चमन और उड़ने वाले जूते : Jadui Jute

चमन और उड़ने वाले जूते : Jadui Jute

(Jadui Jute) पुराने समय की बात है। एक गांव में सेठ गंगादास की दुकान पर एक नौकर काम करता था जिसका नाम था चमन। वह परिश्रमी तो बहुत था किन्तु था बड़ा भोला। चालाकी, दुनियादारी आदि चीजों से अन्जान चमन कभी-कभी अपनी कल्पना में खो जाता। सेठ जी उसे बहुत प्यार करते तथा उसकी देखभाल भी करते ताकि अपने भोलेपन के कारण यह किसी मुसीबत में ना फंस जाये।

Jadui Jute

एक दिन वह दुकान के गोदाम में बैठा बाहर उड़ने वाले पक्षियों को देख रहा था। इतने में सेठ जी वहां पहुंच गये और बोले क्यों रे चमन ! बाहर क्या देख रहा है काम क्यों नहीं करता? चमन बोला सेठ जी इन पक्षियों के कितने मजे हैं कोई काम नहीं करना पड़ता सारा दिन मजे से आकाश में उड़ते रहना,  किसी की गुलामी नहीं।

सेठ जी ने डांटा “फिजूल की बातों में अपना वक्त बर्बाद मत कर और काम पर ध्यान दे।“ लेकिन चमन तो जैसे उनकी बातों पर ध्यान ही नही दे रहा था वह बोला कितना अच्छा होता कि मैं भी आकाश में इन पक्षियों की तरह उड़ पाता।

अब सेठ जी को गुस्सा आ गया वे बोले तो फिर जा उड़ जा….मेरा मतलब भाग जा यहां से, पहले अपनी इच्छा पूरी करले फिर दुकान पर आना। चमन पहले भी एक-दो बार ऐसा कर चुका था इसलिये सेठ जी को पूरा विशवास रहता कि कुछ समय बाद वह स्वयं ही लौट आयेगा।

अब चमन उदास होकर एक पहाड़ी के पास जाकर बैठ गया। वहां से एक साधु गुजर रहे थे जब उन्होने चमन को देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा। चमन बोला क्या बताऊं महाराज मेरी नौकरी छूट गयी है। संत ठहरे मस्तमौला वे बोले-“यह तो खुशी की बात है! अब से तू आजाद है, चल मेरे साथ, दोनों मजे से नई-नई जगहों पर घूमेंगे।“ वह बोला नहीं, नही! मुझे संन्यासी नहीं बनना मेरी तो इच्छा एक बार इन पक्षियों की तरह हवा में उड़ने की है।

Jadui Jute

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साधु उसके भोले स्वभाव पर मुस्कुराये। उन्होंने हवा में हाथ घुमाया और उनके हाथ में एक जोड़ी जूते  प्रकट हो गये। वे बोले ये जादुई जूते हैं इन्हें पहनकर एक मंत्र पढ़ना और तू हवा में उड़ने लगेगा और दूसरा मंत्र बोलकर नीचे उतर आएगा। ऐसा कहकर वो चले गये। अब तो चमन की खुशी का ठिकाना ही ना था। उसने तुरंत जूते पहनकर मंत्र पढ़ा और उड़ चला हवा में।

वाह-वाह हवा में उड़ने में कितना मजा आता है यह आज पता चला, चमन बोला। जब उड़ते-उड़ते बहुत देर हो गयी तो उसको भूख लगने लगी। उसने एक गांव देखा और वहीं पर उतर कर कुछ भोजन करने का सोचा। अब था तो भोला ही, छिपकर उतरने के बजाय सबके सामने नीचे उतरा। सभी सोचने लगे कि यह तो भगवान मानव रूप में आसमान से उतर रहे हैं। सबने चमन के पैर पकड़ लिये, लोग चमन की आरती उतारने लगे चमन घबराकर वहां से भागा और फिर से उड़ चला।

Jadui Juta

एक बार की बात है एक दिन जब उसने वह उड़ने वाला मंत्र पढ़ा तब दो चोरों ने उसे सुन लिया उन्होनें सोचा कि अगर ये जूते हमारे हाथ लग जायें तो पहले चोरी करो और फिर उड़ जाओ कोई पकड़ भी नहीं पायेगा ऐसा सोचकर वे दोनों चोर जूते  चुराने के इरादे से उसके पीछे हो लिये। चमन हवा में और दोनों चोर नीचे उसके पीछे-पीछे भाग रहे थे।

Jadui Jute

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चमन थक चुका था। वह नदी पर पानी पीने के लिये नीचे उतरा, नदी का पानी ठंडा एवं मीठा था। उसने सोचा क्यों ना स्नान भी कर लिया जाये। ऐसा सोचकर उसने अपने जादुई जूते उतारे और नहाने के लिए नदी में उतर गया। तब तक दोनों चोर भी वहां आ चुके थे। उन्होंने देखा कि चमन तो नहाने जा चुका है तो उन्होंने जूते चुरा लिये।

अब दोनों इस बात पर झगड़ने लगे कि कौन इन Jadui Jute जूतों को पहनेगा। उनमें से एक बोला देख हम साथ-साथ ही चोरी करते है इसलिये एक जूता तू पहन ले और एक मैं पहन लेता हूं और दोनों साथ में उड़ेंगे। ऐसा कहकर उन्होंने मंत्र बुदबुदाया और हवा में उड़ने लगे।

जब चमन ने देखा कि उसके जूते  लिये गये हैं तो वह बड़ा पछताया लेकिन अब तक उसका मन उन जूतों Jadui Jute से भर चुका था वह तो अब वापस सेठ जी के यहां काम पर जाना चाहता था। उधर चोरों को उड़ने का मंत्र तो याद था पर नीचे उतरने का मंत्र वे नहीं जानते थे। अब दोनों चमन से कहने लगे कि भाई हमें नीचे उतरने का मंत्र बता दो हम जो भी चोरी करेंगे उसका एक भाग तुम्हें भी दिया करेंगे। Jadui Jute

चमन ने कहा नहीं चोरी करना बुरा काम हैै। तुम दोनों की सजा यही है कि अबसे तुम दोनों हवा में ही उड़ते रहो और ऐसा कहकर चमन नाचता-गाता हुआ चल दिया अपने सेठ जी के पास।

Jadui Jute :कहानी से प्रेरणा

चोरी करना बुरी बात है।