Ahoi Ashtami 2023 : संतान की दीर्घायु के लिये करें अहोई अष्टमी व्रत

 

Ahoi Ashtami 2023 : संतान की दीर्घायु के लिये करें अहोई अष्टमी व्रत

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Ahoi Ashtami 2023 में आपका स्वागत है। दोस्तों, संतान के लिए प्रत्येक व्यक्ति क्या कुछ नहीं करता ? अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य हेतु माता-पिता स्वयं की इच्छाओं का त्याग कर देते हैं कभी-कभी तो स्वयं भूखे रहकर भी उनका श्रेष्ठतम पालन-पोषण करते हैं जिससे कि उनकी संतान अपने जीवन में प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सके।

 

Ahoi Ashtami

 

दोस्तों, आज की पोस्ट में हम एक ऐसे व्रत/उपवास पर प्रकाश डालेंगे जो एक मां अपनी संतान की दीर्घायु तथा उसकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए धारण करती है, उस व्रत का नाम है अहोई अष्टमी व्रत। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यह पर्व मनाया जाता है। इस व्रत की कथा, व्रत के लाभ तथा व्रत से जुड़ी अन्य तमाम जानकारियों पर हम इस पोस्ट में प्रकाश डालेंगे। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।

अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि यह व्रत रखने से संतान के कष्ट समाप्त हो जाते है एवं उनके जीवन में सुख-समृद्धि व तरक्की आती है।

 

Ahoi Ashtami 2023 : अहोई अष्टमी 2023 कब है?

 

इस वर्ष Ahoi Ashtami 2023 अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवम्बर 2023, रविवार को रखा जाएगा। यह व्रत करवा चौथ के तीन दिन बाद अष्टमी तिथि में रखा जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। कई स्थानों पर महिलाएं चंंन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही इस व्रत का परायण करती हैं।

Ahoi Ashtami : अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त

 

अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 5 नवम्बर, 2023 को सुबह 12:59  बजे।
अष्टमी तिथि समाप्त – 6नवम्बर, 2023 को सुबह 3:18  बजे।

 

Ahoi Ashtami

 

Ahoi Ashtami 2023 : अहोई अष्टमी पूजन मुहूर्त

 

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त — 05:27  शाम से 06:45 तक।

तारों को देखने के लिये शाम का समय — 05:51 

 

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Ahoi Ashtami 2023 : मां पार्वती की भी करते हैं आराधना

 

अहोई को अनहोनी शब्द का अपभ्रंश कहा जाता है और मां पार्वती किसी भी प्रकार की अनहोनी को टालने वाली होती हैं। इस कारण ही अहोई अष्टमी के व्रत के दिन मां पार्वती की अराधना की जाती है। सभी माताएं इस दिन अपनी संतानों की लंबी आयु और किसी भी अनहोनी से रक्षा करने की कामना के साथ माता पार्वती व सेह माता की पूजा-अर्चना करती हैं।

 

Ahoi Ashtami Katha : अहोई अष्टमी व्रत कथा

 

Ahoi Ashtami katha

 

अहोई अष्टमी पर्व से सम्बंधित विभिन्न पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। जिनमें दो कथाएँ निम्नलिखित हैं –

Ahoi Ashtami : प्रथम कथा 

 

एक साहूकार था जिसके सात बेटे थे, सात बहुएँ तथा एक बेटी थी। दीपावली से पहले कार्तिक बदी अष्टमी को सातों बहुएँ अपनी इकलौती ननद के साथ जंगल जाकर खदान में मिट्टी खोद रही थीं, वहीं स्याहू (सेई ) की माँद थी। मिट्टी खोदते समय ननद के हाथ से सेई का बच्चा मर गया। स्याहू माता बोली कि मैं तेरी कोख बांधूंगी।

तब ननद अपनी सातों भाभियों से बोली कि तुममें से मेरे बदले कोई अपनी कोख बंधवा लो। सब भाभियों ने अपनी कोख बंधवाने से इन्कार कर दिया परन्तु छोटी भाभी सोचने लगी कि यदि मैं कोख नहीं बंधवाऊंगी तो सासूजी नाराज होंगी, ऐसा विचार कर ननद के बदले में छोटी भाभी ने अपनी कोख बंधवाली। इसके बाद जब उसे संतान होती  वह सात दिन बाद ही मर जाती।

एक दिन उसकी सास ने पंडित को बुलवाकर पूछा मेरी बहु की संतान सातवें दिन क्यों मर जाती है? तब पंडित ने सारी बात बताई और बहु से कहा कि तुम सुरही गाय की पूजा करो सुरही गाय स्याऊ माता की भायली है, वह तेरी कोख छोड़े तब तेरा बच्चा जियेगा। इसके बाद से वह बहू प्रातःकाल उठकर चुपचाप सुरही गाय के नीचे सफाई आदि कर जाती।

 

Ahoi Ashtami

 

गौ माता ने सोचा कि आजकल कौन मेरी सेवा कर रहा है, सो आज देखूंगी। गौ माता खूब तड़के उठीं और वह क्या देखती हैं कि साहूकार की बहू उसके नीचे सफाई आदि कार्य कर रही है। गौ माता उससे बोली —    “ तेरी सेवा से मैं प्रसन्न हूं बता तेरी क्या मनोकामना है।” तब साहूकार की बहू बोली कि स्याऊ माता तुम्हारी भायली है और उसने मेरी कोख बांध रखी है, सो मेरी कोख खुलवा दो।

गौ माता समुद्र पार अपनी भायली के पास उसको लेकर चली। रास्ते में कड़ी धूप थी, सो वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गईं। उसी पेड़ पर गरुड़ पंखनी (पक्षी) का बच्चा था, थोड़ी देर में एक साँप आया और उसको डसने लगा तब साहूकार की बहू ने साँप मारकर ढाल के नीचे दबा दिया और बच्चों को बचा लिया। थोड़ी देर में गरुड़ पंखनी आई तो वहाँ खून पड़ा देखकर साहूकार की बहू के चोंच मारने लगी।

 

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तब बहू बोली कि मैंने तेरे बच्चे को नहीं मारा बल्कि सांप तेरे बच्चे को डसने आया था, मैंने तो उससे तरे बच्चे की रक्षा की है। यह सुनकर गरुड़ पंखनी बोली कि मांग, तू क्या मांगती है ? वह बोली सात समुद्र पार स्याऊ माता रहती हैंं, हमें तू उसके पास पहुंचा दे। तब गरुड़ पंखनी ने दोनों को अपनी पीठ पर बिठाकर स्याऊ माता के पास पहुँचा दिया।

 

Ahoi Ashtami katha in hindi

 

स्याऊ माता उन्हें देखकर बोली कि आ बहन ! बहुत दिनों में आई, फिर कहने लगी कि बहन मेरे सिर में जूं पड़ गई हैं। तब सुरही के कहने पर साहूकार की बहू ने सलाई से उनकी जुयें निकाल दीं। इस पर स्याऊ माता प्रसन्न होकर बोली कि तूने मेरे सिर में बहुत सलाई गेरी हैं इसलिए तेरे सात बेटे और बहू होंगी, वह बोली मेरे तो एक भी बेटा नहीं सात बेटे कहां से होंगे।

स्याऊ माता बोलीं वचन दिया है, वचन से फिरूँ तो धोबी के कुण्ड पर कंकरी होऊँ तब साहूकार की बहू बोली मेरी कोख तो तुम्हारे पास बन्द पड़ी है। यह सुन स्याऊ माता बोली कि तूने तो मुझे ठग लिया, मैं तेरी कोख खोलती तो नहीं परन्तु अब खोलनी पड़ेगी। जा, तेरे घर तुझे सात बेटे और बहुयें मिलेंगी तू जाकर उजमन करियो, सात अहोई बनाकर सात कढ़ाई करियो।

जब वह लौटकर घर आई तो वहां देखा सात बेटे सात बहुयें बैठे हैं, वह खुश हो गई। उसने सात अहोई बनाईं सात उजमन किए तथा सात कढ़ाई कीं। रात्रि के समय जेठानियाँ आपस में कहने लगीं कि जल्दी-जल्दी धोक पूजा कर लो, कहीं छोटी (बहू) बच्चों को याद करके न रोने लगे।

 

Ahoi Ashtami

 

थोड़ी देर में उन्होंने अपने बच्चों से कहा- अपनी चाची के घर जाकर देख आओ कि आज वह अभी तक रोई क्यों नहीं। बच्चों ने जाकर कहा कि चाची तो कुछ माँड रही है, खूब उजमण हो रहा है। यह सुनते ही जेठानियां दौड़ी-दौड़ी घर आयीं और जाकर कहने लगीं कि तूने कोख कैसे छुड़ाई ? वह बोली तुमने तो कोख बंधाई नहीं, सो मैंने कोख बंधा ली थी। अब स्याऊ माता ने कृपा करके मेरी कोख खोल दी है। स्याऊ माता ने जिस प्रकार उस साहूकार की बहू की कोख खोली उसी प्रकार हमारी भी खोलियो। कहने वाले तथा सुनने वाले की तथा सब परिवार की कोख खोलियो।

 

Ahoi Ashtami Katha In Hindi :

 

Ahoi Ashtami : द्वितीय कथा

 

Ahoi Ashtami

 

दंतकथा के अनुसार एक बार एक औरत अपने 7 पुत्रों के साथ एक गाँव में रहती थी। एक दिन कार्तिक महीने में वह मिटटी खोदने के लिए जंगल में गयी। वहाँ पर उसने गलती से एक पशु के शावक की अपनी कुल्हाड़ी से हत्या कर दी।
उस घटना के बाद उस औरत के सातों पुत्र एक के बाद एक मृत्यु को प्राप्त हो गए। इस घटना से दुखी हो कर उस औरत ने अपनी कहानी गाँव की हर एक औरत को सुनाई। एक बड़ी औरत ने उस औरत को यह सुझाव दिया की वह माता अहोई अष्टमी की आराधना करे।

सोते हुए पशु के शावक की हत्या के पश्चाताप के लिए उस औरत ने शावक का चित्र बनाया तथा माता अहोई अष्टमी के चित्र के साथ रख कर उनकी पूजा करने लगी। उस औरत ने 7 वर्षों तक अहोई अष्टमी का व्रत रखा जिसके प्रताप से वह हत्या के दोष से मुक्त हो गई।

 

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Ahoi Ashtami Puja Vidhi : अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि

 

Ahoi Ashtami Puja Vidhi

 

उत्तर प्रदेश, हरियाणा व उत्तर भारत के अन्य कई राज्यों में अहोई अष्टमी Ahoi Ashtami का व्रत मनाया जाता है। यह व्रत वे स्त्रियां करती हैं जिनके सन्तान होती है। बच्चों की मां दिन भर व्रत रखें। सायंकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भर कर बनाएं। उस पुतली के पास सेई तथा सेई के बच्चों का चित्र भी बनायें या छपी हुई अहोई अष्टमी का चित्र मंगवाकर दीवार पर लगाएं तथा उसका पूजन कर सूर्यास्त के बाद अर्थात तारे निकलने पर अहोई माता की पूजा करने से पहले पृथ्वी को पवित्र करके चौक पूर कर एक लोटा जल भरकर एक पटले पर कलश की भाँति रखकर पूजा करें व अहोई माता का पूजन करके माताएँ कहानी सुनें।

पूजा के लिए माताएँ पहले से एक चाँदी की अहोई बनायें जिसे स्याऊ कहते है तथा उसमें चांदी के दो दाने (मोती) डलवा लें। जिस प्रकार गले में पहनने के हार में पैंडिल लगा होता है उसी की भांति चांदी की अहोई ढलवा लें और डोरे में चांदी के दाने डलवा लें। फिर अहोई की रोली, चावल दूध व भात से पूजा करें, जल से भरे लोट पर सतिया बना लें।

 

Ahoi Ashtami

 

एक कटोरी में हलवा तथा रूपये बायना निकाल कर रख लें और सात दाने गेहूं के लेकर कहानी सुनें। कहानी सुनने के बाद अहोई स्याऊ की माला गले में पहन लें। जो बायना निकालकर रखा था,उसे सासू जी के पांव लगकर आदर पूर्वक उन्हें दे देवें। इसके बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर स्वयं भोजन करे। दीवाली के बाद किसी शुभ दिन अहोई को गले से उतार कर उसका गुड़ से भोग लगावें और जल की छींटे देकर मस्तक झुकाकर रख दें।

जितने बेटे हैं उतनी बार तथा जितने बेटों का विवाह हो गया हो उतनी बार चांदी के दो-दो दानें अहोई में डालती जावें। ऐसा करने से अहोई माता Ahoi Mata प्रसन्न हो बच्चों की दीर्घायु करके घर में नित नये मंगल करती रहती हैं। इस दिन पंडितों को पेठा दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। शाम को तारा निकलते ही उसको जल व खाना अर्पण करके ही व्रत खोलें।

 

Ahoi Mata Aarti : अहोई माता की आरती

 

Ahoi Mata Aarti

 

जय अहोई माता,
जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु विधाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥

ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला,
तू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥

माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥

तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥

 

Ahoi Ashtami

 

जिस घर थारो वासा,
वाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥

तुम बिन सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥

शुभ गुण सुंदर युक्ता,
क्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥

श्री अहोई माँ की आरती,
जो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजे,
पाप उतर जाता ॥

ॐ जय अहोई माता,
मैया जय अहोई माता ।

 

Ahoi Ashtami Ujman (Udyapan) : अहोई का उजमन

 

Ahoi Mata

 

जिस स्त्री को बेटा हुआ हो अथवा बेटे का विवाह हुआ हो तो उसे अहोई माता Ahoi mata का उजमन करना चाहिए। एक थाली में सात जगह चार-चार पूड़ियां रखकर उन पर थोड़ा-थोड़ा हलवा रखें। इसके साथ ही एक तीयल साड़ी तथा उस पर सामर्थ्यनुसार रूपये रखकर थाली के चारों ओर हाथ फेरकर श्रद्धापूर्वक सासूजी के पाँव लगाकर वह सारा सामान सासूजी को दे देवें। तीयल तथा रूपये सासूजी अपने पास रख लें तथा हलवा पूरी का बायना बांट दें। बहिन बेटी के यहां भी बायना भेजना चाहिए।

॥ इति॥

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