Hiran Aur Sher : चतुर हिरण और शेर की कहानी

Hiran Aur Sher : चतुर हिरण और शेर की कहानी|

  Hiran Aur Sher बरसात की ऋतु थी चारों ओर काले बादल छाये हुये थे तथा वर्षा भी शुरु हो चुकी थी। एक गर्भवती हिरणी अपने बच्चे को जन्म देने के लिये किसी सुरक्षित स्थान की खोज रही थी। घूमते-घूमते उसको नदी के किनारे बड़ी-बड़ी झाड़ियों से आच्छादित एक स्थान दिखायी दिया, उसे वही स्थान सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त लगा तो वह वहां पहुंच गयी।

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एक शिकारी  बहुत देर से उसका पीछा कर रहा था वह भी उसी स्थान पर जा पहुंचा और अपने धनुष पर बाण चढ़ाकर निशाना साध ही रहा था कि इतने में एक शेर भी वहां आ धमका। अब एक ओर वह शिकारी, हिरणी की ओर निशाना साधे खड़ा था तो दूसरी ओर हिरणी और शेर  का आमना सामना हो रहा था , वह  खूंखार शेर उस पर झपटने को तैयार था और एक तरफ उफनती हुई नदी बह रही थी।
Hiran Aur Sher

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अब  वह हिरणी  बुरी तरह से घिर चुकी थी और सोच रही थी कि जाये तो किधर जाये। कोई उपाय न सूझते देख उसने अपनी आंखें बन्द कर लीं और मन ही मन परमात्मा को याद किया और असहनीय पीढ़ा से ग्रस्त होकर बच्चे को जन्म देने में जुट गयी।

पर वाह री कुदरत का न्याय, अचानक बहुत तेज बिजली चमकी वह शिकारी जो धनुष-बाण से निशाना साधे खड़ा था उसकी आंखे उस बिजली की चमक से  चौंधिया  गयीं और हाथ से तीर छूटकर हिरणी के ना लगकर सीधा उस शेर की आंख में जा घुसा ।

शेर दर्द से दहाड़ता हुआ वहां से भागा जिससे वह शिकारी भी भयभीत होकर भाग खड़ा हुआ और इन सबके बीच हिरणी ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। उसने मन-ही-मन उस परमात्मा को अपनी व अपने बच्चे की जान बचाने के लिये धन्यवाद दिया।  तो बच्चो यह थी  हिरण और  शेर की कहानी ! 

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Hiran Aur Sher

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हिरण और शिकारी की कहानी से सीख : Hiran Aur Sher

दोस्तों, हमारे जीवन में भी कभी-कभी कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब हम स्वयं को चारों ओर से समस्याओं से घिरा हुआ पाते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। ऐसी स्थिति में हमें सब कुछ नियति के हाथों में सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये।

अन्ततः यश-अपयश, हार-जीत, लाभ-हानि तथा जीवन-मृत्यु का अन्तिम निर्णय वह ईश्वर ही करता है इसीलिये हमें ऐसे समय में उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिये।