जैसे को तैसा : Jaise Ko Taisa Story In Hindi
jaise ko taisa एक गांव में दो बुढ़िया रहती थीं श्यामा और चंदा उनके नाम थे। दोनों पक्की सहेली थीं किन्तु एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका ना छोड़तीं। एक दिन की बात है गांव में बिजली नहीं आ रही थी तो रातभर श्यामा सो ना सकी सवेरे-सवेरे उसकी आंख लगी तो उसने एक सपना देखा कि वह अपने सुंदर-लंबे बालों को कंघा कर रही है।
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Jaise Ko Taisa
कंघी करते-करते अचानक उसके बाल टूटने लगे और देखते ही देखते उसके आधे से अधिक बाल गिर गये। इतने में ही उसकी आंख खुल गईं और वह हडबड़ाकर उठी देखा कि यह तो एक सपना था उसने शीशे में अपना चेहरा देखकर चैन की सांस ली किन्तु उसके मन में यह डर बैठ गया था कि कहीं यह सपना सच ना हो जाये क्योंकि उसने सुना था कि सुबह-सुबह देखा गया सपना सच हो जाता है।
अब तो वह बड़ी परेशान हो गयी किसी भी चीज में उसका मन नहीं लगता ना ठीक से खा पाती और ना ही सो पाती। इसी चिन्ता में वह कमजोर भी हो गयी थी तब उसने सोचा कि क्यों ना गांव के वैद्य जी के पास जाकर अपने बालों को टूटने से बचाने की कोई दवाई ले लूं।
ऐसा सोचकर वह घर से निकली थोड़ी दूर चलने पर उसे लगा कि जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है उसने देखा तो चंदा उसके पीछे-पीछे चली आ रही थी। चंदा ने पूछा कि कहां जा रही है श्यामा ? पहले तो श्यामा ने बात टाल की कोशिश की लेकिन चंदा के बहुत जोर देने पर उसने सारी बात बता दीं।
अब वैद्य जी के पास पहुंचकर उसने दवा ले ली और घर आ गयी। वैद्य जी ने श्यामा से कहा था कि इस्तेमाल करने से पहले यह दवाई धूप में थोड़ी देर के लिये रख दे। अब उसे लगा कि चंदा के घर पर धूप अच्छी आती है वहीं रख आती हूं उसने चंदा के घर पर वह दवा रख दी और घर आकर अपना बाकी काम निपटाने में लग गई।
इस बीच चंदा को शरारत सूझी और उसने दवा में कुछ मिला दिया। कुछ देर बाद श्यामा दवा ले गयी और जब लगाया तो देखा कि उसके बाल और ज्यादा टूटने लगे। वह गुस्से से उस वैद्य के पास गयी और सारी बात बताई वैद्य को समझते देर ना लगी और उसने मिलावट के बारे में श्यामा को बता दिया। श्यामा समझ गयी थी कि यह चंदा की शरारत है उसने उसे सबक सिखाने की ठान ली।
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Jaise Ko Taisa
अगले दिन श्यामा बाजार से नकली विग खरीद कर ले आयी और उसे सिर पर लगा लिया कुछ देर बाद चंदा यह देखने उसके घर पहुंची कि उसके द्वारा मिलाये गये पदार्थ का श्यामा पर क्या असर हुआ वह सोचती आ रही थी कि वह श्यामा का खूब मजाक उड़ायेगी।
पर यह क्या! उसने देखा कि श्यामा के बाल तो बहुत ही घने व लंबे हो चुके थे। अब बदला लेने की बारी श्यामा की थी। वह चंदा से बोली देख बहन! वैद्य जी की दवाई का कितनी जल्दी असर हुआ है। आ ! मैं तेरे भी यही दवा लगा दूं तेरे बाल भी काले और घने हो जायेंगे मेरी तरह।
चंदा ने कहा कि हां दीदी लगा दो मेरे भी यह दवा। वैसे भी मेरे बाल भी सफेद और कमजोर हो गये हैं। मन ही मन हंसते हुये श्यामा ने वह दवा चंदा के लगा दी । कुछ देर बाद चंदा के बाल भी श्यामा के ही असली बालों की तरह हो गये। चंदा को बड़ा गुस्सा आया और उसने श्यामा के बाल जैसे ही खींचे तो श्यामा की नकली विग निकलकर उसके हाथ में आ गयी।
अब चंदा को अपने किये पर बड़ा पछतावा हुआ और अपनी करनी के लिये श्यामा से माफी मांगी इस पर श्यामा ने उसे माफ कर दिया और दोनों ने आपस में एक-दूसरे को कभी भी ना सताने की कसम खाई खाई और दोनों बड़े प्रेम से रहने लगे।
कहानी का सार : Moral of the story Jaise Ko Taisa
ईर्ष्या पतन का कारण है।
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