Pujari Aur Saanp : पुजारी और सांप
Pujari Aur Saanp एक समय की बात है किसी नगर में एक पुजारी रहते थे। वह बड़े धार्मिक तथा संतोषी स्वभाव वाले व्यक्ति थे। पूजा-पाठ तथा धार्मिक अनष्ठान करने के लिये वह नगरवासियों के यहां जाते तथा जो दान-दक्षिणा स्वेच्छा से नगरवासी उन्हें देते वही रख लेते थे। इन सब कामकाज के बाद वह अपना बचा हुआ समय ईश्वर की उपासना में लगाते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी तथा एक पुत्र था।
पुजारी की पत्नी का स्वभाव उनके ठीक विपरीत था जहां पुजारी संतोषी स्वभाव के थे वहीं उनकी पत्नी लोभी स्वभाव की एक कुटिल स्त्री थी। वह सदैव पुजारी से अधिक धन कमाने को कहा करती क्योंकि वह दूसरों की स्त्रियां को गहने तथा अत्यन्त विलासिता का जीवन जीते देखती तो ईर्ष्या से भर जाती थी। पुजारी जी उसे सदैव समझाते कि संतोष ही परम धन है किन्तु वह ना समझती और हमेशा उन्हें कोसती रहती।
एक दिन की बात है पुजारी जी किसी काम से बाहर जा रहे थे तो हमेशा की तरह अपनी गरीबी को लेकर उनकी पत्नि उन्हें ताने मार रही थी। पुजारी जी बिना कुछ बोले घर से चले गये और जाकर एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर राम नाम का स्मरण करने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने अपने थैले से धार्मिक किताब निकाली तथा कथा कहने लगे Pujari Aur Saanp।
उस पीपल की जड़ में एक सांप रहता था। अपने पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण वह धार्मिक प्रवृत्ति का था वह कथा सुनकर चुपचाप आकर पुजारी जी के पास आकर बैठ गया। पुजारी जी तो अपनी कथा करने में मगन थे उन्हें यह ध्यान ही ना था कि एक सांप उनके पास आकर बैठ गया है। कथा को विराम देने के बाद जब वह पुस्तक थैले में रख रहे थे तब उनकी दृष्टि सांप पर पड़ी तो वे भयभीत हो गये।
सांप उनसे बोला-“डरो नहीं पुजारी जी! मैं तुम्हें कोई हानि नहीं पहुंचाऊंगा, मुझे तुम्हारी निर्धनता का ज्ञान है। अबसे तुम प्रतिदिन यहां आकर कथा सुनाया करो उसके फलस्वरूप मैं तुम्हें प्रतिदिन एक सोने का सिक्का दिया करूंगा, किन्तु स्मरण रहे इस बात का भेद किसी को मत बताना अन्यथा तुम्हें हानि उठानी पड़ेगी।“ ऐसा कहकर उस सांप ने उन्हें सोने का एक सिक्का दिया।
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उसे लेकर पुजारी जी अपने घर चले गये और चुपचाप ऐसे स्थान पर रख दिया जिस पर किसी की दृष्टि ना पड़े। अब यही क्रम रोजाना चलने लगा पुजारी जी सांप को कथा सुनाते और बदले में वह उन्हें एक सोने की मुद्रा देता। देखते-देखते उनके पास सोने की मुद्रा का भण्डार इकट्ठा हो गया Hindi Kahani।
एक दिन पत्नी झोंपड़ी की साफ-सफाई कर रही थी तो उसने वह भण्डार देखा। वह तो मारे खशी के उछल पड़ी तथा इसके सम्बन्ध में पुजारी जी से पूछा तो उन्होंने बात टाल दी। अब वह पुजारी जी से पक्का मकान बनवाने की जिद करने लगी पहले तो पुजारी ने मना किया किन्तु अधिक जोर देने पर वह मान गये। अब उन्होंने झोंपड़ी के स्थान पर अच्छा सा घर बनवा लिया था। किन्तु इस घटना से उनकी पत्नी को संदेह हो गया कि पुजारी उससे कुछ छिपा रहे हैं।
एक दिन जब वह उसी पीपल के नीचे जा रहे थे तो उनकी पत्नी ने अपने बेटे को उनका पीछा करने को कहा। बेटे ने जब देखा कि एक सांप कथा सुनने के बदले में रोज पुजारी जी को सोने का एक सिक्का देता है तो उसने सारी बात अपनी मां को आकर बता दी। पुजारी की पत्नी लोभी तो थी ही उसने एक कुटिल योजना बनाई कि उस सांप को मारकर एक साथ सभी सोने के सिक्के प्राप्त कर लिये जायें Pujari Aur Saanp।
ऐसा सोचकर उसने पुजारी के खाने में नींद की दवा मिला दी और अगले दिन उनके स्थान पर वह अपने बेटे के साथ पहुंची और पेड़ के पीछे एक कुल्हाड़ी लेकर छिप गई। अब बेटे ने कथा कहनी शुरू की तो सांप वहां पहुंचकर कथा सुनने लगा। कथा के बाद जब वह सांप सोने का सिक्का देने लगा तो पुजारी की पत्नी ने उस पर कुल्हाड़ी से वार किया। सचेत होने के कारण वह सांप तो बच गया लेकिन उसकी पूंछ कट गई उसने तुरंत पलटकर उसको डस लिया और पुजारी की पत्नी की मृत्यु हो गयी।
Pujari Aur Saanp पुजारी का बेटा भागा-भागा घर पहुंचा और अपने पिता को नींद से जगाया। वह उन्हें उसी स्थान पर लेकर पहुंचा तथा सारी बात बता दी। पुजारी बहुत दुःखी हुये और बोले कि तुम्हारी माता लालच में अंधी हो चुकी थी उसे कभी न कभी तो उसकी करनी का दण्ड भुगतना ही था।
Pujari Aur Saanp शिक्षा :- लालच में आकर कभी किसी को हानि नहीं पहुंचानी चाहिये।
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