दो किसान की कहानी : Do Kisaan Ki Kahani

दो किसान की कहानी : Do Kisaan Ki Kahani

Do Kisaan Ki Kahani दोस्तों आज हम आपको दो किसानों की कहानी बताते हैं जिनमें एक किसान को हमेशा परमात्मा से कुछ न कुछ शिकायत रहती थी जबकि दूसरा किसान भगवान को हर बात के लिए धन्यवाद देता था। 

पुराने समय की बात है किसी गांव में दो किसान रहते थे। दोनों बड़े गरीब। उनके पास बहुत थोड़ी जमीन थी जिस पर खेती करके अपना व अपने परिवार का गुजारा किया करते थे। समय गुजरा, और उन दोनों की मृत्यु एक साथ ही हुई।

Do Kisan

दोनों को यमराज के पास ले जाया गया, यमराज ने पूछा – बताओ कि तुम्हारे इस जीवन में क्या कमी थी और तुम्हें क्या बनाकर पुनः इस संसार में भेजा जाये ?

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पहला किसान क्रोध से बोला- प्रभु् ! आपने इस जन्म में मुझे बहुत ही घटिया जिन्दगी दी, कुछ भी नहीं दिया मुझे। पूरा जीवन मैंने खेतों में बैल की भांति काम किया जो थोड़ा बहुत कमाया भी वह पेट भरने में ही खर्च हो गया। ना तो मैंने और न ही मेरे परिवार ने अच्छे वस्त्र पहने और न ही अच्छा खाना खाया Do Kisaan Ki Kahani

यह सुनकर यमराज कुछ समय मौन रहे फिर पुनः बोले तो अब तुम क्या चाहते हो ? इस पर किसान बोला कुछ ऐसा कीजिये कि मेरे चारों ओर से पैसे-ही-पैसे बरसें परन्तु मुझे किसी को कुछ ना देना पड़े। प्रभु बोले तथास्तु।

यमराज ने दूसरे किसान से पूछा- तुम्हारी क्या इच्छा है ? क्या तुम्हें भी मुझसे शिकायत है? किसान बोला नहीं प्रभु ! मुझे  आपसे कोई शिकायत नहीं है आपसे मैं क्या मांगू ? आपने मुझे सब कुछ दिया दो हाथ-पैर, खेती करके अन्न उगाने के लिए जमीन, भूख लगने पर भोजन, तन ढंकने को पर्याप्त मात्रा में वस्त्र।

सिर्फ एक कमी लगी मुझे अपने जीवन में कि सीमित मात्रा में अन्न-धन होने के कारण मैं अपने द्वार पर आये भूखे व जरूरतमंद लोगों की सहायता नहीं कर सका। कुछ ऐसा कीजिये कि अब जो जन्म मिले तो यदि कोई भूखा व्यक्ति मेरे घर आये मैं उसकी खूब मन से सेवा-सहायता कर सकूं। यमराज उसकी बात सुनकर प्रसन्न हुये और बोले तथास्तु।

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Do Kisaan Ki Kahani दोनों किसानों को पुनः उसी गांव में जन्म मिला समय बीता दोनों बड़े हुये। पहला किसान जिसने अपने चारों ओर धन की और किसी को कुछ ना देने की कामना की थी वह उस गांव का सबसे बड़ा भिखारी बना। हर कोई उसकी झोली में धन डालता किन्तु उसे किसी को कुछ भी न देना पड़ता।

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दूसरा किसान उस गांव का बड़ा धनी एवं धर्मात्मा व्यक्ति बना, कोई भी उसके द्वारा से खाली ना जाता वह सबकी तन, मन, धन से सहायता किया करता।

Do Kisaan Ki Kahani : कहानी का सार

• मित्रों, ईश्वर ने हमें जो दिया है उसी में संतुष्ट रहना आवश्यक है। अक्सर देखत हैं कि हमें हमेशा भगवान से शिकायत रहती है कि हमें यह नहीं दिया वह नहीं दिया अगर हम थोड़ा रुककर यह सोचें कि उस दयालु परमात्मा ने हमें कितना कुछ  दिया है तो हम सिर्फ उसका धन्यवाद ही देंगे।

• दूसरों की उन्नति को देखकर दुःखी होने के कारण हम उन संसाधनों का भी ठीक प्रकार से आनन्द नहीं उठा पाते जो हमारे पास हैं। दृष्टिकोण के दो पहलू होते हैं सकारात्मक एवं नकारात्मक, अब यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम चीजों को किस रूप में देखते हैं।

Do Kisaan Ki Kahani

हमें चाहिये कि अच्छा जीवन जीने के लिये अपनी सोच अच्छी बनायें, कमियां न निकालें बल्कि जो कुछ भी हमारे पास है उसका आनन्द लें और दूसरों के प्रति सेवा भाव रखें।