आलसी ब्राह्मण की कहानी: Alsi brahman| lazy brahman story in Hindi
Alsi brahman एक गांव में आलसी ब्राह्मण रहता था। पूजा-पाठ के काम से उन्हें अच्छी आमदनी तो होती ही थी साथ ही एक छोटा सा खेत भी था जिसमें उन्होंने मौसमी फल एवं सब्जियां बो रखी थीं। उनमें बस एक ही कमी थी कि वह आलसी बहुत थे।
एक बार कहीं से पूजा-पाठ करवाकर आ रहे थे तो रास्ते में उन्हें एक साधु महाराज मिले जिन्हें वे अपने साथ अपने घर लेकर आ गये। अपनी पत्नी से सुस्वाद भोजन बनवाये, पति व पत्नी दोनों ने बड़े प्रेम भाव से भोजन कराया तथा उसके बाद उन साधू के चरण दबाये। साधु महाराज उन दोनों के सेवा भाव से अत्यन्त प्रसन्न हुये।
उन्होंने पूछा कि पुत्र कोई मनोकामना हो तो बताओ। अब ब्राह्मण को अवसर मिल गया था। वे तुरंत बोले महाराज कुछ ऐसा कर दीजिये कि मुझे कोई काम न करना पडे मैं जो चाहूं मेरे बिना किये ही सम्पन्न हो जाये। साधु ने मनचाहा वरदान दे दिया और चल दिये।
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अगले दिन जब वह ब्राह्मण अपने खेत पर जाने की तैयारी कर रहे थे तभी वहां पर एक जिन्न प्रकट हुआ। जिन्न बोला, मुझे साधु महाराज ने आपकी सेवा में भेजा है आप जो चाहेंगे मैं वह काम पूरा करूंगा बस एक बात का ध्यान रहे कि मैं खाली नहीं बैठ सकता। मुझे हर क्षण कोई-न-कोई काम करने की आदत है यदि आपने कभी मुझे कोई कार्य करने को ना कहा तो मैं आपको खा जाउंगा। Alsi brahman
अब तो ब्राह्मण प्रसन्न हो गये उनकी मनोकामना जो पूर्ण हो गयी थी। उन्होंने कहा कि जाकर मेरे खेत में पानी दे आओ। वह तुरंत गया और थोड़ी ही देर में वापस आ गया। ब्राह्मण बोले इतनी जल्दी आ गये ठीक से पानी दिया भी या नहीं । उन्होनें जाकर देखा तो आश्चर्यचकित रह गये जिन्न ने पूरे खेत में पानी दे दिया था।
अब जिन्न बोले कि अब और कोई आज्ञा दें तो उन्होंने कहा कि जाओ गांव में एक मन्दिर बना आओ। ब्राह्मण ने सोचा कि कम-से-कम दो महीने तो इसे लग ही जायेंगे तब तक मैं कोई और मुश्किल काम ढूंढ लूंगा। पर यह क्या वह जिन्न तो अगले ही दिन आ गया और बोला- काम पूरा हो गया मालिक कोई और काम बतायें।
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अब तो ब्राह्मण घबरा गया। वह अभी सोच ही रहा था तो देरी होने पर जिन्न बोला जल्दी बतायें वरना मैं आपको ही खा जाऊंगा। भयभीत ब्राहमण को इतनी जल्दी कोई काम न सूझा तो उसने कहा कि तुम इस गांव के पूरे 1000 चक्कर लगाकर वापस आओ। जिन्न जैसे ही गया वह ब्राह्मण भागकर सीधे उन साधु के पास जा पहुंचा और सारी समस्या बताई। बोला महाराज उस जिन्न से मेरी रक्षा कीजिये। Alsi brahman
साधु मुस्कुराये और बोले तुम ही ने तो कहा था कि मुझे कोई काम न करना पड़े अब तो तुम्हें प्रसन्नता होनी चाहिये। वह बोला नहीं, नहीं महाराज! मुझसे गलती हो गयी कृपया उस जिन्न से मेरा पीछा छुड़ाने का कोई उपाय बताइये। साधु ने कहा ठीक है और उसे एक युक्ति सुझाई।
इधर वह जिन्न ब्राह्मण की आज्ञानुसार पूरे 1000 चक्कर लगाकर वापस आ गया। बोला अब मुझे क्या करना है। अब उस ब्राह्मण ने कहा कि अमुक स्थान पर लोहे का एक खम्भा है तुम्हें उसके ऊपर चढ़ना और उतरना है और ऐसा तब तक करते रहना है जब तक कि मैं तुम्हें रुकने का आदेश ना दे दूं। जो आज्ञा कहकर वह जिन्न उसके बताये स्थान पर चला गया और वहां पर जाकर वह काम प्रारम्भ कर दिया।
अब वह प्रतिदिन उस खम्भे पर चढ़ता और उतरता ऐसा करते-करते एक महीना बीत चुका था। ब्राह्मण ने सोचा कि चलकर देखा जाये कि उस जिन्न के क्या हाल हैं ? जिन्न तो जैसे परेशान हो चुका था वह बोला स्वामी मुझे और कोई काम दें इस पर वह ब्राह्मण बोला कि अभी कम-से-कम दो महीने तुम्हें यही काम करना है उसके बाद कोई अन्य काम बताउंगा ऐसा कहकर वहां से चला गया।
अब जिन्न थककर चूर हो चुका था उसने मन ही उस साधु से विनती की। साधु ने जिन्न को ब्राह्मण के कार्य से मुक्त कर दिया तथा वापस उसके स्थान पर भेज दिया। आलसी ब्राह्मण को भी अच्छी शिक्षा प्राप्त हो चुकी थी। इस तरह दोनों का एक-दूसरे से पीछा छूट गया।
(Alsi brahman ki kahani) : कहानी का सार Moral of the story
हमें कभी भी आलस नहीं करना चाहिये और हमेशा उससे बचना चाहिये |
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