Mahashivratri 2024 | महा शिवरात्रि 2024
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नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट mahashivratri 2024 में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, सनातन धर्म में तीन प्रमुख देवता हैं श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री महेश। इनमें श्री ब्रह्मा जी को प्रकृति की उत्पत्ति का, श्री विष्णु जी को पालन का तथा श्री महेश अर्थात शिव जी को संहार का देवता माना जाता है।
भगवान शिव की पूजा देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी की जाती है, यह सबसे लोकप्रिय देवता हैं। भगवान शिव के कई विख्यात मंदिर देश-विदेश में स्थापित हैं। इन्हीं भगवान शिव को समर्पित त्योहार है महाशिवरात्रि। यूं तो हर महीने में शिवरात्रि आती है, लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि का खास महत्व होता है।
इस अवसर पर श्रद्धालु शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक करते हैं। बहुत से लोग शिवरात्रि का व्रत करते हैं और रात्रि जागरण भी करते हैं। इस पोस्ट में हम इस पर्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं-
Maha Shivaratri 2024 : कब मनाया जाता है यह पर्व
हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। शास्त्रों की माने तों महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं जहां इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
पौराणिक कथा
mahashivratri 2024
एक प्रचलित कथा के अनुसार मां पार्वती भगवान शिव की पूर्व पत्नि माता सती का ही पुनर्जन्म है। माता सती ने पिता दक्ष द्वारा अपने पति का अपमान होने से क्षुब्ध होकर अग्नि में कूदकर अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। तत्पश्चात सती ने हिमालय राज तथा उनकी पत्नी, रानी मैना के यहां उनकी पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया।
अपने दूसरे जन्म में वे पार्वती के रूप में शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कई प्रयत्न किए थे, किंतु भोलेनाथ प्रसन्न नहीं हुए। इसके बाद मां पार्वती ने त्रियुगी नारायण से 5 किलोमीटर दूर गौरीकुंड नामक स्थान पर कठिन साधना की थी और शिवजी को पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त कर लिया। और इसी दिन शिवजी और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
इस वर्ष शिवरात्रि : mahashivratri 2024 Date
इस वर्ष शिवरात्रि का यह पर्व दिनांक 08 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा।
महाशिवरात्रि का क्या है महत्व
महाशिवरात्रि आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले साधकों के लिए बहुत महत्व रखती है। यह उनके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है जो पारिवारिक परिस्थितियों में हैं और संसार की महत्वाकांक्षाओं में मग्न हैं। पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव की तरह मनाते हैं।
जो सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में मग्न हैं वे महाशिवरात्रि को, शिवजी के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस शुभ दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है और भगवान शिव की अराधना करता है उसे नरक की यातना कभी नहीं सहनी पड़ती।
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शिवजी का पूजन : Pujan Vidhi
महादेव, भोलेनाथ आदि नामों से प्रख्यात भगवान शिव अपने भक्तों द्वारा मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं। ये शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देव हैं इसी कारण इनका एक नाम आशुतोष भी है। शिव जी अपने भक्तों पर अपनी कृपा की वर्षा कर उनकी समस्त मनोकामनाओं को अविलम्ब पूर्ण कर देते हैं।
इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव को दूध, फल और बेला या बिल्वा/बिल्वम् अर्पित किया जाता है। बहुत से भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और संध्या को भगवान का कीर्तन व पाठ करते हैं और भगवान शिव को समर्पित पवित्र मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते हैं। योग और ध्यान के अभ्यास के लिए भी कुछ भक्त भगवान शिव से वरदान प्राप्त करते हैं।
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प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा
हमारे देश में इस दिन विभिन्न प्रान्तों में शिवलिंग पर कांवड़ द्वारा लाये गये जल को चढ़ाये जाने की परंपरा भी है। शिवभक्त इस दिन गंगोत्री, हरिद्वार तथा अन्य पवित्र नदियों से कांवड़ में जल भरकर लाते हैं तथा अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। कांवड़ यात्रा में सभी शिव भक्त भगवान की भक्ति में सराबोर हो जाते हैं।
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आदि योगी शिव
यौगिक परंपरा में, शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता उन्हें आदि गुरु माना जाता है। पहले गुरु, जिनसे ज्ञान उपजा। ऐसी मान्यता है कि जिन साधकों का कोई गुरु न हो, वे भगवान शिव को अपना गुरू मान सकते हैं।
मंडी का अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध महाशिवरात्रि मेला
हिमाचल प्रदेश के मंडी में एक हफ्ते तक अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि मेला हर साल आयोजित किया जाता है जो राज्य के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इस दिन देश—विदेश से पर्यटक बडी संख्या में इस उत्सव का आनंद लेने आते हैं तथा बाबा भोलेनाथ के रंग में रंग जाते हैं।
नेपाल में महा शिवरात्रि
नेपाल में बड़े पैमाने पर शिवरात्रि को मनाया जाता है। इसे यहां पद्म राजरात्री के रूप में भी जाना जाता है| इस दिन, भक्तों का सुबह से ही मंदिरों में तांता लगना शुरू हो जाता है। भक्त शिव लिंग को ठंडे पानी, दूध और बेल पत्ते प्रदान करते हैं। नेपाल में, प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु शिवरात्रि के उत्सव में भाग लेते हैं।
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भगवान शिव की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांंगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
॥ इति ॥
पाठकों एवं शिव भक्तों से jagurukta.com परिवार निवेदन करता है कि इस दिन mahashivratri 2024 को भगवान शिव एवं माता पार्वती जी की विशेष कृपा पाने के लिये इनकी अराधना अवश्य करें। धन्यवाद!
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