आलसी टिड्डा और मेहनती चींटियां The Ant and the Grasshopper Story in Hindi
चींटी और टिड्डा कहानी (The Ant and the Grasshopper Story)
किसी वन में हैरी नाम का टिड्डा रहता था। वह स्वभाव से मस्तमौला था कोई काम नहीं करता केवल सारा दिन जंगल में सिर पर हैट लगाकर घूमना-फिरना ही उसका काम था। कभी वह हरी-हरी घास खाता तो कभी तालाब पर जाकर धूप का आनंद लेता।
उसे गर्मियां बहुत पसंद थीं वर्षा ऋतु की ठंडी-ठंडी और खुशबूदार हवा उसका मन मोह लेती थी। जब वह बहुत खुश होता तो अकसर गाना गुनगुनाया करता था। एक दिन हैरी ने जंगल में घूमते हुए एक केला देखा वह केला बहुत ही मीठा था।
हैरी भूखा था सो उसने वह सारा केला जल्दी से खाकर खत्म कर दिया लेकिन अब उसका पेट इतना भर गया था कि उससे उड़ा भी नहीं जा रहा था। उसने सोचा कि क्यों ना एक पेड़ की छांव में लेटकर थोड़़ी देर के लिये सो लिया जाये। ऐसा सोचकर हैरी एक विशालकाय पेड़ के नीचे सो गया। The Ant and the Grasshopper Story
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कुछ देर बाद उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि बहुत-सी चींटियां खाने का सामान सिर पर उठाकर अपने बड़े-से बिल में जमा कर रही हैं। उनमें से कुछ चींटियां सूखी पत्तियां तथा लकड़ी आदि भी जमा कर रही थीं। वह उछलता-कूदता उनके पास गया और चींटियों से बोला-“यह तुम क्या कर रही हो? क्या आज तुम्हारे यहां पार्टी है जो इतना सारा खाना जमा कर रही हो ? चींटियां हैरी का स्वभाव जानती थीं उन्होने कहा नहीं हैरी! हमारे यहां कोई पार्टी नहीं है।
हैरी ने फिर पूछा तो इतना सारा भोजन क्यों जमा कर रही हो। इस पर एक चींटी ने उसे बताया कि हैरी ग्रीष्म ऋतु जाने को है और अब सर्दियां आने वाली हैं इसलिये हम भोजन जमा कर रहे हैं क्योंकि सर्दियों में खाना आसानी से नहीं मिलता। तुम भी अपने लिये कुछ भोजन जमा कर लो ताकि तुम्हें भी सर्दियों के मौसम मेें खाने की कोई परेशानी ना हो।
हैरी हंसते हुये बोला – इतने अच्छे मौसम का मजा लेने की जगह तुम इतनी मेहनत कर रही हो। खाना तो मिल ही जायेगा वैसे भी सर्दियां आने में अभी बहुत समय है आओ हम सब मिलकर खेलते हैं। चीटिंयों ने मना कर दिया। अब हैरी इधर-उधर घूमता हुआ उन्हें देख रहा था The Ant and the Grasshopper Story।
अचानक उसे एक आवाज सुनाई दी -“बचाओ, बचाओ।“ उसने जाकर देखा तो एक चींटी नदी के पानी में बहे जा रही थी। वह तुरंत वहां उड़कर पहुंचा और उस चींटी को अपनी पीठ पर बिठाकर सुरक्षित बाहर निकाल लाया। उस चींटी ने उसे धन्यवाद दिया। हैरी मुस्कुराया और गाना गाते हुये वहां से उछलता-कूदता चला गया।
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सर्दियों का समय आ चुका था। पेड़ों से सारे हरे-हरे पत्ते सूखकर गिर चुके थे तथा चारों ओर बर्फ गिर रही थी। अब हैरी को खाने को कुछ ना मिलता घास मिलना तो दूर एक सूखा पत्ता भी ना बचा जिसे खाकर वह अपनी भूख मिटा सके। ठंड और भूख से उसकी हालत खराब होती जा रही थी। अब उसे उन चींटियों की याद आई जिनकी बात उसने नहीं मानी थी और मजाक उड़ाई थी। अब वह चींटियों के बिल के पास गया और उनका दरवाजा खटखटाया।
एक चींटी बाहर आई उसने पूछा कहो हैरी क्या बात है ? वह बोला,“ मुझे बहुत भूख लगी है और ठंड भी लग रही है क्या मुझे खाने को कुछ मिल सकता है।“ अभी दोनों बातें कर ही रहे थे कि इतने में रानी चींटी अन्य चींटियों के साथ वहां पहुंची। इतने में हैरी कांपते-कांपते और भूख के कारण बेहोश हो गया। चींटी ने रानी चींटी को सारी बातें बताईं और यह भी बताया कि हैरी दयालु स्वभाव का है और उसने हमारे एक साथी को नदी में डूबने से भी बचाया था।
The Ant and the Grasshopper Story
सारी बात सुनकर रानी चींटी बोली कि हमें हैरी की मदद करनी चाहिये। उन्होने अन्य चींटियों को आदेश दिया कि अपने बिल के पास ही हैरी के लिये पत्तियों तथा लकड़ियों से रहने का एक स्थान बनाया जाये। कुछ ही समय में सबने मिलकर हैरी के लिए एक घर बना दिया और उसे गर्म सूप पिलाया जिससे उसकी सर्दी दूर हो गयी और वह जल्दी ही उठ बैठा। उसने रानी चींटी तथा अन्य चींटियों को जान बचाने के लिये धन्यवाद दिया।
रानी चींटी ने कहा देखो हैरी! तुम एक अच्छे टिड्डे हो। हमेशा याद रखो कि हमें भविष्य को देखते हुये अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति समय से कर लेनी चाहिये वरना बहुत समस्या होती है। आशा है कि आगे से तुम इस बात का ध्यान रखोगे। हैरी ने उन्हें उनके सुझाव के लिये धन्यवाद दिया। अब उसे एक अच्छा सबक मिल चुका था।
The Ant and the Grasshopper Story
Moral of the Story : कहानी का सार
हमें अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति समय से कर लेनी चाहिये |
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