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Shiv Raksha Stotra : शिव रक्षा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

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Shiv Raksha Stotra in Hindi  Meaning :

शिव रक्षा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित।

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Shiv Raksha Stotra में आपका हार्दिक अभिनंदन है। “शिव।” दोस्तों, इन दो अक्षरों में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाया है। कहते हैं कि जब संसार नहीं था तब मात्र एक शून्य था। सृष्टि की रचना हुई नाद से। शिव तथा नाद एक-दूसरे के पूरक हैं अर्थात शिव ही नाद है तथा नाद ही शिव हैं।

Shiv Raksha Stotra

शिव शब्द ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करता है, शिव सृष्टि के कण-कण में समाये हैं वे प्रलयकर्ता हैं तो सृष्टि में चेतना उत्पन्न करने वाले भी। वे अनंत हैं, अविनाशी हैं, दिगम्बर हैं, औघड़दानी हैं। यदि महादेव को विस्तार से जाननें का प्रयत्न करें तो युग बीत जायेंगे किन्तु फिर भी उनका पार पाना अत्यंत कठिन है।

दोस्तों, आज की पोस्ट में हम ब्रह्माण्ड के स्वामी शिवजी के एक स्तोत्र को जानेंगे जिसका नाम है श्री शिव रक्षा स्तोत्र। इस स्तोत्र में, हम भगवान शिव को उनके शुभ नामों से पुकार कर, हमारे शरीर के प्रत्येक अंग की रक्षा करने के लिए कह रहे हैं। यह भी  श्री दुर्गा कवच ​​तथा श्री राम रक्षा स्तोत्र की तरह एक कवच है। पाठकों की सुविधा के लिए इस स्तोत्र Shiv Raksha Stotra का हिन्दी अर्थ भी दिया गया है। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं।

Shiv Raksha Stotra: शिव रक्षा स्तोत्र की रचना किसने की ?

 

Shiv Raksha Stotra

 

भगवान् शिव सृष्टि के पालक हैं इनकी पूजा बहुत ही सरल है या कहें कि शुद्ध हृदय से की जाने वाली आराधना ही भगवान शिव की आराधना है। यह स्तोत्र यागवल्क्य ऋषि (Yagavalkya Rishi) की रचना है। कहते हैं कि शिव रक्षा स्तोत्र स्वयं        भगवान विष्णु ने इन्हें स्वप्न में बताया था।

 

Shiv Raksha Stotra : शिव रक्षा स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)

 

विनियोग: 

ऊँ अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषि:,
श्रीसदाशिवो देवता, अनुष्टुप् छन्द:, श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोग: ।

भावार्थ : – इस शिवरक्षास्तोत्र मन्त्र के याज्ञवल्क्य ऋषि हैं, श्रीसदाशिव देवता हैं और अनुष्टुप छन्द है, श्रीसदाशिव की प्रसन्नता के लिए शिवरक्षास्तोत्र के जप में इसका विनियोग किया जाता है।

चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।
अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम् ॥1॥

भावार्थ : – देवाधिदेव महादेव का यह परम पवित्र चरित्र चतुर्वर्ग (धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष)  की सिद्धि प्रदान करने वाला दाशन है, यह अतीव उदार है। इसकी उदारता का पार नहीं है।

गौरीविनायकोपेतं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।
शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नर: ॥2॥

भावार्थ : – साधक को गौरी और विनायक से युक्त, पाँच मुख वाले दश भुजाधारी त्र्यम्बक भगवान शिव का ध्यान करके शिवरक्षास्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

गंगाधर: शिर: पातु भालमर्धेन्दुशेखर: ।
नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषण: ॥3॥

Shiv Raksha Stotra

भावार्थ : – गंगा को जटाजूट में धारण करने वाले गंगाधर शिव मेरे मस्तक की, शिरोभूषण के रूप में अर्धचन्द्र को धारण करने वाले अर्धेन्दुशेखर मेरे ललाट की, मदन को ध्वंस करने वाले मदनदहन मेरे दोनों नेत्रों की तथा सर्पों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले सर्पविभूषण शिव मेरे कानों की रक्षा करें।

घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पति:।
जिह्वां वागीश्वर: पातु कन्धरां शितिकन्धर:॥4॥

भावार्थ : – त्रिपुरासुर के विनाशक पुराराति मेरे घ्राण (नाक) की, जगत की रक्षा करने वाले जगत्पति मेरे मुख की, वाणी के स्वामी वागीश्वर मेरी जिह्वा की, शितिकन्धर (नीलकण्ठ) मेरी गर्दन की रक्षा करें।

श्रीकण्ठ: पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धर:।
भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ॥5॥

भावार्थ : – श्री अर्थात सरस्वती जिनके कण्ठ में निवास करती हैं , वे श्रीकण्ठ मेरे कण्ठ की, विश्व की धुरी को धारण करने वाले विश्वधुरन्धर शिव मेरे दोनों कन्धों की, पृथ्वी के भारस्वरुप दैत्यादि का संहार करने वाले भूभारसंहर्ता शिव मेरी दोनों भुजाओं की, पिनाक धारण करने वाले पिनाकधृक मेरे दोनों हाथों की रक्षा करें Shiv Raksha Stotra।

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हृदयं शंकर: पातु जठरं गिरिजापति: ।
नाभिं मृत्युंजय: पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बर: ॥6॥

भावार्थ : – भगवान शंकर मेरे हृदय की और गिरिजापति मेरे जठरदेश की रक्षा करें। भगवान मृत्युंजय मेरी नाभि की रक्षा करें तथा व्याघ्रचर्म को धारण करने वाले भगवान शिव मेरे कटि-प्रदेश की रक्षा करें।

सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सल: ।
ऊरू महेश्वर: पातु जानुनी जगदीश्वर: ॥7॥

Shiv Raksha Stotra

भावार्थ : – दीन, आर्त और शरणागतों के प्रेमी – दीनार्तशरणागतवत्सल मेरे समस्त सक्थियों (हड्डियों) की, महेश्वर मेरे ऊरूओं तथा जगदीश्वर मेरे जानुओं की रक्षा करें।

जंघे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिप: ।
चरणौ करुणासिन्धु: सर्वांगानि सदाशिव: ॥8॥

भावार्थ : – जगतकर्ता मेरी जंघाओं की, गणाधिप दोनों गुल्फों (एड़ी की ऊपरी ग्रंथि) की, करुणासिन्धु दोनों चरणों की तथा भगवान सदाशिव मेरे सभी अंगों की रक्षा करें।

एतां शिवबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत् ।
स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात् ॥9॥

भावार्थ : – जो सुकृती साधक कल्याणकारिणी शक्ति से युक्त इस शिवरक्षास्तोत्र का पाठ करता है, वह समस्त कामनाओं का उपभोग कर अन्त में शिवसायुज्य को प्राप्त करता है।

ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये ।
दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात् ॥10॥

भावार्थ : – त्रिलोक में जितने ग्रह, भूत, पिशाच आदि विचरण करते हैं, वे सभी इस स्तोत्र के पाठ मात्र से ही तत्क्षण दूर भाग जाते हैं।

अभयंकरनामेदं कवचं पार्वतीपते: ।
भक्त्या बिभर्ति य: कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ॥11॥

 

Shiv Raksha Stotra

भावार्थ : – जो साधक भक्तिपूर्वक पार्वतीपति शंकर के इस “अभयंकर” नामक कवच को कण्ठ में धारण करता है, तीनों लोक उसके अधीन हो जाते हैं।

इमां नारायण: स्वप्ने शिवरक्षां यथादिशत् ।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथालिखत् ॥12॥

भावार्थ : – भगवान नारायण ने स्वप्न में इस “शिवरक्षास्तोत्र” का इस प्रकार उपदेश किया, योगीन्द्र मुनि याज्ञवल्क्य ने प्रात:काल उठकर उसी प्रकार इस स्तोत्र को लिख लिया।

।।इति श्रीयाज्ञवल्क्यप्रोक्तं शिवरक्षास्तोत्रमं सम्पूर्णम्।।

 

Shiv Raksha Stotra ke Fayde : शिव रक्षा स्तोत्र  के फ़ायदे 

 

Shiv Raksha Stotra

 

• पूर्ण विश्वास, भक्ति तथा एकाग्रता के साथ इस स्तोत्र का जाप या पाठ करने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी नकारात्मकता दूर हो जाती है।

• शिव रक्षा स्तोत्र (Shiv Raksha Stotra) व्यक्ति को बीमारियों, बुरी आत्माओं, गरीबी तथा अन्य सभी नकारात्मक भावनाओं से बचाने की शक्ति रखता है।  

• शिव रक्षा स्तोत्र का नियमित पाठ करने से साधक दीर्घायु, सुखी, बाल-समान, विजयी और यशस्वी रहता है।

• जो व्यक्ति इस स्तोत्र को मन में भक्ति, एकाग्रता तथा अडिग विश्वास के साथ पढ़ता है, वह सदा के लिये निर्भय हो जाता है।

॥इति॥

दोस्तों, आशा करते हैं कि पोस्ट Shiv Raksha Stotra से आपको आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति होगी। यदि पोस्ट आपको पसंद आई हो तो कृपया इसे आगे भी शेयर करें। इसी प्रकार की अन्य धार्मिक तथा आध्यात्मिक जानकारियां के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद, भगवान शिव आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


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