Navgrah Chalisa : नवग्रह चालिसा से पायें सभी कष्टों से मुक्ति।

Navgrah Chalisa : नवग्रह चालिसा से पायें सभी कष्टों से मुक्ति।

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट navgrah chalisa में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, हम अपने आराध्य को मनाने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए क्या कुछ नहीं करते। तीर्थ स्थानों की यात्रा, पवित्र नदियों में स्नान करना तथा व्रत-उपवास आदि। ये सब इसलिए कि हमारे ईष्ट अर्थात जिनसे हम प्रेम करते हैं वे हम पर सदैव प्रसन्न रहें तथा हम पर अपनी कृपा बनायें रखें जिससे कि हमें अपने जीवन में किसी प्रकार का कोई दुःख अथवा कठिनाई का सामना न करना पड़े।

Navgrah Chalisa

हमारे जीवन में नवग्रहों का भी असर पड़ता है। सोम से लेकर रवि ये सभी ग्रह प्रत्येक जीव पर अपना अत्यधिक प्रभाव रखते हैं इनमें कुछ ग्रह शांत तो कुछ उग्र स्वभाव के माने जाते हैं तथा प्रत्येक ग्रह के अपने स्वामी होते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि नौ ग्रह हम पर प्रसन्न हैं तो हमें अपने जीवन में कभी परेशानी नहीं आती।

 

आज की पोस्ट में हम आपके लिये लाये हैं हिंदी अर्थ सहित नव ग्रह चालिसा जिसको पढ़ने मात्र से सभी ग्रहों की वंदना हो जाती है तथा उनका आशीर्वाद सहज ही प्राप्त हो जाता है साथ ही हम अपने जीवन में आने वाली किसी भी कठिनाई को बड़ी सरलता से हल कर सकते हैं। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।

Also ReadNavagraha Stotram: नवग्रह स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

Navgrah Chalisa

Navgrah Chalisa : नवग्रह चालिसा (हिंदी अर्थ सहित)

 

॥ दोहा ॥

श्री गणपति गुरुपद कमल,

प्रेम सहित सिरनाय ।

नवग्रह चालीसा कहत,

शारद होत सहाय ॥

जय जय रवि शशि सोम बुध,

जय गुरु भृगु शनि राज।

जयति राहु अरु केतु ग्रह,

करहुं अनुग्रह आज ॥

भावार्थ : — मैं श्री गणेश भगवान का नाम लेकर और उन्हें अपना गुरु मानकर उनके चरणों में कमल का पुष्प चढ़ाता हूँ तथा संपूर्ण प्रेम भाव से उनके सामने सिर झुकाता हूँ। इसके पश्चात मैं नवग्रह चालीसा का पाठ करता हूँ व मन ही मन बहुत प्रसन्न होता हूँ। सभी नवग्रहों सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु, मंगल, शनि, राहु, शुक्र व केतु की जय हो। आज मैं आप सभी से विनती करता हूँ।

 

Also ReadAditya Hridaya Stotra : श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र हिंदीअर्थ सहित

Navgrah Chalisa

Also ReadPashupati Vrat : पशुपति (पाशुपत) व्रत की महिमा | विधि तथा नियम | Katha | Aarti

॥ श्री सूर्य स्तुति ॥

प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,

करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।

हे आदित्य दिवाकर भानू,

मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।

अब निज जन कहं हरहु कलेषा,

दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।

नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,

अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।

भावार्थ : — सर्वप्रथम मैं नवग्रहों के राजा सूर्य देव को प्रणाम करता हूँ। हे सूर्य देव ! आप हम सभी पर अपनी कृपा करें और अनाथों की रक्षा कीजिए। हे आदित्य, दिवाकर व भानु देव ! मैं मंदबुद्धि व अज्ञानी हूँ। सभी मनुष्य आपसे विनती कर रहे हैं कि आप उनके कष्ट समाप्त कर दीजिए।  बारह मास के अनुसार आपके बारह रूप हैं। आपके कुछ नाम भास्कर, सूर्य, प्रभाकर, अर्क, मित्र, अघ व मोघ हैं जिनको मेरा नमस्कार हैं। आप मुझे मेरी गलतियों के लिए क्षमा कर दीजिए।

navgrah chalisa

Navgrah Chalisa

॥ श्री चन्द्र स्तुति ॥

शशि मयंक रजनीपति स्वामी,

चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।

राकापति हिमांशु राकेशा,

प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।

सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर,

शीत रश्मि औषधि निशाकर ।

तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा,

शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।

भावार्थ : — शशि, मयंक व रजनीपति के नाम से विख्यात चंद्र देव जो कि सभी कलाओं में निपुण हैं, उन्हें मेरा बार-बार नमन हैं। उन्हें राकापति, हिमांशु व राकेश के नाम से भी जाना जाता हैं। वे सभी मनुष्यों के कष्टों को दूर करते हैं। वे सोमरस, इंदु, विधु व शांति प्रदान करने वाले हैं। उनके प्रभाव से ही शीतलता बनी रहती है, औषधि कार्य करती है और वे रात्रि में आते हैं। आप तो महादेव के मस्तिष्क पर सुशोभित हैं और वहां बहुत ही सुंदर लगते हैं। आपकी शरण में आने से  सभी के कष्ट दूर हो जाते हैं।

Navgrah Chalisa

॥ श्री मंगल स्तुति ॥

जय जय जय मंगल सुखदाता,

लोहित भौमादिक विख्याता ।

अंगारक कुज रुज ऋणहारी,

करहुं दया यही विनय हमारी ।

हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,

लोहितांग जय जन अघनाशी ।

अगम अमंगल अब हर लीजै,

सकल मनोरथ पूरण कीजै ।

भावार्थ : —  सभी को सुख प्रदान करने वाले मंगल देव आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप लाल वर्ण के हैं तथा संपूर्ण पृथ्वी लोक में प्रसिद्ध हैं। जिनके प्रभाव से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता हैं। मेरी आपसे यही विनती है कि अब आप मुझ पर अपनी दया करें।  हे सभी को सुख, सौम्यता व सुंदरता प्रदान करने वाले मंगल देव, अप सभी जीवों के दुःख समाप्त कर दीजिए। आप दुर्गम हैं,अब आप सभी अमंगल कार्यों को समाप्त करके हम सभी की इच्छाओं को पूरा कीजिए।

 

Also ReadBhagwat Geeta in Hindi PDF | श्रीमद्भगवद्‌गीता IN HINDI PDF Download

 

Navgrah Chalisa

॥ श्री बुध स्तुति ॥

जय शशि नन्दन बुध महाराजा,

करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।

दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,

कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।

हे तारासुत रोहिणी नन्दन,

चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।

पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,

प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।

भावार्थ : — हे सभी के मन को जीतने वाले बुध महाराज!! सभी प्रजाजन आपसे शुभ फल देने को कह रहे हैं। आप हम सभी को बुद्धि, बल व विद्या दीजिए तथा साथ ही हमारे कष्ट, दुःख समाप्त कर हमारा कल्याण कीजिए। हे तारासुत व रोहिणी के नंदन!! चंद्रमा के जैसे दिखने वाले हमारे दुखों व कष्टों को समाप्त कर दीजिए। आज मैं बहुत ही आशा के साथ आपकी पूजा कर रहा हूँ। हम सभी के प्राणों के रक्षक, आपको नमन है।

Navgrah Chalisa

॥ श्री बृहस्पति स्तुति ॥

जयति जयति जय श्री गुरुदेवा,

करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।

देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,

इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।

वाचस्पति बागीश उदारा,

जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।

विद्या सिन्धु अंगिरा नामा,

करहुं सकल विधि पूरण कामा ।

भावार्थ : — सभी देवों के गुरु ब्रहस्पति! आपकी जय हो, जय हो। मैं सदा ही आपकी सेवा करता हूँ। आप सभी देवताओं के आचार्य व गुरु हैं एवं उन सभी में सबसे ज्ञानी हैं। आप देव राजा इंद्र के पुरोहित हैं जो उन्हें विद्या देते हैं। आप बहुत बड़े विद्वान हैं और सभी में उदार भी। आपका नाम बृहस्पति हैं। आपके पिता का नाम अंगिरा ऋषि व माता का नाम सिंधु हैं जिन्होंने आपका यह नाम रखा। आपकी भक्ति करने से हमारे समस्त कार्य पूर्ण होते हैं।

Navgrah Chalisa

॥ श्री शुक्र स्तुति ॥

शुक्र देव पद तल जल जाता,

दास निरन्तन ध्यान लगाता ।

हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,

दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।

भृगुकुल भूषण दूषण हारी,

हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।

तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,

नर शरीर के तुमही राजा ।

भावार्थ : —  शुक्र देव आप जहाँ भी अपना पैर रख दें वह स्थान जल जाता हैं, मैं आपका सेवक सदैव आपका ध्यान लगाता हूँ। आपके पिता का नाम ऋषि भृगु हैं और आपका पहले का नाम उशना था। आप दैत्यों के पुरोहित हैं व दुष्टों का नाश करते हैं।

भृगुकुल से होकर भी आपके ऊपर स्वर्ण, आभूषण हार गए और आप पर कोई भी आरोप सिद्ध नही हो सका। आप नाश को भी नष्ट कर देते हैं और सभी को सुख देते हैं। आपने ही दैत्यों के सिर पर ताज पहनाया तथा आप ही मनुष्य शरीर के स्वामी हो।

Navgrah Chalisa

॥ श्री शनि स्तुति ॥

जय श्री शनिदेव रवि नन्दन,

जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।

पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,

वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।

वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा,

क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।

ललत स्वर्ण पद करत निहाला,

हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।

भावार्थ : — हे सूर्य देव के पुत्र, शनि देव! आपकी जय हो। आपका वर्ण सांवला है तथा आप संपूर्ण जगत में पूजनीय हैं। पीला रंग व हल्का भूरा रंग लिए हुए आप रौद्र रूप में यमराज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। आप ही चांडाल रूप हैं।

आप अपनी वक्र दृष्टि के प्रभाव से  राजा को रंक बना सकते हैं। आपके मस्तक पर स्वर्ण का मुकुट सुशोभित हैं। अपनी छाया का दान करने से आप हमारी विपत्तियों को कम कर देते हैं।

Navgrah Chalisa

॥ श्री राहु स्तुति ॥

जय जय राहु गगन प्रविसइया,

तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।

रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,

शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।

सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,

अर्धकाय जग राखहु लाजा ।

यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,

सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।

भावार्थ : — आकाश में रहने वाले राहु देव!! आपकी जय हो, जय हो। आप ही सूर्य व चंद्रमा को निगल लेते हैं। सूर्य व चंद्रमा की धारा आपसे ही हैऔर शिखी आदि आपके बहुत से नाम हैं। आप चंद्रमा के राजा हैं और अपने आधे अंग से भी जगत के मान-सम्मान की रक्षा करते हैं। यदि आप सही समय पर सही स्थान पर रहते हैं तो जीवन में सदैव ही शांति व सुख का वास रहता है।

navgrah chalisa in hindi

॥ श्री केतु स्तुति ॥

जय श्री केतु कठिन दुखहारी,

करहु सुजन हित मंगलकारी ।

ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला,

घोर रौद्रतन अघमन काला ।

शिखी तारिका ग्रह बलवान,

महा प्रताप न तेज ठिकाना ।

वाहन मीन महा शुभकारी,

दीजै शान्ति दया उर धारी ।

भावार्थ : — हे केतु ग्रह!! आप हम सभी के कष्ट व दुखों को समाप्त करते हैं, आपकी जय हो। आप हम सभी का मंगल व लाभ करते हैं। आप बिना मुख के आधे शरीर के साथ रौद्र व विशाल रूप में हैं जो कि अत्यधिक काले वर्ण का हैं। आप यदि किसी की कुंडली में बलवान हैं तो उसका प्रताप बहुत बढ़ता हैं। आपका वाहन मछली है और आप सभी के लिए शुभ फल देने वाले हैं। आप हम सभी को शांति व दया प्रदान कीजिए।

 

॥ नवग्रह शांति फल ॥

तीरथराज प्रयाग सुपासा,

बसै राम के सुन्दर दासा ।

ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी,

दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।

नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु,

जन तन कष्ट उतारण सेतू ।

जो नित पाठ करै चित लावै,

सब सुख भोगि परम पद पावै ॥

भावार्थ : — प्रयाग नगरी तीर्थों में महान है और वहां श्रीराम के भक्त रहते हैं। ककरा गाँव में तिवारी निवास करते हैं। दुर्वासा ऋषि के आश्रम में मनुष्य के दुःख समाप्त होते हैं। नवग्रह की शांति के उपाय वहीं मिलते हैं और सभी मनुष्यों के कष्ट समाप्त होते हैं। जो भी इस नवग्रह चालीसा का प्रतिदिन पाठ करता हैं, उसे सभी तरह के सुख व यश की प्राप्ति होती है।

Navgrah Chalisa

॥ दोहा ॥

धन्य नवग्रह देव प्रभु,

महिमा अगम अपार ।

चित नव मंगल मोद गृह,

जगत जनन सुखद्वार ॥

यह चालीसा नवोग्रह,

विरचित सुन्दरदास ।

पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख,

सर्वानन्द हुलास ॥

भावार्थ : — हे नवग्रह ! आप सभी धन्य हैं, आप सभी की महिमा अपरंपार हैं। आप सभी हमारे मन को आनंदित करते हैं और सभी का मंगल करते हैं। आपके कारण ही प्रजाजन को सुख प्राप्त होता हैं। यह नवग्रह चालीसा सुन्दरदास के द्वारा लिखी गयी हैं। जो भी मनुष्य इस प्रेमसहित पढ़ता हैं, उसे परम सुख की प्राप्ति होती हैं।

( इति श्री नवग्रह चालीसा सम्पूर्ण )

Navgrah Chalisa benefits :नवग्रह चालिसा के फायदे / लाभ

 

navgrah chalisa

• इस चालिसा के पाठ से सभी ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।

• नवग्रहों के साथ-साथ समस्त देवी देवताओं की कृपा जातक को सहज ही प्राप्त हो जाती है।

• प्रतिदिन इस चालिसा का पाठ करने से पाठक को कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता।

• चालिसा का पाठ करने वाले जातक के यहां धन-धान्य के भण्डार सदा भरे रहते हैं तथा वह सर्वत्र निर्भय रहता है।

• शुद्ध हृदय से चालिसा का पाठ करने से व्यक्ति के समक्ष कभी नकारात्मक शक्तियां नहीं आतीं।

॥ इति ॥

 

दोस्तों, आशा करते हैं कि  navgrah chalisa पोस्ट आपको पसंद आई होगी। यदि पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया इसे शेयर करें। आप कमेंट के माध्यम से भी हमें अपने महत्वपूर्ण सुझाव भेज सकते हैं। इसी प्रकार की अन्य धार्मिक जानकारियां पाने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। धन्यवाद, आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।