Golu Devta : जहां चिट्ठियां लिखकर पूर्ण होती हैं मनोकामना

Golu Devta : जहां चिट्ठियां लिखकर

पूर्ण होती हैं मनोकामना|


नमस्कार दोस्तों, हमारे ब्लॉग पोस्ट golu devta में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, हम जिन्हें भी अपना ईष्ट मानते हैं, जिनसे प्यार करते हैं तथा जिनकी भक्ति करते हैं उनके समक्ष अपनी मनोकामनायें प्रकट करते हैं, अपनी मनौतियां रखते हैं। इन मनौतियों को रखने के भी भिन्न -भिन्न प्रकार हैं जैसे कुछ भक्त मंदिर में पवित्र धागा अर्थात कलावा बांधते हैं तो कुछ चुनरी अर्पित करते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा मंदिर भी है जहां श्रद्धालुगण अपनी समस्याओं तथा अपनी मनोकामनाओं को चिट्ठी द्वारा तथा स्टाम्प पर लिखकर अर्पित करते हैं ? यदि नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बतायेंगे।
देवभूमि उत्तराखण्ड में जिला अल्मोड़ा के निकट स्थित इस मंदिर का नाम है गोलू/गोल्यू देवता का मंदिर। स्थानीय लोगों के बीच ये शनिदेव की तरह न्याय के देवता के रूप में प्रचलित हैं। इसी मंदिर के संबंध में आज हम जानकारी प्राप्त करेंगे तो आईये, Golu Devta पोस्ट शुरू करते हैं।

Golu Devta Mandir History : मंदिर का इतिहास

 

Golu Devta

स्थानीय मान्यताओं तथा कहानी के अनुसार एक राजा शिकार के लिये घने वन से गुजर रहा था। जब उसे प्यास लगी तो उसने अपने नौकरों को पानी की तलाश में भेजा था। नौकर एक स्थान पर पहुंचे जहां एक महिला ईश्वर की आराधना कर  रही थी। राजा के नौकरों ने उस महिला की पूजा मे विघ्न डाला।

महिला ने गुस्से में आकर राजा को ताना मारा कि उसमें इतनी शक्ति भी नहीं है कि वह दो लड़ते हुए सांडों को अलग नहीं कर सके और खुद ऐसा करने के लिए आगे बढ़ी और उन्हें  अलग कर लिया। राजा इस काम से बहुत प्रभावित हुआ और उसने महिला के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। महिला के स्वीकार करने पर उससे विवाह कर लिया। golu devta

Also ReadMehandipur Balaji : मेंहदीपुर बालाजी मंदिर जहां होते हैं चमत्कार

Golu Devta

कालांतर में इस रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, तो अन्य रानियों ने, जो उससे ईर्ष्या करती थीं लड़के की जगह एक पत्थर बना दिया तथा उसे एक पिंजरे में बंद करके नदी में फेंक दिया। बच्चे को एक मछुआरे ने पाला था। जब लड़का बड़ा हुआ तो वह एक लकड़ी के घोड़े को नदी में ले गया और रानियों द्वारा पूछे जाने पर उसने उत्तर दिया कि यदि महिलाएं पत्थर को जन्म दे सकती हैं तो लकड़ी के घोड़े पानी पी सकते हैं। जब जाकर राजा को इस बात का पता चला तथा उसने उन अपराधी रानियों को दण्ड दिया।

माने जाते हैं भगवान शिव का रूप

 

गोलू देवता को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। इसी प्रकार उनके भाई कल्वा देवता भैरव के रूप में और गढ़ देवी शक्ति के रूप में हैं । chitai golu devta temple गोलू देवता को उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों के कई गांवों में एक प्रमुख देवता (इस्ता/कुल देवता) के रूप में भी पूजा जाता है। आम तौर पर तीन दिन की पूजा या 9 दिनों की पूजा भगवान गोलू देवता की पूजा करने के लिए की जाती है, जिन्हें चमोली जिले में गोरेल देवता के रूप में जाना जाता है । Golu Devta गोलू देवता को घी , दूध, दही, हलवा, पूरी और पकौड़ी का भोग लगाया जाता है। गोलू देवता को सफेद कपड़े, सफेद पगड़ी तथा सफेद शाल अर्पित किया जाता है ।

Golu Devta

देवभूमी में सर्वाधिक है इनकी मान्यता

 

यूं तो कुमाऊं में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, किन्तु सर्वाधिक मान्यता चितई के गोलू देवता की है। स्थानीय निवासियों का ऐसा विश्वास है कि गोलू देवता भक्त को शीघ्र न्याय प्रदान करते हैं।  गोलजु या गोल्यू देवता उत्तराखंड के सबसे सम्मानित देवता हैं  यही कारण है कि प्रत्येक पूजा अथवा किसी भी धार्मिक या मांगलिक अनुष्ठान में गोलजू देवता को सर्वप्रथम आमंत्रित किया जाता है।

जानें कैसा है गोलू देवता का स्वरूप

 

Golu Devta

मंदिर के अंदर सफेद घोड़े में सिर पर सफेद रंग की पगड़ी बांधे गोलू देवता golu devta की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा स्थित है, जिनके हाथों में धनुष तथा बाण है। प्रतिमा के समीप एक दिया प्रज्जवलित रहता है। इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु देश ही नहीं अपितु विदेशों से भी न्याय मांगने के लिए यहां पर आते हैं। जिन भी भक्तों की मुराद पूरी हो जाती हैं वे मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं।

चिट्ठियों तथा स्टांप पर लिखते हैं अपनी मनोकामनायें

 

इस मंदिर में श्रद्धालुगण अपनी मनौतियां को चिटठी तथा स्टॉम्प के माध्यम से लिखते हैं उनका ऐसा विश्वास है कि गोलू देवता उनकी चिट्ठियां पढ़ते हैं तथा उचित निर्णय लेकर न्याय प्रदान करते हैं। जिन विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम आने वाला होता है वे अपना रोल नम्बर चिट्ठी में लिखते हैं। बहुत से भक्त प्रतिदिन ढेर सारी लिखित याचिकाएँ दायर करते हैं, जो मंदिर को प्राप्त होती हैं।

Golu Devta

यही नहीं बहुत से भक्त स्टांप पेपर पर अपनी समस्या तथा  मनोकामना लिखकर न्याय मांगते हैं। पूरे मंदिर में अनगिनत घंटे-घंटियां व चिट्ठी-स्टांप टंगे मिलेंगे। इससे लोगाें के गोलू देवता पर अपार श्रद्धा व अटूट विश्वास का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। मंदिर के प्रधान पुजारी बताते हैं कि गोलू देवता का मंदिर पूरे विश्व में न्याय के देवता के नाम से प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष दुनिया भर से यहां भारी संख्या में श्रद्धालु  आते हैं। मनौतियां पूरी होने पर  मंदिर में घंटों तथा घंटियों का चढ़ावा किया जाता है।

प्रकृति की खूबसूरत वादियों के बीच स्थित है मंदिर

 

Golu Devta

गोलू देवता का मंदिर चारों ओर से घने वृक्षों से ढके हुये पहाड़ों की गोद में स्थित है। शहर की भीड़ तथा शोर-शराबे से दूर इस स्थान पर पहुंचकर पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं के मन को एक असीम शान्ति का अनुभव होता है। हरियाली से भरपूर वातावरण में गूंजती घंटियों की आवाज पर्वतों से आने वाली शीतल वायु तथा सौंधी खुशबू से तन-मन में ताजगी भर जाती है। इन सब के बीच कैसे समय बीत जाता है पता ही नहीं चलता।

Golu Devta

 

॥ इति ॥

दोस्तों, आपको Golu Devta पोस्ट कैसी लगी कृपया हमें कमेंट करके अवश्य बतायें। आप अपने सुझाव अथवा शिकायतें भी कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। इसी प्रकार की अन्य धार्मिक जानकारियां पाने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। अपना अमूल्य समय देने के लिए आपका धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।