fbpx

Kilak Stotram: अथ श्री कीलक स्त्रोतम

Spread the love

Kilak Stotram : अथ श्री कीलक स्तोत्र|

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट kilak stotram में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, इस पोस्ट में हम कीलक स्तोत्र के बारे में जानेंगे। कहा जाता है कि इस स्तोत्र को भगवान शिव ने कीलित कर रखा है जिसे निष्कीलित करके ही श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल मिलता है।

क्या है ये स्तोत्र ? आईये, जानते हैं इस लेख में –

Kilak Stotram : कीलक स्तोत्र प्रारंभ

महर्षि मार्कण्डेय जी बोले— निर्मल ज्ञानरूपी शरीर धारण करने वाले, देवत्रीय रूप दिव्य तीन नेत्र वाले, जो कल्याण प्राप्ति के हेतु हैं तथा अपने मस्तक पर अर्धचन्द्र धारण करने वाले हैं उन भगवान शंकर को नमस्कार है।

जो मनुष्य इन कीलक मंत्रों को जानते है, वही पुरुष कल्याण को प्राप्त करता है, जो अन्य मंत्रों को जप कर केवल सप्तशती स्त्रोत से ही देवी की स्तुति करता है उसको इससे ही देवी की सिद्धि हो जाती है, उन्हें अपने कार्य की सिद्धि के लिए किसी दूसरे की साधना करने की आवश्यकता नहीं रहती ।

बिना जप के ही उनके उच्चाटन आदि सब काम सिद्ध हो जाते हैं। लोगों के मन में शंका थी की केवल सप्तशती की उपासना से अथवा सप्तशती को छोड़ का अन्य मंत्रों की उपासना से भी समान रूप से सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं, तब इनमें कौन–सा श्रेष्ठ साधन है ?

लोगों की इस शंका को ध्यान में रखकर भगवान शिव ने अपने पास आए हुए जिज्ञासुओं को समझाया कि यह सप्तशती नामक सम्पूर्ण स्त्रोत ही कल्याण को देने वाला है। इसके पश्चात भगवान शंकर ने चण्डिका के सप्तशती नामक स्त्रोत को गुप्त कर दिया।

इसे भी पढ़िये Das Mahavidya Stotra: 10 महाविद्या स्तोत्र | महाविद्या स्तोत्र पाठ के लाभ 

Kilak Stotram

अतः मनुष्य इसको बड़े पुण्य से प्राप्त करता है। जो मनुष्य कृष्ण पक्ष की चौदस अथवा अष्टमी को एकाग्रचित होकर देवी को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है और फिर उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करता है, उस पर दुर्गा प्रसन्न होती हैं अन्यथा नहीं होती।

इस प्रकार सिद्धि के प्रतिबंधक रूप कीलक के द्वारा भगवान शंकर ने इस  स्त्रोत को कीलित कर रखा है जो  पुरुष इस सप्तशती को निष्कीलन करके नित्य पाठ करता है वह सिद्ध हो जाता है वही देवों का पाषर्द होता है और वही गंधर्व होता है।

सर्वत्र विचरते रहने पर भी उस मनुष्य को इस संसार में कहीं कोई डर नहीं होता। वह आप मृत्यु के वश में नहीं पड़ता और मरकर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, किन्तु इस कीलक  की विधि को जान कर ही सप्तशती का पाठ करना चहिये। जो ऐसा नहीं करता वह नष्ट हो जाता है।

kilak stotram

Durga Saptashati

कीलन और निष्कीलन संबंधी जानकारी के पश्चात ही यह स्त्रोत निर्दोष होता है और विद्वान पुरुष इस निर्दोष स्त्रोत का ही पाठ आरम्भ करते हैं। स्त्रियों में जो कुछ भी सौभाग्य आदि दिखाई देता है वह सब इस पाठ की ही कृपा है, इसलिए इस कल्याणकारी स्त्रोत का सदा पाठ करना चाहिए।

इसे भी पढ़िये   Sampoorna Durga Saptashati Paath दुर्गा सप्तशती

इस स्त्रोत का शनै:—शनै: (धीरे धीरे )  पाठ करने से भी स्वल्प फल की प्राप्ति होती है इसलिए उच्च स्वर से ही इसका पाठ आरंभ करना चाहिए। जिस देवी के प्रसाद से ऐशवर्य, सौभाग्य, आरोग्य, सम्पति, शत्रुनाश तथा परम मोक्ष की प्राप्ति होती है, उस देवी की स्तुति मनुष्य को अवश्य करनी चाहिए।

॥ इति ॥

दोस्तों, पोस्ट kilak stotram आपको कैसी लगी, कृपया हमें कमेंट करें तथा इसी प्रकार की अन्य धार्मिक पोस्ट प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग से जुडे़ रहिये। अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


Spread the love