Bhaum Pradosh Vrat 2024 : करें सभी मनोकामनाओं की पूर्ति ।
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नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Bhaum Pradosh vrat 2024 में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, इस बार साल का पहला प्रदोष व्रत 9 जनवरी यानी मंगलवार को है इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जायेगा। भगवान शिव जी के साथ-साथ माता पार्वती की प्रसन्नता पाने का यह सबसे सरल उपवास है।
इस पोस्ट में हम व्रत की विधि तो जानेंगे ही साथ ही यह भी जानेंगे कि हमें इस दिन कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं –
Bhaum Pradosh vrat 2024 : पौष प्रदोष व्रत
Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत हर संकट से मुक्ति पाने के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। जनवरी में पौष महीने और साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत बेहद महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इस दिन शिव की प्रिय रात्रि यानी मासिक शिवरात्रि व्रत का संयोग भी बन रहा है।
प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा शाम के समय की जाती है, इसलिए त्रयोदशी तिथि जिस दिन संध्याकाल में पड़ रही हो उसी दिन प्रदोष व्रत मान्य होता है।
Pradosh Vrat 8 or 9 January 2024 : इस साल कब है पौष प्रदोष व्रत
पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जनवरी 2024 को रात 11 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 जनवरी 2024 को रात 10 बजकर 24 मिनट पर इसका समापन होगा। इस साल का पहला प्रदोष व्रत 9 जनवरी 2024 को रखा जाएगा।
ये भौम प्रदोष व्रत होगा। शिव जी की पूजा के लिए इस दिन शाम 05.01 मिनट से रात 08.24 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा इस कारण इस बार साधक को 2 घंटे 43 मिनट का समय मिलेगा।
प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एकसाथ
9 जनवरी 2024 को रात 10.24 के बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी, जो 10 जनवरी रात 08.10 मिनट तक रहेगी। ऐसे में शिवरात्रि का व्रत करने वाले मासिक शिवरात्रि की पूजा देर रात 12.01 से देर रात 12.55 के शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत का संयोग पूर्व जन्म के पापों एवं कष्टों एवं पापों से मुक्ति पाने के लिए बहुत लाभदायी होता है ऐसे में शिव जी पूजा करने वालों को दोगुना लाभ होगा। जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और समृद्धि के लिए किया जाता है।
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प्रदोष व्रत कथा-कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था तथा उसका कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी और अपने पुत्र का पालन करती थी।
एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आयी। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।
एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को भगवान शंकर ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए, वैसा ही किया गया।
ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया।
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
• त्रयोदशी के दिन स्नान के बाद स्वच्छ, सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
• फिर भगवान की चौकी को रंगीन वस्त्रों से सजाएं।
• सबसे पहले उस चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें, फिर शिव-पार्वती की मूर्ति को रखें और विधि-विधान से पूजा करें।
• भगवान को नैवेध अर्पित हवन करें, इस दौरान “ऊँ उमा सहित शिवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद कथा करके भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करें।
न करें ये 7 गलतियां
भौम प्रदोष व्रत पर शिवजी की विधिवत पूजा से मनचाहा वरदान मिल सकता है लेकिन साल के पहले प्रदोष व्रत पर यें गलतियां करने से बचें —
• शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है तथा पुरुष तत्व से संबंधित है, इसलिए कभी भी भगवान शिव या शिवलिंग को हल्दी या कुमकुम नहीं लगाना चाहिए।
• भगवान शिव की पूजा में महिलाओं द्वारा शिवलिंग का स्पर्श वर्जित माना गया है।
• सदैव सफेद वस्त्र धारण करके ही शिवजी की पूजा करनी चाहिये। काले वस्त्र पहनकर पूजा कदापि न करें क्योंकि काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक होता है।
• हल्दी-कुमकुम के अलावा भोलेनाथ को केतकी के फूल, तुलसी की पत्तियां, नारियल का पानी, सिंदूर या शंख से जल कदापि अर्पित न करें।
• प्रदोष व्रत के दिन मांस, मछली, लहसुन, प्याज या बैंगन की सब्जी का सेवन न करें।
• देर तक न सोएं, क्रोध न करें, स्त्री या बुजुर्गों का अपमान न करें ।
• उपवास के दिन मन ही मन अर्धनारीशवर का ध्यान करें तथा व्यर्थ की बातों से बचें।
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