिन माता लक्ष्मी ने किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान कर पहले मेरे द्वारा बनाई गई देवी लक्ष्मी की मूर्ति का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होंगी।
किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया। पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी माता की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन अन्न, धन तथा स्वर्णों एवं रत्नों के भण्डार से भर गया। देवी लक्ष्मी ने किसान को धनधान्य से पूर्ण कर दिया, इस प्रकार से उस किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए।
फिर 12 वर्ष के बाद श्री विष्णु जब माता लक्ष्मी को लेने आए तो किसान ने उन्हें अपने घर पर ही रहने की विनती की। भगवान श्री हरी ने किसान से कहा कि यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं। इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं, अब यह अवधि पूर्ण हो चुकी है।
किसान तथा उसकी पत्नी तो उन्हें अपनी पुत्री की भांति प्रेम किया करते थे अतः वे दोनों दुःखी होकर विलाप करने लगे।
यह देखकर माता लक्ष्मी जी किसान से बोलीं कि वत्स! यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं वैसा करो। कल तेरस का दिन है, तुम कल अपने घर को अच्छी प्रकार से लीप-पोतकर स्वच्छ करना।
रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और सायंकाल मेरा पूजन करना साथ ही तांबे के एक कलश में रूपये भरकर रखना, मैं उस कलश में निवास करूंगी।
किंतु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी। इस एक दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर का कभी त्याग नहीं करूंगी। ऐसा कहकर दीपकों के प्रकाश के साथ माता लक्ष्मी श्री हरि विष्णु जी के साथ अन्तर्धान हो गईं। अगले दिन किसान ने लक्ष्मी जी के कहे अनुसार पूजन किया उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया तभी से प्रत्येक वर्ष तेरस Dhanteras के दिन लक्ष्मी जी की पूजा होने लगी।
Dhanteras : धनतेरस पूजा की विधि
• धनतेरस Dhanteras 2023 के दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर कुबेर और धन्वंतरि की स्थापना करें।
• मां लक्ष्मी व गणेश जी की भी प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर दीप प्रज्वलित कर विधिवत पूजन करना आरंभ करें।
• मां लक्ष्मी व गणेश जी को तिलक करने के बाद पुष्प, फल आदि चीजें अर्पित करें।
• कुबेर देवता को सफेद मिष्ठान और धन्वंतरि देव को पीले मिष्ठान का भोग लगाएं।
• पूजा की अवधि में ‘ऊँ ह्रीं कुबेराय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
• भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए इस दिन धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
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Dhanteras : धनतेरस का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि Dhanteras 2023 इसी दिन अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन उनका पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन धन की देवी लक्ष्मी, धन कोषाध्यक्ष कुबेर तथा भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती है। इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा भी है।
कुबेर देवता की आराधना कर पायें अक्षय संंपत्ति का भण्डार
कुबेर देवता को धन का स्वामी माना जाता है शास्त्रों के अनुसार जिस घर में कुबरे जी की नित्य पूजा होती है वहां मां लक्ष्मी सदैव विराजमान रहती हैं । भगवान कुबेर को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है, वह देवताओं के धन-संपत्ति के स्वामी हैं तथा संपत्ति की रक्षा का दायित्व उन पर है।
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आर्थिक तंगी दूर करने के लिये मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
यह भगवान कुबेर का सबसे प्रिय मंत्र है। मान्यता है कि 35 अक्षरों वाले इस मंत्र का जाप लगातार तीन महीने तक करने से मनुष्य को किसी भी तरह के धन-धान्य की कमी नहीं होती। साथ ही उसके जीवन में सुख- समृद्धि का वास रहता है। वहीं उसके ऊपर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है, इस पैंतीस अक्षरी मंत्र के ऋषि विश्रवा हैं ।
मंत्र जाप की विधि
• इस मंत्र का जाप दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके 108 बार करें।
• मंत्र का जाप करते समय धनलक्ष्मी कौड़ी को अपने पास जरूर रखें।
• मान्यता है कि इस मंत्र को बेल के पेड़ के नीच बैठकर इसका 1 लाख बार जप करने से सभी आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
धन- वैभव की प्राप्ति हेतु अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
यह मंत्र माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का माना जाता है। इस मंत्र के जाप से धन- वैभव की प्राप्ति होती है तथा धन आगमन के मार्ग खुलते हैं साथ ही समाज में मान- सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। विशेष लाभ पाने के लिए इस मंत्र की साधना शुक्रवार की रात को करनी चाहिए।
समस्त भौतिक सुख–सुविधाओं की प्राप्ति हेतु
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
इस मंत्र के नियमित जाप से आपको सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है तथा धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। साथ ही इस मंत्र के जाप से कुबेर जी की हमेशा कृपा बनी रहती है।
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