Durgiana Temple : यहां होता है लंगूर मेले का आयोजन
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नमस्कार दोस्तों, हमारे ब्लॉग पोस्ट durgiana temple में आपका हार्दिक स्वागत है। पंजाब अर्थात जहां पांच नदियां बहती हैं वह पंजाब है। पंजाब शब्द पंज यानी पांच तथा आब अर्थात पानी से मिलकर बना है। दोस्तों, पंजाब राज्य का अमृतसर शहर अपनी प्राचीन विरासत तथा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है।
यहां का स्वर्ण मंदिर विश्व प्रसिद्ध है जहां वर्ष भर पर्यटकों का आवागमन लगा रहता है। आज की पोस्ट में हम आपको अमृतसर शहर में ही स्थित एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बतायेंगे जिसका नाम है दुर्ग्याना मंदिर। इस मंदिर की निर्माण शैली लगभग स्वर्ण मंदिर की ही तरह है। यह मंदिर मां दुर्गा की आराधना के लिए विख्यात है। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।
Durgiana Temple History in Hindi | दुर्गियाना मंदिर, अमृतसर का इतिहास
Durgiana Temple दुर्गियाना मंदिर पंजाब के अमृतसर में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर हैं। इस मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर, दुर्गा तीर्थ और शीतला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का नाम देवी दुर्गा के नाम पर रखा गया है जहां इनकी पूजा और आराधना की जाती है। मंदिर परिसर में माता सीता तथा हनुमान जी के कुछ ऐतिहासिक मंदिर हैं।
दुर्गियाना मंदिर की निर्माण शैली
कहा जाता है कि इस हिंदू मंदिर का इतिहास 16वीं सदी पुराना है जबकि गुरु हरसाईमल कपूर के प्रयासों से धन एकत्रित करने के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण की शुरुआत हुई और स्थापत्य के लिये सिखों के स्वर्ण मंदिर से प्रेरणा ली गई। गंगा दशमी के दिन 1925 में दुर्ग्याणा मंदिर की नींव पं. मदनमोहन मालवीय के हाथों से रखी गई थी।
इस मंदिर और उसके परिसर का विनिर्माण 2013 में हुए एक सौंदर्यीकरण कार्यक्रम के दौरान किया गया था, जिसे 2015 में पूर्ण करने की योजना बनायीं गयी थी। इस विनिर्माण के कारण मंदिर परिसर के भीतर और बाहर पूजा करने के लिए अत्यधिक स्थान उपलब्ध कराया गया है।
इस मंदिर का निर्माण सिख धर्म के स्वर्ण मंदिर की वास्तुकला के अनुसार किया गया है। यह मंदिर 20वीं शताब्दी में बने भव्य हिन्दू मंदिरो में से एक हैं। दुर्गियाना मंदिर लोहगढ़ गेट के पास स्थित है। यह मंदिर अपनी नक़्क़ाशीदार चांदी के दरवाज़े के लिए रजत मंदिर के रूप में भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी (धन की देवी) और विष्णु (सृष्टि के संरक्षक) की भी प्रतिमाएं है जिनकी आराधना यहाँ की जाती है।
Durgiana Temple Architecture in Hindi – मंदिर की बनावट
सरकार द्वारा दिए गए सख्त आदेशों के अनुसार स्वर्ण मंदिर और इस मंदिर के 200 मीटर के दायरे में तम्बाकू, शराब और मॉस आदि की बिक्री को निषेध किया गया है। इस मंदिर का निर्माण पवित्र झील के बीचो बीच करवाया गया है जिसका क्षेत्रफल 160 मीटर x 130 मीटर है। इस मंदिर का गुबंद स्वर्ण मंदिर के समान ही है।
चांदी के कपाटों के चलते इसे ‘सिल्वर टेम्पल’ भी कहते हैं। मंदिर के गुबंद पर सोने का पानी चढ़ा है। मंदिर के निर्माण में संगमरमर का बड़े स्तर पर प्रयोग किया गया है। रात्रि के दौरान मंदिर के गुबंद को रंगीन लाइटों के द्वारा प्रकाशित किया जाता है। मंदिर में प्रवेश करते ही अखंड ज्योति के दर्शन होते हैं। यहां देवी दुर्गा के एक रूप शीतला माता की भी आराधना होती है।
दुर्ग्याणा मंदिर परिसर में माता सीता तथा हनुमान जी के मंदिर भी हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर, सरोवर के बीच है, जिसकी छतरियां और गुंबद ‘स्वर्ण मंदिर’ जैसे हैं। संगमरमर से बने मंदिर तक पहुंच के लिए एक पुल बनाया गया है। मंदिर में कांगड़ा शैली की चित्रकला और शीशे का अद्भुत कार्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है।
shri durgiana temple: आकर्षक सरोवर के बीच स्थित है मंदिर
मंदिर की स्थापना सरोवर के बीचों-बीच की गई है। यह एक विशाल तथा भव्य सरोवर है जिसमें देश ही नहीं अपितु विदेश में स्थित नदियों का पानी लाया गया है। मंदिर में लगे विशालकाय होर्डिंग के माध्यम से इन देशों तथा पवित्र सरोवरों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस सरोवर में कछुओं सहित अन्य जल प्राणी अठखेलियां करते हुए देखे जा सकते हैं जो देखते ही मन मोह लेते हैं। रात के समय जब रंगबिरंगी लाईटों का प्रकाश मंदिर तथा सरोवर पर पड़ता है तो ऐसा लगता है कि मानो आज ही दिपावली का उत्सव हो।
नवरात्रि पर होता है लंगूर मेले का आयोजन
नवरात्रि के अवसर पर यहां एक अनोखे मेले जिसे लंगूर मेले के नाम से जाना जाता है का आयोजन किया जाता है। इसमें मातायें अपने बालकों को लंगूर की वेशभूषा में सजाकर श्री हनुमान जी के दर्शनों को जाती हैं। इसके अतिरिक्त नवयुगल दंपत्ति इस मंदिर में श्री राधा कृष्ण का आशीर्वाद लेने आते हैं तथा अपने सफल वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं।
ऐसे पहुंचें दुर्ग्याना मंदिर
दुर्गियाना मंदिर पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित लोहगढ़ द्वार के निकट मौजूद छोटी सी झील जिसे दुर्गियाना झील के नाम से जाना जाता है में स्थित है। ये मंदिर अमृतसर रेलवे स्टेशन निकट स्थित है तथा साथ ही बस स्टैंड से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अमृतसर में देश के किसी भी कोने से सड़क, रेल तथा हवाई मार्ग द्वारा सुगमता से पंहुचा जा सकता है।
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