Balaji Chalisa : श्री मेहन्दीपुर बालाजी चालीसा|
नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Balaji Chalisa में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, श्री बालाजी महाराज का विश्व विख्यात मंदिर मेहन्दीपुर, राजस्थान में स्थित है। यह विश्व का एकमात्र स्थान है जहां पर तंत्र-मंत्र, टोने-टोटके तथा अन्य प्रकार की बाधाओं से पीड़ितों का उपचार श्री बालाजी महाराज के द्वारा किया जाता है।
मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता अंजनि का मंदिर तथा माता काली व भैरों बाबा का मंदिर भी स्थित है। मंगल तथा शनिवार के दिन तो यहां भारी मेला लगता है तथा भक्त अपने आराध्य के दर्शनों का लाभ उठाते हैं साथ ही बाबा भी अपने सभी भक्तों की मन्नतों तथा मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।
आज की पोस्ट में हम श्री बालाजी महाराज की चालीसा का पाठ करेंगे। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं –
Balaji Chalisa : बालाजी चालीसा
Balaji Chalisa
॥दोहा॥
श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान।
बालाजी चालीसा लिखे दास स्नेही कल्याण।
विश्व विदित वर दानी संकट हरण हनुमान।
मेंहदीपुर में प्रगट भये बालाजी भगवान।
॥चौपाई॥
जय हनुमान बालाजी देवा, प्रगट भये यहां तीनों देवा।
प्रेतराज भैरव बलवाना, कोतवाल कप्तानी हनुमाना।
मेंहदीपुर अवतार लिया है, भक्तों का उद्धार किया है।
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर, संकट वाले आते जहाँ पर।
डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं, मशान चुडैल भूत भूतनीं।
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जाके भय ते सब भग जाते, स्याने भोपे यहाँ घबराते।
चौकी बन्धन सब कट जाते, दूत मिले आनन्द मनाते।
सच्चा है दरबार तिहारा, शरण पड़े सुख पावे भारा।
रूप तेज बल अतुलित धामा, सन्मुख जिनके सिय रामा।
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा, सबकी होवत पूर्ण आशा।
महन्त गणेशपुरी गुणीले, भये सुसेवक राम रंगीले।
अद्भुत कला दिखाई कैसी, कलयुग ज्योति जलाई जैसी।
ऊँची ध्वजा पताका नभ में, स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में।
धर्म सत्य का डंका बाजे, सियाराम जय शंकर राजे।
आन फिराया मुगदर घोटा, भूत जिन्द पर पड़ते सोटा।
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणा, बाल रूप प्रगटे हनुमाना।
जय हनुमन्त हठीले देवा, पुरी परिवार करत हैं सेवा।
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लड्डू चूरमा मिश्री मेवा, अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा।
दया करे सब विधि बालाजी, संकट हरण प्रगटे बालाजी।
जय बाबा की जन जन ऊचारे, कोटिक जन तेरे आये द्वारे।
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा, तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा।
देवन विनती की अति भारी, छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी।
लांधि उदधि सिया सुधि लाये, लक्ष्मन हित संजीवन लाये।
रामानुज प्राण दिवाकर, शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर।
केशरी नन्दन दुख भव भंजन, रामानन्द सदा सुख सन्दन।
सिया राम के प्राण पियारे, जब बाबा की भक्त ऊचारे।
संकट दुख भंजन भगवाना, दया करहु हे कृपा निधाना।
सुमर बाल रूप कल्याणा, करे मनोरथ पूर्ण कामा।
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी, भक्त जन आवे बहु भारी।
मेवा अरू मिष्ठान प्रवीना, भेंट चढ़ावें धनि अरु दीना।
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नृत्य करे नित न्यारे न्यारे, रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे।
अर्जी का आदेश मिलते ही, भैरव भूत पकड़ते तबही।
कोतवाल कप्तान कृपाणी, प्रेतराज संकट कल्याणी।
चौकी बन्धन कटते भाई, जो जन करते हैं सेवकाई।
रामदास बाल भगवन्ता, मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता।
जो जन बालाजी में आते, जन्म जन्म के पाप नशाते।
जल पावन लेकर घर जाते, निर्मल हो आनन्द मनाते।
क्रूर कठिन संकट भग जावे, सत्य धर्म पथ राह दिखावे।
जो सत पाठ करे चालीसा, तापर प्रसन्न होय बागीसा।
कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे, सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे।
॥दोहा॥
मन्द बुद्धि मम जानके, क्षमा करो गुणखान।
संकट मोचन क्षमहु मम, दास स्नेही कल्याण॥
आरती श्री बाला जी की
ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा,
संकट मोचन स्वामी तुम हो रणधीरा॥ॐ॥
पवन-पुत्र अंजनी-सुत महिमा अति भारी,
दुःख दरिद्र मिटाओ संकट सबहारी॥ॐ ॥
बाल समय में तुमने रविको भक्ष लियो,
देवन स्तुति कीन्ही तब ही छोड़ दियो॥ॐ॥
कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई,
बाली बलीमराय कपीसहिंगद्दी दिलवाई॥ॐ॥
जारिलंक को ले सिय सुधि वानर हर्षाये,
कारज कठिन सुधारे रघुवर मन भाये॥ॐ॥
शक्ति लगी लक्ष्मण के भारी सोच भयो,
लाय संजीवन बूटी दुःख सब दूर कियो॥ॐ॥
ले पाताल अहिरावण जबहि पैठि गयो,
ताहि मारि प्रभुलाये जय जयकार भयो॥ॐ॥
घाटे मेंहदीपुर में शोभित दर्शन अति भारी,
मंगल और शनिश्चर मेला है जारी॥ॐ॥
श्री बालाजी की आरती जो कोई नर गावे,
कहत इन्द्र हर्षित मन वांछित फल पावे॥ॐ॥
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॥ इति ॥
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