Shani Dev : जानें शनिदेव और भगवान शिवजी की पौराणिक कथा ।
Table of Contents
नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लाग पोस्ट shani dev में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान शनिदेव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है शनिदेव प्रत्येक जीव को उसके अच्छे तथा बुरे कर्मों के अनुसार दण्ड देते हैं। शनिदेव की साढ़े साती तथा ढैया से तो हम सभी भली-भांति परिचित हैं।
Also Read : Golu Devta : जहां चिट्ठियां लिखकर पूर्ण होती हैं मनोकामना
लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव को दण्डाधिकारी बनने का अधिकार किसने दिया तथा शनिदेव के गुरू कौन हैं ? यदि नहीं, तो इस पोस्ट के अंत तक हमसे जुड़े रहें।
Shani Dev : कौन हैं शनिदेव के गुरू ?
हिन्दू धर्म ग्रन्थों और शास्त्रों में भगवान् शिवजी को शनिदेव का गुरु बताया गया है, तथा शनिदेव को न्याय करने और किसी को दण्डित करने की शक्ति भगवान् शिवजी के आशीर्वाद द्वारा ही प्राप्त हुई है, अर्थात शनिदेव किसी को भी कर्मों के अनुसार उन्हें दण्डित कर सकते हैं, चाहे वे देवता हो या असुर, मनुष्य हो या कोई अन्य प्राणी।
पौराणिक कथा
शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव एवं देवी छाया के पुत्र शनिदेव को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गयी है । शनिदेव बचपन में बहुत ही उद्दण्ड थे तथा पिता सूर्य देव ने उनकी इस उद्दण्डता से परेशान होकर भगवान् शिवजी को अपने पुत्र शनि को सही मार्ग दिखाने को कहा। shani dev
एक दिन भगवान् शिवजी ने शनिदेव को सबक सिखाने के लिए उन पर प्रहार किया जिससे शनिदेव मूर्छित हो गये, पिता सूर्यदेव के कहने पर भगवान् शिवजी ने शनिदेव की मूर्छा तोड़ी तथा शनिदेव को अपना शिष्य बना लिया और उन्हें दण्डाधिकारी का आशीर्वाद दिया, इस प्रकार शनिदेव न्यायधीश के समान न्याय एवं दण्ड के कार्य में भगवान शिव का सहयोग करने लगे।
एक अन्य कथा
एक दिन शनिदेव कैलाश पर्वत पर अपने गुरु भगवान् भोलेनाथ से भेंट करने पहुंचे और उनसे बोले – प्रभु ! कल में आपकी राशि में प्रवेश करने वाला हूँ, अर्थात मेरी वक्रदृष्टि आप पर पड़ने वाली है, भगवान् शिवजी ने जब यह सुना तो वे आश्चर्य में पड गये, तथा शनिदेव से बोले की तुम्हारी वक्रदृष्टि कितने समय के लिये मुझ पर रहेगी ?
शनिदेव ने शिवजी से कहा कि मेरी वक्रदृष्टि आप पर सवा प्रहर तक रहेगी । अगले दिन प्रातः शिवजी ने सोचा की आज मुझ पर शनि की दृष्टि पड़ने वाली है, अतः मुझे कुछ ऐसा करना होगा की आज के दिन शनि मुझे देख ही ना पाये ? तब भगवान् शिवजी मृत्यु लोक अर्थात धरती पर प्रकट हुये तथा उन्होंने अपना भेष बदलकर हाथी का रूप धारण कर लिया।shani dev
भोलेनाथ हाथी का रूप धारण कर धरती पर इधर-उधर विचरण करते रहे, जब शाम हुई तो भगवान् शिवजी ने सोचा की अब शनि मेरे ग्रह से जाने वाला है, अतः मुझे मेरे वास्तविक स्वरूप में आ जाना चाहिये, भगवान् शिवजी अपना वास्तविक रूप धारण कर कैलाश पर्वत पर वापस आये, भोलेनाथ प्रसन्न मुद्रा में कैलाश पर्वत पहुँचे तो वहाँ पर पहले से ही मौजूद शनिदेव शिवजी की प्रतीक्षा कर रहे थे।
शनिदेव को देखते है शिवजी बोले, हे शनिदेव ! देखो तुम्हारी वक्रदृष्टि का मुझ पर कोई प्रभाव नहीं हुआ, तथा आज मैं सारे दिन तुम से सुरक्षित रहा, भगवान् भोलेनाथ की बात को सुन शनिदेव मुस्कराते हुये बोले- प्रभु! मेरी दृष्टि से ना तो कोई देव बच पाये है और नहीं कोई दानव, यहाँ तक की आप पर भी आज पूरे दिन मेरे वक्र दृष्टि का प्रभाव रहा।
Also Read : Pashupati Vrat : पशुपति (पाशुपत) व्रत की महिमा | विधि तथा नियम | Katha | Aarti
भगवान् शिवजी नेआश्चर्यचकित होते हुये शनिदेव से पूछा कि यह कैसे सम्भव है ? जब मैं तुम्हें मिला ही नहीं, तो वक्रदृष्टि का सवाल ही नहीं ? शनिदेव बड़ी शालीनता से मुस्कराते हुए शिवजी से बोले- प्रभु ! मेरे वक्र दृष्टि के कारण ही आपको आज सारे दिन देव-योनि से पशु योनि में जाना पड़ा सो, इस प्रकार आप मेरी वक्रदृष्टि के पात्र बने।
यह सुनकर भगवान भोलेनाथ ने शनिदेव से प्रसन्न होकर उन्हें गले से लगा लिया तथा पूरे कैलाश पर्वत में शिवजी और शनिदेव का जयकारा गूंजने लगा, अतः शनिदेव के प्रकोप से भगवान् भी नहीं बच सके तो हम कलयुगी मानव कैसे बच सकते हैं ? shani dev
न्याय के देवता श्री शनि महाराज जीव का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं, अतः पाप से बचें व अन्याय का साथ न दें, समस्त जीवों पर दया का भाव रखें, यदि शनिदेव की वक्रदृष्टि हमारे ऊपर आ भी गयी तो भी नियमित सत्संग, भजन तथा उचित उपाय करने से इसका प्रभाव कम होगा, भगवान् भोलेनाथ के साथ शनि महाराज कृपा करेंगे।
जानें क्या हैं शनि ग्रह के प्रभाव ?
यदि आपको किसी भी कारण शनि के शुभ फल प्राप्त नहीं हो रहे हैं फिर वह चाहे जन्मकुंडली में शनि ग्रह के अशुभ होने, शनि साढ़ेसाती या शनि ढैय्या के कारण है तो निम्न सुगम उपाय आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगे —
1. भारतीय समाज में आमतौर ऐसा माना जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दुःख प्रदाता है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। मानव जीवन में शनि के सकारात्मक प्रभाव भी बहुत है। शनि संतुलन एवं न्याय के ग्रह हैं। यह नीले रंग के ग्रह हैं, जिससे नीले रंग की किरणें पृथ्वी पर निरंतर पड़ती रहती हैं।
2. यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। यह बड़ा है, इसलिए यह एक राशि का भ्रमण करने में अढाई वर्ष तथा 12 राशियों का भ्रमण करने पर लगभग 30 वर्ष का समय लगाता है।
3. शनि अपने पिता सूर्य से अत्यधिक दूरी के कारण प्रकाशहीन हैं। इसलिए इन्हें अंधकारमयी, विद्याहीन, भावहीन, उत्साह हीन, नीच, निर्दयी, अभावग्रस्त माना जाता है। फिर भी विशेष परिस्थितियों में यह अर्थ, धर्म, कर्म और न्याय के प्रतीक हैं। इसके अलावा शनि ही सुख-संपत्ति, वैभव और मोक्ष भी देते हैं।
4. प्रायः शनि पापी व्यक्तियों के लिए दुख और कष्टकारक होते हैं किंतु पुण्यात्माओं के लिए यह यश, धन, पद और सम्मान प्रदान करते हैं। shani dev
5. शनि का प्रभाव व निवास मुख्य रूप से तेल व लौह में होता है, अतः जीवन में कभी भी तेल निशुल्क (फ्री) में ना लें और ना तेल की कीमत से कम पैसे देने चाहिए, भूलकर भी तेल के पैसे नहीं खाना चाहिए और ना ही मूल्य से कम पैसे देने चाहिए, अन्यथा शनि का प्रकोप झेलना पड़ता है।
6. जीवन में कभी न कभी शनि का प्रभाव हर व्यक्ति पर पडता है, यही ग्रह है जो आप को राजा बना सकता है यही है जो आप को ऐश्वर्य धन तथा चक्रवति सम्राट तक बना सकता है और यही शनि आप को, निर्धन (राजा से रंंक) बना देता है।
शनि के कुप्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय
निम्न उपायों को अपनाकर आप शनिदेव के प्रकोप से बच सकते हैं —
• शनिदेव को सरसों का तेल अतिप्रिय है तथा उनका प्रिय दिन शनिवार माना गया है अतः शनिवार के दिन किसी शनि मंदिर में जाकर सरसों का तेल अर्पित करें तथा साथ ही काले उड़द तथा काले तिल भी शनिदेव को अर्पित करने से अनेक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
• यदि मंदिर में तेल चढ़ाने के लिए शिला हो तो शनिदेव की मूर्ति पर तेल न चढ़ाकर शिला पर चढ़ायें।
• शनिवार को काले रंग की चिड़िया / अन्य पंछी खरीदकर उसे आसमान में उड़ा दें, आपकी दुख-तकलीफें दूर हो जायेंगी।
• शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें।
• शनि दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को 250 ग्राम काली राई, नये काले कपड़े में बांधकर पीपल के पेड़ की जड़ में रख आयें और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।
• आर्थिक वृद्धि के लिए आप सदैव शनिवार के दिन गेंहू पिसवाएं और गेहूं में कुछ काले चने भी मिला दें।
• किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को 10 बादाम लेकर हनुमान मंदिर में जायें। 5 बादाम वहां रख दें और 5 बादाम घर लाकर किसी लाल वस्त्र में बांधकर गल्ले वाले स्थान पर रख दें। shani dev
• शनिवार के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, तथा केले खिलाएं।
• तिल के तेल का छाया पत्र दान करें।
• बहते पानी में सर से 11 बार नारियल उसारकर विसर्जित करें।
• शनिवार को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
• प्रत्येक शनिवार को आक के पौधे पर 7 लोहे की कीलें चढ़ाएं।
• काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी लोहे की अंगूठी मध्यमा उंगली में शनिवार को सूर्यास्त के समय पहनें।
• लगातार पांच शनिवार शमशान घाट में लकड़ी का दान करें।
shani dev
• काले कुत्ते को दूध पिलाएं।
• शनिवार की रात को तिल के तेल से बने गुलगुले (पुये) गरीब लोगों को खिलाऐ।
• चीटियों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं।
• शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं।
• शनि की ढैया से ग्रसित व्यक्ति को हनुमान चालीसा का सुबह-शाम जप करना चाहिए।
• शनिवार की संध्या को काले कुत्ते को चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। यदि वह रोटी खा ले तो अवश्य शनि ग्रह द्वारा मिल रही पीड़ा शांति होती है।
• काले कुत्ते को द्वार पर नहीं लाना चाहिए अपितु पास जाकर सड़क पर ही रोटी खिलानी चाहिए।
• कुत्ते को कभी भी रोटी पर सरसों का तेल लगाकर नहीं खिलाना चाहिये इससे उसको गले का कैंसर हो जाता है तथा प्राणघातक सिद्ध होता है। ऐसे करने से आप पुण्य के स्थान पर पाप के भागी ही बनते हैं। इसीलिये सदैव रोटी पर घी लगाकर ही कुत्ते को खिलायें।
Also Read : Gajendra Moksha : गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
शनिग्र्ह शांति के लिए कुछ मंत्र तथा रत्न
• शनि शांति के लिए ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः या ऊँ शनैश्चराय नमः का जप करें।
• शनि शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
• सात मुखी रुद्राक्ष भी शनि शांति के लिए धारण कर सकते हैं।
• नीलम रत्न धारण करें अथवा नीली या लाजवर्त, पंच धातु में धारण करें।
• विशेष रत्न धारण अथवा अन्य उपाय करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करें।
॥इति॥
दोस्तों, आशा करते हैं कि आपको पोस्ट shani dev पसंद आई होगी। कृपया पोस्ट को शेयर करें साथ ही इसी प्रकार की ज्ञानवर्धक जानकारियां प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहें। अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
नमस्कार दोस्तों, मैं सुगम वर्मा (Sugam Verma), Jagurukta.com का Sr. Editor (Author) & Co-Founder हूँ । मैं अपनी Education की बात करूँ तो मैंने अपनी Graduation (B.Com) Hindu Degree College Moradabad से की और उसके बाद मैने LAW (LL.B.) की पढ़ाई Unique College Of Law Moradabad से की है । मुझे संगीत सुनना, Travel करना, सभी तरह के धर्मों की Books पढ़ना और उनके बारे में जानना तथा किसी नये- नये विषयों के बारे में जानकारियॉं जुटाना और उसे लोगों के साथ share करना अच्छा लगता है जिससे उस जानकारी से और लोगों की भी सहायता हो सके। मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आशा है आप हमारी पोस्ट्स को अपने मित्रों एवं सम्बंधियों के साथ भी share करेंगे। और यदि आपका कोई question अथवा सुझाव हो तो आप हमें E-mail या comments अवश्य करें।