Karni Mata : यहां होता है भक्तों और चूहों का अनूठा संगम|
Table of Contents
नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Karni Mata में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, हम भक्त और भगवान के बीच के रिश्तों के बारे में सुनते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि भक्त केवल मनुष्य ही हों । कई स्थानों पर जीव-जन्तुओं को भी उनकी भक्ति करते देखा जाता है।
उदाहरण के तौर पर भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के निकट स्थित रमण रेती में शाम के समय होने वाली आरती में प्रतिदिन एक हाथी शामिल होता है। इसी तरह श्री हनुमान जी के मंदिर के आस-पास हमें काफी संख्या में बंदर देखने को मिल जाते हैं जिन्हें हम बजरंगबली की सेना के रूप में जानते हैं। इसी प्रकार महादेव के मंदिर में सदैव नंदी विराजमान रहते हैं।
दोस्तों, इसी क्रम में आज हम एक ऐसे मंदिर के विषय पर चर्चा करेंगे जहां सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों की संख्या में चूहे देखने को मिलते हैं। इस मंदिर का नाम है श्री करणी माता का मंदिर। राजस्थान में स्थित इस मंदिर की मान्यता बहुत अधिक है।
इस मंदिर के बारे में और भी दिलचस्प तथ्य हम आज की पोस्ट में जानेंगे। तो आईये, Karni Mata पोस्ट शुरू करते हैं।
Karni Mata : कौन हैं करणी माता ?
करणी माता को चूहों वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। चारणी देवियों में सर्वाधिक पूज्य एवं लोकप्रिय करणीजी का जन्म 1444 विक्रमी में सुआप गाँव जो कि वर्तमान में जोधपुर जिले में स्थित है के कीनिया गौत्र के मेहाजी चारण के घर हुआ था।
माँ करणी के पिताजी का नाम मेहाजी था जो चारण जाति की कीनिया शाखा से थे। मेहाजी को मेहा मांगलिया ने सुवाप का गाँव उदक के रूप में प्राप्त हुआ जो वर्तमान में फलोदी का एक गाँव है, इसी गाँव में करणी माता का जन्म हुआ था। मेहाजी का विवाह बालोतरा के पास स्थित असाढा गाँव के चकलू आढ़ा की पुत्री देवल के साथ विवाह वि.सं. 1422-23 के आस-पास सम्पन्न हुआ।
देवल ने पांच बेटियों को जन्म दिया किन्तु उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई जिस कारण मेहाजी दुखी रहा करते थे। पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर मेहाजी पाकिस्तन के बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज माता की यात्रा पर गये तथा वहां से पुत्र प्राप्ति की कामना करके लौट आए किन्तु मन्नत पूरी न हो सकी।
इसी बीच एक रात माँ दुर्गा ने सपने में देवल को दर्शन दिए और कहा— “धैर्य रख देवल, मैं अपनी इच्छा से तुम्हारे घर जन्म लूंगी।” इस तरह वि.सं. 1444 को सुवाप गाँव में आश्विन शुक्ल सप्तमी के दिन 21 माह के गर्भ के बाद करणी माँ Karni Mata का जन्म हुआ।
माता करणी का बचपन तथा चमत्कार
मां करणी के बचपन का नाम रिदु बाई था। बाल्यकाल में ही कई प्रकार के चमत्कार दिखलाने से रिदु बाई करणी माता कहलाई। इनका विवाह साठीका बीकानेर के देपाजी बीठू के साथ हुआ जिनके वंशज देपावत कहलाते हैंं। एक जनश्रुति के अनुसार एक बार जब करणी माता Karni Mata का पुत्र कोलायत सरोवर में नहाते समय डूबकर मर गया।
करणी जी ने यमराज का आव्हान करके अपने पुत्र को पुनः जीवित करने का आग्रह किय। यमराज के न मानने पर करणीजी ने अपनी चमत्कारिक शक्ति से पुत्र को जीवित किया तथा यमराज से कहा कि आज के बाद मेरा कोई भी वंशज तुम्हारे पास नही आएगा।
क्यों कहते हैं चूहों वाली माता का मंदिर
देशनोक जहां माता का मंंदिर स्थित है वहां आज भी यह मान्यता है कि करणी माता के देपावत वंशज की मृत्यु होने पर वह काबा यानि चूहा बनता है। करणी माता मन्दिर परिसर में बहुत अधिक संंख्या में चूहे निडर होकर दौड़ते रहते हैं इसी कारण करणी जी को चूहों वाली देवी कहा जाता है।
आश्चर्य की बात ये है कि इन चूहों से आज तक किसी भी श्रृद्धालु को ना तो कोई रोग हुआ है तथा न ही किसी प्रकार की कोई परेशानी। यदि किसी भक्त को यहां सफेद चूहे से दर्शन हो जायें तो यह अत्यधिक शुभ माना जाता है। क्योंकि इनको करणीजी का रूप माना जाता है। यहाँ चूहों को काबा कहा जाता है, तथा माता को काबां वाली करनला।
मन्दिर में असंख्य चूहों की रक्षा के लिए एक महीन जाली भी बनाई गई है ताकि कोई शिकारी जानवर इनकी हत्या न कर सके। मंदिर में दर्शन करने वाले भक्त भी सावधानी से पैर सरकाते हुए आगे बढ़ते है। मान्यता है कि किसी चूहे की कुचल जाने की स्थति में उनके स्थान पर चांदी का निर्मित चूहा रखा जाता है।
Karni Mata Mandir :प्राचीन है मंदिर
करणी माता का मंदिर मढ़ कहलाता है। इनका मूल मंदिर (मढ़) देशनोक (बीकानेर) में स्थित है। इन्हें बीकानेर के राठौड़ राजवंश अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। करणी माता का मन्दिर पश्चिमी राजस्थान एक लोकप्रिय दर्शन स्थल है। यह अत्यधिक प्राचीन हिंदू देवी मंदिर है। वर्तमान बीकानेर जिले के ३० किलोमीटर दक्षिण में मुख्य मंदिर देशनोक नामक स्थल पर स्थित है।
राठोड़ों की कुलदेवी की कृपा से ही जोधपुर व बीकानेर शहर की स्थापना मानी जाती है। कथाओं के अनुसार माना जाता है कि जगत जननी जगदम्बा का अवतार करणी जी वर्तमान देशनोक मंदिर के स्थान पर एक गुफा में पूजा किया करती थींं।
आज भी इस मंदिर में यह गुफा विद्यमान है। इसके अतिरिक्त चांदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों (काबा) के प्रसाद के लिए यहां रखी चांदी की बड़ी परात व मंदिर के प्रवेश द्वार की कलाकारी भी आगंतुकों का मन मोह लेती है।
इस मंदिर में प्रभात 5 बजें और सायकाल 7 बजे मुख्य आरती की जाती है। इस समय चूहों का जमाव आकर्षण का केंद्र रहता है।इस मंदिर के गर्भगृह व निर्माण का श्रेय बीकानेर के जनप्रिय शासक गंगासिंह ने करवाया था। इंडो इस्लामिक (मुस्लिम-राजपूत) की मिश्रित शैली में बने इस मंदिर का दरवाजा चांदी का है
Karni Mata Temple: मंदिर के अन्य तथ्य
चूहों की देवी के रूप में विख्यात करणी माता हिन्दू भक्तों की आस्था का केंद्र है। यहाँ राजस्थान के अतिरिक्त पूरे भारत से भी बड़ी संख्या में लोग माता का आशीर्वाद लेने पहुचते हैं। चैत्र एवं आश्विन माह के नवरात्र में यहां विशाल मेला लगता है। संवत 1595 की चैत्र शुक्ला 14 से इस मंदिर में करणी जी की पूजा होती आ रही है।
Karni Mata ki Aarti: करणी माता आरती
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
भक्त जनन भय संकट, पल छिनमे हरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
आदि शक्ति अविनाशी, वेदन में वरणी।
अगम अनंत अगोचर, विश्वरूप धरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
काली तू किरपाली, दुर्गे दुःख हरणी।
चंडी तूं चिरताली, ब्रह्माणी वरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
लक्ष्मी तूं हिंगलाजा, आवड़ अघहरणी।
दैत्य दलण डाढाली, अवनी अबतरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
ग्राम सुवाप सुहाणो, धिन थलवट धरणी।।
देवला माँ मेहा घर, जनमी जग जननी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
Karni Mata
राज दियों रिड़मल ने, कानो खय करणी।
धेन दूहत वणिये को, तारी कर तरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
शेखो लाय सिन्ध सूं, पेथड़ आचरणी।
दशरथ थान दिपायी, सांपू सुख सरणी।।
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
जेतल भूप जिताड्यो, कमरु दल दलणी।
प्राण बचाय बखत के पीर कला हरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
परचा गिण नहीं पाउ, मा अशरण शरणी।
सोहन चरण शरण में दास अभय करणी॥
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
भक्त जनन भय संकट, पल छिनमे हरणी॥ ॐ जय अम्बे करणी।
कब व कैसे पहुंचें
करणी माँ के दर्शन करने का सबसे शुभ समय नवरात्र माना जाता है। यहाँ सड़क परिवहन के जरिये आसानी से पंहुचा जा सकता है। देशनोक बीकानेर जोधपुर राज्य राजमार्ग पर स्थित होने के कारण यहाँ से साधन आसानी से मिल जाते है। मंदिर संस्था द्वारा पर्यटकों की विशेष सुविधा हेतु यहाँ धर्मशालाएँ भी बनाई गई हैं जहां ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।
॥ इति ॥
दोस्तों, आशा करते हैं कि Karni Mata पोस्ट आपको पसंद आई होगी। यदि पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया इसे शेयर करें तथा इसी प्रकार की धार्मिक तथा रोचक जानकारियां प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़े रहें। आपका अमूल्य समय हमें देने के लिए धन्यवाद, आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
नमस्कार दोस्तों, मैं सुगम वर्मा (Sugam Verma), Jagurukta.com का Sr. Editor (Author) & Co-Founder हूँ । मैं अपनी Education की बात करूँ तो मैंने अपनी Graduation (B.Com) Hindu Degree College Moradabad से की और उसके बाद मैने LAW (LL.B.) की पढ़ाई Unique College Of Law Moradabad से की है । मुझे संगीत सुनना, Travel करना, सभी तरह के धर्मों की Books पढ़ना और उनके बारे में जानना तथा किसी नये- नये विषयों के बारे में जानकारियॉं जुटाना और उसे लोगों के साथ share करना अच्छा लगता है जिससे उस जानकारी से और लोगों की भी सहायता हो सके। मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आशा है आप हमारी पोस्ट्स को अपने मित्रों एवं सम्बंधियों के साथ भी share करेंगे। और यदि आपका कोई question अथवा सुझाव हो तो आप हमें E-mail या comments अवश्य करें।