fbpx

Shambhu Stuti : शम्भु स्तुति – नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं

Spread the love

Shambhu Stuti : शम्भु स्तुति – नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Shambhu Stuti में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, सावन में भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना के भिन्न-भिन्न उपाय करते हैं। उन्हीं में से हम आपके लिये लाये हैं श्री शम्भु स्तुति।
श्रावण मास में अथवा प्रत्येक सोमवार को इस स्तुति का पाठ मनुष्य के सभी पातकों अर्थात पापों का नाश करता है।

इस शम्भु स्तुति  का उल्लेख ब्रह्म पुराण से लिया गया है। माता सीता को वापस लाने के लिये लंका प्रवेश से पहले भगवान श्री राम ने रामेश्वरम में स्वयं शिवलिंग की स्थापना के साथ भगवान शिव का आह्वान किया था। शम्भु स्तुति को भगवान राम shiv stuti by ram द्वारा रचित भी कहा जाता है। तो आईये हम भी शिव जी की उपासना करते हुए पोस्ट प्रारंभ करें — 

Shambhu Stuti : शम्भु स्तुति

 

Shambhu Stuti

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥ १॥

नमामि देवं परमव्ययं तमुमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्र्यविदारणं तं नमामि रोगापहरं नमामि ॥ २॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं नमामि विश्वोद्भवबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं नमामि संहारकरं नमामि ॥ ३॥

नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं नमामि नित्यं क्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥ ४॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्य भयंकरं वाऽपि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥ ५॥

नमामि वेदत्रयलोचनं तं नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसद्व्यतीतं नमामि तं पापहरं नमामि ॥ ६॥

Shambhu Stuti

Shiv Ke 108 Naam

 

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं नमामि रूपाणि बहूनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥ ७॥

यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्व नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥ ८॥

नमामि सोमेशवरमस्वतन्त्रमुमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेशवरनन्दिनाथं पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥ ९॥

नमामि देवं भवदुःखशोकविनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गङ्गाधरमीशमीड्यमुमाधवं देववरं नमामि ॥ १०॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादिसुरासुरैरचितपादपद्मम् ।
नमामि देवीमुखवादनानामीक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥ ११॥

पञ्चामृतैर्गन्धसुधूपदीपैर्विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः ।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥ १२॥

॥ इति श्रीब्रह्ममहापुराणे शम्भुस्तुतिः सम्पूर्ण॥

दोस्तों, आशा करते हैं कि Shambhu Stuti पोस्ट आपको पसंद आई होगी। यदि आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हों तो कृपया हमें कमेंट करें तथा साथ ही पोस्ट को शेयर करें। अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


Spread the love