Maa Vaishno Devi Chalisa : श्री माता वैष्णों देवी चालीसा।
नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Maa vaishno devi chalisa में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, त्रिकुटा पर्वत पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर देश तथा विदेशों में स्थित भक्तों की आस्था का केन्द्र है। वर्ष भर यहां स्थानीय लोगों के साथ ही अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं का भी तांता लगा रहता है।
यहां मां भगवती अपने तीन स्वरूपों महाकाली, महासरस्वती तथा माता महालक्ष्मी के रूप में स्थापित हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से अपनी मुराद लेकर आता है उसकी सभी मनोकामनायें माता पूर्ण करती हैं। इस पोस्ट में हम आपके लिये लाये हैं श्री माता वैष्णो देवी चालीसा जिसका पाठ करने से मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा जिस स्थान पर इसका नियमित पाठ किया जाता है वहां मां सदैव वास करती हैं।
तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं –
Maa vaishno devi chalisa : चालीसा प्रारंभ
॥ दोहा ॥
गरुड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकूटा पर्वत धाम।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती शक्ति तुम्हें प्रणाम॥
॥ चौपाई ॥
नमो: नमोः वैष्णो वरदानी,
कलि काल में शुभ कल्याणी।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,
पिंडी रूप में हो अवतारी।
देवी देवता अंश दियो है,
रत्नाकर घर जन्म लियो है।
करी तपस्या राम को पाऊँ,
त्रेता की शक्ति कहलाऊँ।
कहा राम मणि पर्वत जाओ,
कलियुग की देवी कहलाओ।
विष्णु रूप से कल्की बनकर,
लूंगा शक्ति रूप बदलकर।
तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ,
गुफा अंधेरी जाकर पाओ।
maa vaishno devi chalisa
काली- लक्ष्मी-सरस्वती माँ,
करेंगी पोषण-पार्वती माँ।
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे,
हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे।
रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें,
कलियुग-वासी पूजन आवें।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
चरणामृत चरणों का निर्मल।
दिया फलित वर माँ मुस्काई,
करन तपस्या पर्वत आई।
कलि कालकी भड़की ज्वाला,
इक दिन अपना रूप निकाला।
कन्या बन नगरोटा आई,
योगी भैरों दिया दिखाई।
रूप देख सुन्दर ललचाया,
पीछे-पीछे भागा आया।
कन्याओं के साथ मिली माँ,
कौल-कंदौली तभी चली माँ।
देवा माई दर्शन दीना,
पवन रूप हो गई प्रवीणा।
नवरात्रों में लीला रचाई,
भक्त श्रीधर के घर आई।
योगिन को भण्डारा दीना,
सबने रुचिकर भोजन कीना।
मांस, मदिरा भैरों मांगी,
रूप पवन कर इच्छा त्यागी।
बाण मारकर गंगा निकाली,
पर्वत भागी हो मतवाली।
चरण रखे आ एक शिला जब,
चरण-पादुका नाम पड़ा तब।
पीछे भैरों था बलकारी,
छोटी गुफा में जाय पधारी।
नौ माह तक किया निवासा,
चली फोड़कर किया प्रकाशा।
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी,
कहलाई माँ आद कुंवारी।
Maa vaishno devi chalisa
गुफा द्वार पहुंची मुस्काई,
लांगुर वीर ने आज्ञा पाई।
भागा-भागा भैरों आया,
रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।
पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर,
किया क्षमा जा दिया उसे वर।
अपने संग में पुजवाऊंगी,
भैरों घाटी बनवाऊंगी।
पहले मेरा दर्शन होगा,
पीछे तेरा सुमरन होगा।
बैठ गई माँ पिण्डी होकर,
चरणों में बहता जल झर-झर।
चौंसठ योगिनी-भैरों बरवन,
सप्तऋषि आ करते सुमरन।
घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे,
गुफा निराली सुन्दर लागे।
भक्त श्रीधर पूजन कीना,
भक्ति सेवा का वर लीना।
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याया,
ध्वजा व चोला आन चढ़ाया।
Maa vaishno devi chalisa
सिंह सदा दर पहरा देता,
पंजा शेर का दुःख हर लेता।
जम्बू द्वीप महाराज मनाया,
सर सोने का छत्र चढ़ाया।
हीरे की मूरत संग प्यारी,
जगे अखंड इक जोत तुम्हारी।
आश्विन चैत्र नवराते आऊँ,
पिण्डी रानी दर्शन पाऊँ।
सेवक ‘शर्मा’ शरण तिहारी,
हरो वैष्णो विपत हमारी।
॥ दोहा ॥
कलियुग में महिमा तेरी, है माँ अपरम्पार।
धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार।
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वैष्णो माता आरती (Vaishno Mata Aarti)
जय वैष्णवी माता,
मैया जय वैष्णवी माता ।
हाथ जोड़ तेरे आगे,
आरती मैं गाता ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
शीश पे छत्र विराजे,
मूरतिया प्यारी ।
गंगा बहती चरनन,
ज्योति जगे न्यारी ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे,
शंकर ध्यान धरे ।
सेवक चंवर डुलावत,
नारद नृत्य करे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
सुन्दर गुफा तुम्हारी,
मन को अति भावे ।
बार-बार देखन को,
ऐ माँ मन चावे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
भवन पे झण्डे झूलें,
घंटा ध्वनि बाजे ।
ऊँचा पर्वत तेरा,
माता प्रिय लागे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
भेंट पुष्प मेवा ।
दास खड़े चरणों में,
दर्शन दो देवा ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
जो जन निश्चय करके,
द्वार तेरे आवे ।
उसकी इच्छा पूरण,
माता हो जावे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
इतनी स्तुति निश-दिन,
जो नर भी गावे ।
कहते सेवक ध्यानू,
सुख सम्पत्ति पावे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
जय वैष्णवी माता,
मैया जय वैष्णवी माता ।
हाथ जोड़ तेरे आगे,
आरती मैं गाता ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
॥ इति ॥
दोस्तों, आशा करते हैं कि पोस्ट Maa vaishno devi chalisa आपको पसंद आई होगी। यदि आप हमें कुछ सुझाव देना चाहें तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से दे सकते हैं, अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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