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Mehandipur Balaji : मेंहदीपुर बालाजी मंदिर जहां होते हैं चमत्कार

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Mehandipur Balaji : मेंहदीपुर बालाजी मंदिर जहां होते हैं चमत्कार|

 

मन्नै इब ते बचाले बाबा, आया मैं तेरे दरबार में।

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Mehandipur Balaji में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, जब हम किसी रोग-बीमारी से घिरते हैं तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं लेकिन अगर बीमारी ऐसी हो जो सांसारिक वैद्य-हकीमों की समझ से परे हो तो रोगी कहां जाये ? हम बात कर रहे हैं उस बीमारी की जिसे आम भाषा में कुछ लोग ऊपरी हवा या साया के नाम से जानते हैं तो इससे छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर भी साधारण नहीं बल्कि असाधारण ही चाहिए।

आज हम बात करेंगे इस समस्या से निजात दिलाने के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध श्री बालाजी महाराज के विषय में जिन्हें श्री हनुमान जी का बाल रूप माना जाता है। यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है जहां पर  देश —विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति के ऊपर प्रेत भूत का साया होता है उसे जरूर Mehandipur Balaji Mandir (राजस्थान) का दर्शन करना चाहिए। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।

Mehandipur Balaji Mandir का इतिहास

 

Mehandipur Balaji

जिस स्थान पर आज यह मंंदिर स्थित है यहां 1000 साल पहले  बेहद घनी झाड़ियां बसी हुई थीं तथा जंगली जानवरों का निवास था। एक दिन श्री महंत जी महाराज को सपना आया और वे स्वप्न में उठे और चल पड़े, वे कहां जा रहे हैं उन्हें इस बात का पता नहीं था। अचानक उन्होंने देखा कि सामने से हजारों दीपक चलते आ रहे हैं, तथा साथ-साथ हाथी घोड़ों की आवाज आ रही थीं। साथ ही एक बहुत लंबी फौज चली आ रही थी। उस फौज ने बालाजी मंदिर की मूर्ति की तीन प्रदक्षिणाएं कीं और वापस चली गईंं।

यह देखकर महंत जी को आश्चर्य भी हुआ और डर भी लगने लगा, वे अपने गांव चले आए और सो गए। लेकिन रात में उन्हें स्वप्न में तीन मूर्तियां दिखाई दीं। महंत जी के कानों में आवाज आई—“ उठो और मेरे सेवा का भार संभालो।” लेकिन महंत जी समझ नहीं पाए कि यह किसकी आवाज है। इसके बाद हनुमान जी ने स्वप्न में उन्हें दर्शन दिये। इसके बाद महंत जी ने अपने स्वप्न के बारे में आसपास के लोगों को बताया और सभी ने उस स्थान पर खुदाई की गई तो वहां से महाराज बालाजी की मूर्ति प्रकट हुई।

एक मंदिर बनवाकर इस मूर्ति की स्थापना कर दी गई जिसके बाद आगे जाकर यही स्थान Mehandipur Balaji Mandir के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

जब मुस्लिम शासकों ने किया मंदिर को नष्ट करने का प्रयास

 

Mehandipur Balaji

कुछ मुस्लिम शासकों ने इस बालाजी मूर्ति को नष्ट करने का प्रयास भी किया लेकिन वे मूर्ति की खुदाई के लिए जितना अधिक जमीन खोदते  उतनी ही मूर्ति की जड़ गहरी होती जाती। मूर्ति की जड़ कितनी गहरी है यह पता मुस्लिम बादशाह नहीं लगा पाए और अंत में भगवान बालाजी महाराज की मूर्ति को वहां से हटाने का विचार छोड़ दिया|

Mehandipur Balaji Mandir पूरे विश्व में भूत प्रेत ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए विख्यात है। तंत्र मंत्र तथा ऊपरी बाधाओं से ग्रसित व्यक्ति बालाजी महाराज का दर्शन करने के बाद बिना दवा के स्वस्थ होकर खुशी-खुशी घर लौटते हैं।  मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में स्थापित बालाजी मूर्ति में बाई छाती पर एक छेद है, जिनमें से हमेशा पानी की धार बहती रहती है। इस पानी को एक टैंक में इकट्ठा करके भगवान बालाजी के चरणों में अर्पित करने के बाद इसे श्रद्धालुओं में प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है|

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राजपूत वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

 

Mehandipur Balaji

 

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की बनावट राजपूत वास्तुकला से  प्रभावित है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में चार प्रांगण हैंं। पहले दो में भैरव बाबा की मूर्ति और बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित की गई है। इसके अलावा तीसरे और चौथे प्रांगण में प्रेतराज सरकार की मूर्ति स्थापित की गई है। जिन व्यक्तियों के ऊपर दुष्ट आत्माओं का साया रहता है, वे यहां पूजा करते हैं।

तीन पहाड़ी वाला मंदिर।

 

Mehandipur Balaji

श्री बालाजी मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित है तीन पहाड़ी मंदिर। यहां बाबा भैरव, मां काली की मूर्ति के साथ-साथ भगवान शिव भी पिण्डी रूप में विराजमान हैं। इस स्थान पर श्रद्धालु पैदल यात्रा करके पहूंचते हैं यहां पहुंचने के लिए सीढ़िया तथा कुछ समतल भाग दोनों हैं।
यात्रा के दौरान विश्राम के लिए मार्ग में दोनों ओर बैठने के लिए बैंच आदि बनी हुई हैं तथा खाने-पीने की भी व्यवस्था है। यहां पर पहुंचकर भक्तगणों को एक असीम शांति का अनुभव होता है तथा वे रास्ते की थकान को बिलकुल भूल जाते हैं।

अंजना माता का मंदिर

मंदिर मार्ग पर प्रवेश करते हुये माता अंजना जो कि श्री हनुमान जी की माता हैं उनका मंदिर है। मां अंजना की गोद में विराजमान बाल हनुमान का यह रूप अत्यधिक मनोहर तथा आकर्षक है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर बहुत ही सुंदर लगता है तथा शाम को सूरज ढलने के बाद रंग-बिरंगी रोशनी में यह अदभुत छटा बिखेरता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कैसे पहुंचें ?

 

Mehandipur Balaji

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर  के लिये निकटतम स्टेशन है बांदीकुई रेलवे स्टेशन। यहां से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी लगभग 36 किलोमीटर है। बांदीकुई रेलवे स्टेशन से बाहर ही आपको टेंपो या जीप मिल जाती हैं जो आपको मेहंदीपुर बालाजी मंदिर पहुंचा देंगे।

जानें क्या है अर्जी और दरख्वास्त ?

 

जिस दिन भक्तगण श्री मेंहदीपुर बालाजी धाम पहुंचते हैं तो वहां पहुंचकर मंदिर के पास एक पेटी में 10 रूपये अथवा अपनी श्रद्धानुसार चढ़ावा अर्पित किया जाता है जिसे अर्जी कहा जाता है। यह भगवान से प्रार्थना होती है कि हम आपके धाम सकुशल पहुंच गये हैं कृपया हमें अपनी शरण प्रदान कीजिए।
दरख्वास्त बालाजी धाम से वापसी के समय की जाती है कि हे बालाजी महाराज ! आपकी कृपा से हम आपके दर्शन कर पाये हैं कृपया अब हमें जाने की अनुमति तथा आशीर्वाद प्रदान कीजिए।

॥ इति॥

दोस्तों, आशा करते हैं कि आपको आज की पोस्ट Mehandipur Balaji पसंद आई होगी। कृपया पोस्ट को शेयर करें तथा इसी प्रकार की अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़े रहिए। धन्यवाद, आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


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