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Gopal Chalisa : श्री गोपाल चालीसा / संतान गोपाल चालीसा

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Gopal Chalisa : श्री गोपाल चालीसा/ संतान गोपाल चालीसा|

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट gopal chalisa में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, भगवान श्रीकृष्ण ऐसे देवता हैं जिनकी लोकप्रियता उनके बाल रूप से लेकर उनकी युवावस्था तक है। दूसरे शब्दों में कहें तो जहां वे अर्जुन के सारथी बनकर अपने विराट स्वरूप में पूजे जाते हैं तो वहीं अपने बालरूप में वे लड्डू गोपाल, बाल गोपाल के स्वरूप में भी पूजे जाते हैं।

इस पोस्ट में हम इन्हीं बाल गोपाल की चालीसा के बारे में जानेंगे जिसका नाम है श्री गोपाल चालीसा। इसका पाठ करने से सहज ही श्री कान्हा जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा ऐसी मान्यता भी है कि जो भक्त पुत्र प्राप्ति की लालसा रखते हैं इस चालीसा के प्रभाव से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है तथा उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। तो आईये, पोस्ट gopal chalisa शुरू करते हैं।

Gopal Chalisa

॥ दोहा ॥

श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल ।

वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी ।
दुष्ट दलन लीला अवतारी ॥1॥

जो कोई तुम्हरी लीला गावै ।
बिन श्रम सकल पदारथ पावै ॥2॥

श्री वसुदेव देवकी माता ।
प्रकट भये संग हलधर भ्राता ॥3॥

मथुरा सों प्रभु गोकुल आये ।
नन्द भवन में बजत बधाये ॥4॥

जो विष देन पूतना आई ।
सो मुक्ति दै धाम पठाई ॥5॥

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तृणावर्त राक्षस संहार्यौ ।
पग बढ़ाय सकटासुर मार्यौ ॥6॥

खेल खेल में माटी खाई ।
मुख में सब जग दियो दिखाई ॥7॥

गोपिन घर घर माखन खायो ।
जसुमति बाल केलि सुख पायो ॥8॥

ऊखल सों निज अंग बँधाई ।
यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई ॥9॥

बका असुर की चोंच विदारी ।
विकट अघासुर दियो सँहारी ॥10॥

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ब्रह्मा बालक वत्स चुराये ।
मोहन को मोहन हित आये ॥11॥

बाल वत्स सब बने मुरारी ।
ब्रह्मा विनय करी तब भारी ॥12॥

काली नाग नाथि भगवाना ।
दावानल को कीन्हों पाना ॥13॥

सखन संग खेलत सुख पायो ।
श्रीदामा निज कन्ध चढ़ायो ॥14॥

चीर हरन करि सीख सिखाई ।
नख पर गिरवर लियो उठाई ॥15॥

दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों ।
राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों ॥16॥

नन्दहिं वरुण लोक सों लाये ।
ग्वालन को निज लोक दिखाये ॥17॥

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शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई ।
अति सुख दीन्हों रास रचाई ॥18॥

अजगर सों पितु चरण छुड़ायो ।
शंखचूड़ को मूड़ गिरायो ॥19॥

हने अरिष्टा सुर अरु केशी ।
व्योमासुर मार्यो छल वेषी gopal chalisa॥20॥

व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये ।
मारि कंस यदुवंश बसाये ॥21॥

मात पिता की बन्दि छुड़ाई ।
सान्दीपनि गृह विद्या पाई ॥22॥

पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी ।
प्रेम देखि सुधि सकल भुलानी ॥23॥

कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी ।
हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी ॥24॥

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भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये ।
सुरन जीति सुरतरु महि लाये ॥25॥

दन्तवक्र शिशुपाल संहारे ।
खग मृग नृग अरु बधिक उधारे ॥26॥

दीन सुदामा धनपति कीन्हों ।
पारथ रथ सारथि यश लीन्हों ॥27॥

गीता ज्ञान सिखावन हारे ।
अर्जुन मोह मिटावन हारे ॥28॥

केला भक्त बिदुर घर पायो ।
युद्ध महाभारत रचवायो ॥29॥

द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो ।
गर्भ परीक्षित जरत बचायो ॥30॥

कच्छ मच्छ वाराह अहीशा ।
बावन कल्की बुद्धि मुनीशा ॥31॥

ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो ।
राम रुप धरि रावण मार्यो ॥32॥

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जय मधु कैटभ दैत्य हनैया ।
अम्बरीय प्रिय चक्र धरैया ॥33॥

ब्याध अजामिल दीन्हें तारी ।
शबरी अरु गणिका सी नारी ॥34॥

गरुड़ासन गज फन्द निकन्दन ।
देहु दरश ध्रुव नयनानन्दन ॥35॥

देहु शुद्ध सन्तन कर सङ्गा ।
बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रङ्गा ॥36॥

देहु दिव्य वृन्दावन बासा ।
छूटै मृग तृष्णा जग आशा ॥37॥

तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद ।
शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद ॥38॥

जय जय राधारमण कृपाला ।
हरण सकल संकट भ्रम जाला ॥39॥

बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी ।
जो सुमरैं जगपति गिरधारी ॥40॥

जो सत बार पढ़ै चालीसा ।
देहि सकल बाँछित फल शीशा ॥41॥

॥ छंद ॥

गोपाल चालीसा पढ़ै नित, नेम सों चित्त लावई ।

सो दिव्य तन धरि अन्त महँ, गोलोक धाम सिधावई ॥

संसार सुख सम्पत्ति सकल, जो भक्तजन सन महँ चहैं ।

‘जयरामदेव’ सदैव सो, गुरुदेव दाया सों लहैं ॥

॥ दोहा ॥

प्रणत पाल अशरण शरण, करुणा-सिन्धु ब्रजेश ।

चालीसा के संग मोहि, अपनावहु प्राणेश ॥

॥ इति श्री गोपाल चालीसा संपूर्णम् ॥

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Gopal Chalisa Benefits: गोपाल चालीसा के लाभ

 

• नियमित रूप से गोपाल चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।

• परिवार के सदस्यों तथा विशेषकर बच्चों पर प्रभु की अनुकम्पा सदैव रहती है।

• इस चालीसा के पाठ से धन-धान्य में बढ़ोत्तरी तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

• भगवान श्रीकृष्ण के विशेष दिवस जैसे एकादशी , जन्माष्टमी आदि पर पूर्ण श्रद्धाभाव से चालीसा का पाठ करने वाला व्यक्ति के यहां कभी दरिद्रता का वास नहीं रहता तथा माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।

• ऐसी मान्यता है कि इस चालीसा का पाठ यदि पुत्र प्राप्ति की कामना हेतु किया जाता है तो व्यक्ति को श्रेष्ठ पुत्र की प्राप्ति होती है। 

॥ इति॥

दोस्तों, आपको gopal chalisa पोस्ट कैसी लगी कृपया हमें कमेंट करके बतायें। आप अपने सुझाव भी हमें भेज सकते हैं। कृपया पोस्ट को अपने मित्रगण तथा परिवार के सदस्यों को भी शेयर करें जिससे वे भी धार्मिक लाभ उठा सकें। धन्यवाद, आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


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