Kanjoos Seth : कंजूस सेठ और ब्राह्मण की कहानी
किसी गांव में एक सेठ Kanjoos Seth जी रहते थे। उनके पास बहुत धन था, कोई कमी नहीं थी अच्छा खासा जीवन चल रहा था लेकिन फिर भी सेठ जी बहुत कंजूस स्वभाव वाले व्यक्ति थे कभी कोई दान पुण्य ना करते। एक दिन वह कहीं जा रहे थे तभी उनकी दृष्टि एक खजूर के पेड़ पर पड़ी। सेठ जी ने सोचा यदि मैं यह खजूर तोड़ लूं तो इन्हें बेचकर काफी धन कमा सकता हूं।
ऐसा सोचकर वह पेड़ पर चढ़ने लगे। लालच में उन्हें यह ध्यान ही ना रहा कि वह काफी ऊपर आ चुके हैं अचानक उनकी दृष्टि नीचे गई तो सिर घूमने लगा। वह डर के मारे थर-थर कांपने लगे और खजूर तोड़ना भी भूल गये। अब तो वह प्रार्थना करने लगे कि हे भगवान ! कैसे भी मुझे नीचे सुरक्षित उतार दो मैं वादा करता हूं कि पूरे एक हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाऊंगा। ऐसा कहकर उन्होंने अपनी आंखे बंद कर लीं और धीरे-धीरे नीचे खिसकने लगे।
इसे भी पढ़ें- Sadhu Aur Kumhar : साधू और परोपकारी कुम्हार
वह लगातार भगवान का नाम जपे जा रहे थे थोड़ी देर के बाद जब वह लगभग पेड़ के बीच में पहुंच गये तो उनका भय कुछ कम हुआ। मन में लालच आ गया बोले प्रभु ब्राह्मण! एक हजार कुछ ज्यादा ही हो गये मुझे लगता है कि पांच सौ ब्राह्मण भी उचित ही रहेंगे ऐसा कहकर वह और नीचे उतरे।
अब वे धरती पर आ गये थे तो ईश्वर को धन्यवाद दिया और बोले -“प्रभु आप तो दाताओं के दाता हैं मैं ठहरा तुच्छ प्राणी। मैं चाहे पांच सौ को भोजन कराउं अथवा एक को आपको कौन-सा फर्क पड़ता है किन्तु मैं प्रण लेता हूं कि एक ब्राह्मण को भोजन करवाकर खूब दान-दक्षिणा देकर विदा करूंगा।” ऐसा कहकर वे अपने घर पर पहुंच गये। भगवान भी सेठ Kanjoos Seth Ki Kahani की कंजूसी देखकर हंस पडे और सबक सिखाने की ठानी।
अगले दिन सेठ जी अपने गांव के ऐसे ब्राह्मण की खोज में निकले जिसके भोजन की खुराक सबसे कम हो। ऐसे ही एक दुबले-पतले ब्राह्मण को उन्होंने खोज लिया और उसको भोजन का न्यौता देकर वापस आ गये। वह ब्राह्मण सेठ की कंजूसी के सम्बन्ध में सब कुछ जानते थे उन्होंने सोचा कि आज इसको अच्छा सबक सिखाने का अवसर मिल गया है।
उधर, सेठ जी अपनी पत्नी को सब कुछ समझाकर दुकान चले गये। कुछ देर बाद ब्राह्मण Kanjoos Seth Aur Brahman Ki Kahani आ गये। सेठ की पत्नी ने उन्हें आदर सहित भोजन परोसा, उन्होंने आंख बंद कीं और मंत्र पढ़ा और बोले भोजन से पूर्व एक सोने का सिक्का दक्षिणा में रखो। सेठ की पत्नी धार्मिक और दानी स्वभाव की थी वह तुरंत गई और अलमारी से एक सोने का सिक्का लेकर उन्हें दक्षिणा में दे दिया।
इसके बाद ब्राह्मण देवता ने भोजन किया और चलते समय सेठ की पत्नी से बोले कि अब हम चलते हैं तुम एक संस्कारी गृहणी हो। मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि तुम्हारा घर धन-धान्य से भरा रहेगा तुम्हारी तथा तुम्हारे पति की दीर्घायु हेतु मैं काशी जाकर अनुष्ठान करूंगा, अब मैं चलता हूं। अनुष्ठान की बात सुनकर सेठ की पत्नी ने स्वेच्छा से अपनी ओर से उन्हेंपांच सोने के सिक्के और भेंट कर दिये।
ब्राह्मण प्रसन्न होकर चले गये। लेकिन उन्हें इस बात का ज्ञान था कि जब सेठ को सोने के सिक्कों के बारे में पता चलेगा तो वह सीधे उनके घर पहुंचेगा। इसलिये उन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को अपनी योजना के बारे में बताया।
शाम को जब Kanjoos Seth सेठ जी घर पहुंचे और यह पता चला कि ब्राह्मण को उनकी पत्नी ने पूरे छः सोने के सिक्के दे दिये हैं तो क्रोध में भरकर वह ब्राह्मण के घर पहुंचे और बाहर से ही शोर मचाते हुये अपने सोने के सिक्के वापस मांगने लगे। उनका ऐसा करना था कि योजना के अनुसार ब्राह्मण की पत्नी बाहर आई और उनसे बोली- ‘‘तुम्हारे ही घर का भोजन करने के बाद मेरे पति की तबियत बिगड़ गई है, वह अपनी आखिरी सांसे गिन रहे हैं और ऐसा करके वह जोर-जोर से शोर मचाते हुये रोने लगी।
इसे भी पढ़ें-Do Sir Wala Kachua : दो सिर वाला कछुआ
ये देखकर तो सेठ जी घबरा गये। ब्राह्मण की पत्नी ने रोते हुये कहा कि यदि मेरे पति को कुछ हुआ तो तुम्हीं को भुगतना पड़ेगा ऐसा कहकर वह और जोर से रोने लगी। इससे पहले कि लोग वहां इकट्ठा होते सेठ जी ने अपनी जेब से धन से भरी हुई पोटली उसे देते हुये कहा कि “बहन ! ये धन रख लो औरअपने पति का उपचार किसीअच्छे वैद्य जी से करा लेना” और ऐसा कहकर अपनी जान छुड़ाकर वहां से भागे।
ब्राह्मण तथा उनकी पत्नी की योजना सफल हो चुकी थी, सेठ जी का दांव उल्टा पड़ गया। अगले दिन वह ब्राह्मण तथा उनकी पत्नी Kanjoos Seth सेठ जी के घर पहुंचे तथा सोने के सिक्के वापस करते हुये उन्हें सारी बातें बता दीं। सेठ जी को अपनी गलती की सजा मिल चुकी थी उन्हें अपने मन में बड़ी ग्लानि हुई। वे ब्राह्मण से बोले – महाराज ! मुझसे भगवान से झूठ बोलने का अपराध हुआ है आप ही बतायें कि मैं इसका पश्चाताप कैसे करूं ?
ब्राह्मण ने कहा सेठ जी यदि आप पश्चाताप करना चाहते हैं तो अपने धन का कुछ हिस्सा अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम तथा गरीब-वंचितों आदि में दान कर दें जिससे उन दीन—दुखियों की सहायता भी हो जायेगी और आपका दान भी सार्थक हो जायेगा। सेठ जी ने ऐसा ही किया तथा साथ ही उन्होंने भविष्य में कभी भी किसी से झूठा वादा न करने की कसम खाई। इस तरह भगवान ने उन्हें एक अच्छा सबक सिखा दिया था।
Kanjoos Seth शिक्षा — विपत्ति के समय दिये गये वचन को भविष्य में या जरूरत पड़ने पर अवश्य निभाना चाहिये।
नमस्कार दोस्तों, मैं नलिनी (Nalini), Jagurukta.com की Sr. Editor (Author) हूँ । मैं एक Graduate होने के साथ साथ एक ग्रहणी भी हूँ। मुझे शुरु से ही अलग-अलग तरह के विषयों जैसे ( धार्मिक, Technology, History, एवं विशेष रूप से महिलाओं से संबंधित ) Books पढ़ने का शौक रहा है। अपने इसी शौक एव्ं जानकारियों को जुटा कर मैं आप सभी के साथ साझा करने की कोशिश करती हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पोस्ट्स आप लोगों को पसंद आती होंगी। और साथ ही साथ मैं ये आशा करती हूँ कि आप हमारी पोस्ट्स को अपने मित्रों एवं सम्बंधियों के साथ भी share करेंगे। और यदि आपका कोई question अथवा सुझाव हो तो आप हमें E-mail या comments अवश्य करें।