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Tulsi Chalisa : श्री तुलसी चालीसा आरती सहित

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Tulsi Chalisa : श्री तुलसी चालीसा आरती सहित

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Tulsi Chalisa में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, सनातन हिन्दू धर्म में तुलसा जी को अत्यधिक पवित्र माना गया है। इस पौधे का सम्बन्ध भगवान श्री विष्णु जी के साथ भी है तभी तो प्रत्येक वर्ष तुलसी तथा शालीग्राम जी के विवाह का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जाता है।

Tulsi Chalisa
तुलसा जी का पौधे का महत्व इसी बात से चलता है कि हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले हर एक घर में इस पौधे आवश्यक माना गया है। कहते हैं जिस घर में तुलसा जी का वास होता है वहां नकारात्मकता कदापि नहीं आती तथा उस घर का वातावरण दिव्य तथा भक्तिमय बना रहता है।

आज की पोस्ट में हम श्री तुलसा चालीसा का पाठ करेंगे और तुलसी माता का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं –

Tulsi Chalisa

Tulsi Chalisa : श्री तुलसी चालीसा

॥ दोहा ॥

श्री तुलसी महारानी, करूँ विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय॥

॥ चौपाई ॥

नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।

विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूं लोक की हो सुखखानी।

भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।

जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।

करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब परन।

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Tulsi Chalisa

Tulsi Chalisa
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।

तव पूजन जो करें कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।

कर जो पूजा नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।।

वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।

श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।

Tulsi Chalisa
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।

छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।

तुम्ही मात यंत्रन तंत्रन में, सकल काज सिधि होवै क्षण में।

औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता।।

देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।

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Tulsi Chalisa
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।

नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दखनिवारनि।।

नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।।

नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।।

नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।

नमो-नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सब सुख उपजावनि।।

जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।

Tulsi Chalisa

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करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।

शरण चरण कर जोरि मनाऊँ, निशदिन तेरे ही गुण गाऊँ।

करहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।

मांगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।

जानूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।

बारह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।

प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।

चन्दन अक्षत पुष्प चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।

करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।

पाठ करे फिर चालीसा की,अस्तुति करे मात तुलसा की।

यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा।

करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।

है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।

Tulsi Chalisa

॥ दोहा ॥

यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय॥

आरती श्री तुलसी जी की

Tulsi Chalisa

जय तुलसी माता मैय्या जय तुलसी माता।। जय तुलसी माता
सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर।
 रक्षा कर भव त्राता ।।जय तुलसी माता

बटु पुत्री हे श्यामा सुर बल्ली हे ग्राम्या।
विष्णु प्रिये को जो सेवे सो नर तर जाता ।। जय तुलसी माता

हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी तुम हो विख्याता॥ जय तुलसी माता

लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में।
मानवलोक तुम्हीं से सुख संपत्ति पाता॥ जय तुलसी माता

हरि को तुम अति प्यारी श्याम वरुण कुमारी।
प्रेम अजब है उनका तुमसे कैसा नाता ॥ जय तुलसी माता

॥ इति ॥

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