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Mahakal Stotram : श्री महाकाल स्तोत्र ( हिंदी अर्थ सहित )

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Mahakal Stotram : श्री महाकाल स्तोत्र

( हिंदी अर्थ सहित )

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट mahakal stotram में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, त्रिदेवों में महादेव यानी भगवान शंकर को प्रमुख माना गया है क्योंकि इन्हें इस सृष्टि का संहारकर्ता कहा जाता है। जरा सोचिए, यदि मृत्यु न हो तो सृष्टि कैसी दिखेगी ? चारों ओर वृद्ध, रोगी तथा अक्षमता। तब यह संरचना सुन्दर नहीं अपितु कुरूप ही अधिक नजर आयेगी। इसीलिए मृत्यु भी आवश्यक है, इसीलिए संहार आवश्यक है और इसीलिये आवश्यक हैं शिव।

भगवान शिव का एक नाम महाकाल भी है यानी कालों के भी काल। आज की पोस्ट में हम आपके लिए लाये हैं श्री महाकाल स्तोत्र। स्तोत्र जो भगवान शिव को प्रिय है, जो इस सृष्टि के जीवों के लिए कल्याणकारी है। आज के लेख में हम इसी स्तोत्र का हिन्दी अर्थ सहित पाठ करेंगे। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं –

Mahakal Stotram : श्री महाकाल स्तोत्र

mahakal stotram

ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥॥ 1 ॥

भावार्थमहाकाल भगवान ही ॐ स्वरुप में संपूर्ण ब्रह्मांड में विद्यमान हैं। वे विशाल काया वाले हैं, वे ही काल के भी काल हैं और इस जगत की उत्पत्ति उन्हीं के कारण हुई है। वे ही महायोगी हैं अर्थात ध्यान मुद्रा में रहते हैं। मैं उन महाकाल को नमस्कार करता हूँ।

महाकाल महादेव महाकाल महाप्रभो।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोऽस्तुते॥ ॥ 2 ॥

भावार्थमहाकाल भगवान शिव ही महादेव अर्थात देवों के भी देव हैं। वे हम सभी के प्रभु व आराध्या देव हैं। वे ही महारूद्र हैं जो सृष्टि में प्रलय लेकर आते हैं। मैं उन महाकाल के चरणों में नमस्कार करता हूँ।

महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोऽपहन्।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोऽस्तुते॥॥ 3 ॥

भावार्थमहाकाल भगवान महाज्ञानी हैं जिन्हें इस सृष्टि का संपूर्ण ज्ञान है। वे तपस्या की अग्नि में जलते रहते हैं। वे कालों के काल हैं और मैं उन महाकाल को नमस्कार करता हूँ।

भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नमः॥॥ 4 ॥

भावार्थमहाकाल भगवान इस पृथ्वी के लिए पूजनीय हैं। हमारे जीवन से अंधकार को दूर करने वाले महाकाल भगवान को हमारा नमन है। उनके रूद्र रूप को भी हमारा नमन है। वे पशुपतिनाथ के रूप में भी हमारे लिए पूजनीय हैं।

उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः।
भीमाय च नमस्तुभ्यं ईशानाय नमो नमः॥॥ 5 ॥

भावार्थउनका उग्र तांडव रूप भी नमन करने योग्य है। उनके महादेव रूप को भी हम नमन करते हैं। उनके भीमकाय अर्थात विशाल काया वाले रूप को भी हमारा प्रणाम है। हम सभी के ईश्वर महाकाल भगवान को हमारा नमन है।

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ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः॥॥ 6॥

भावार्थमहाकाल ईश्वर के रूप में हैं और नमन करने योग्य हैं। वे ही पुरुषत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें हमारा बारंबार प्रणाम है।

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सद्योजात नमस्तुभ्यं शुक्लवर्ण नमो नमः।
अधः कालाग्निरुद्राय रुद्ररूपाय वै नमः॥॥ 7 ॥

भावार्थइस सृष्टि के रचनाकर्ता के रूप में उन्हें हमारा नमन है। उनका वर्ण शुक्ल है और उन्हें हमारा नमन है। वे शक्ति के साथ आधे रूप में समाहित हैं। वे ही काल, अग्नि, रूद्र हैं और उनके इस रूद्र रूप को हमारा नमन है।

स्थित्युत्पत्तिलयानां च हेतुरूपाय वै नमः।
परमेश्वररूपस्त्वं नील एवं नमोऽस्तुते॥॥ 8 ॥

भावार्थवे ही सभी तरह की स्थितियों की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी हैं अर्थात सभी घटनाओं को वही उत्पन्न करते हैं। इस रूप में वे हमारा भला करते हैं और इसके लिए उन्हें नमन है। वे ही परमपिता परमेश्वर के रूप में नीले रंग में हमारे सामने हैं और उन्हें हमारा नमस्कार है।

पवनाय नमस्तुभ्यं हुताशन नमोऽस्तुते।
सोमरूप नमस्तुभ्यं सूर्यरूप नमोऽस्तुते॥॥ 9 ॥

भावार्थवे ही पवन अर्थात वायु रूप में हमें जीवन देते हैं और उन्हें हमारा नमस्कार है। वे ही अग्नि रूप में हमें शक्ति प्रदान करते हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही जल रूप में हमारी प्यास बुझाते हैं और उन्हें हमारा नमन है, वे ही सूर्य रूप में इस पृथ्वी का आधार हैं जिन्हें हमारा नमन है।

यजमान नमस्तुभ्यं आकाशाय नमो नमः।
सर्वरूप नमस्तुभ्यं विश्वरूप नमोऽस्तुते॥॥ 10 ॥

भावार्थवे ही यज्ञ करवाते हैं और उन्हें हमारा नमन है। वे ही आकाश रूप में पंच तत्व में से एक हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही सभी रूपों में हैं और उन रूपों को हमारा नमन है। वे ही इस विश्व का रूप हैं जिन्हें हमारा नमन है।

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ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं विष्णुरूप नमोऽस्तुते।
रुद्ररूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोऽस्तुते॥॥ 11 ॥

भावार्थमहाकाल ही परमपिता ब्रह्मा जी हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही सृष्टि का सञ्चालन करने वाले श्रीहरि हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही इस सृष्टि का संहार करने वाले रुद्रावतार हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही समयचक्र को बांधकर रखने वाले महाकाल हैं जिन्हें हमारा नमन है।

स्थावराय नमस्तुभ्यं जङ्गमाय नमो नमः।
नमः स्थावरजङ्गमाभ्यां शाश्वताय नमो नमः॥॥ 12 ॥

भावार्थवे ही स्थिर रूप में हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही चलते रहने वाले हैं जिन्हें हमारा नमन है। उनके स्थिर अर्थात जड़ित रूप और गतिमान रूप को ही हम शाश्वत सत्य कह सकते हैं जिन्हें हमारा बारंबार नमन है।

हुं हुङ्कार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः।
अनाद्यन्त महाकाल निर्गुणाय नमो नमः॥॥13॥

भावार्थवे ही हुँकार रूप में सभी को सचेत कर देते हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही निष्कला का रूप हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही आदि और अनंत हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही निर्गुण हैं अर्थात जिनका कोई गुण नहीं है और उन्हें हमारा नमन है।

प्रसीद मे नमो नित्यं मेघवर्ण नमोऽस्तुते।
प्रसीद मे महेशान दिग्वासाय नमो नमः॥॥14॥

भावार्थवे सदैव नमो रूप में प्रसन्न रहते हैं और उनका मेघवर्ण है जिन्हें हमारा नमस्कार है। वे महेश रूप में भी प्रसन्न रहते हैं और उनके दिग्वासाय रूप को हमारा नमन है।

ॐ ह्रीं मायास्वरूपाय सच्चिदानन्दतेजसे।
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः॥॥15 ॥

भावार्थवे ही माया का स्वरुप हैं और वे ही हमें परम आनंद प्रदान करते हैं। वे ही तेज युक्त हैं और सभी मंत्र उन्हीं से ही हैं। वे ही सभी मंत्रों की आहुति लेते हैं और हमें सुख प्रदान करते हैं। उन महाकाल के चरणों में हमारा नमन है।

॥ फलश्रुति ॥

mahakal stotram

इत्येवं देव देवस्य महाकालस्य भैरवि।
कीर्तितं पूजनं सम्यक् साधकानां सुखावहम्॥

भावार्थभगवान शिव ने यह महाकाल स्तोत्र स्वयं माता भैरवी को सुनाया था। हम सभी उनकी कीर्ति का वर्णन करते हैं, उनकी पूजा करते हैं और उनसे हमें सुख प्रदान करने की आराधना करते हैं।

mahakal stotram benefits : महाकाल स्तोत्रं Mahakaal Stotra के लाभ

Shri Mrityunjaya Stotram in Sanskrit

आईये, जानते हैं इस स्तोत्र से होने वाले लाभ के बारे में —

• सच्चे ह्रदय के साथ भगवान शिव का ध्यान कर महाकाल स्तोत्रं का पाठ करने से जातक की कभी अकाल मृत्यु नही होती।

• श्री महाकाल स्तोत्र के माध्यम से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

Shri Mrityunjaya Stotram in Sanskrit

• इस स्तोत्र का जाप करने से सभी तरह के भय दूर हो जाते हैं।

• ग्रह दोष तथा कुंडली के सभी दोष श्री महाकाल स्तोत्र के माध्यम से दूर हो जाते हैं।

• जटिल-से-जटिल सेभीषण रोगों से मुक्ति के लिये नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप विशेष रूप से फलदाई होता है।

॥ इति ॥

दोस्तों, पोस्ट mahakal stotram आपको कैसी लगी, कृपया हमें कमेंट करें तथा इसी प्रकार की अन्य धार्मिक पोस्ट प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग से जुडे़ रहिये। अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


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