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Sharda Chalisa : मां शारदा चालीसा (हिंदी अर्थ सहित)

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Sharda Chalisa : मां शारदा चालीसा

(हिंदी अर्थ सहित)

“हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां।”

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Sharda Chalisa में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, मां सरस्वती जो ज्ञान प्रदायिनी हैं उनका एक नाम शारदा भी है। सात सुरों की रचयिता, सुर-लय-ताल की प्रदाता तथा बुद्धि दायिनी मां शारदा की चालिसा का पाठ हम आज की पोस्ट में करेंगे। तो आईये, पोस्ट आरंभ करते हैं –

Sharda Chalisa in Hindi : श्री शारदा चालीसा

Sharda Chalisa

॥ दोहा॥

मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज,
माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज ॥

भावार्थ हे शारदा माता!! आप मूर्ति रूप में मैहर में विराजित हैं। आपने अपने हाथों में माला, पुस्तक व वीणा ले रखी है और यही आपका रूप है।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय शारदा महारानी, आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।

रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता, तीन लोक महं तुम विख्याता।

दो सहस्त्र बर्षहि अनुमाना, प्रगट भई शारद जग जाना।

मैहर नगर विश्व विख्याता, जहाँ बैठी शारद जग माता।

भावार्थशारदा माता की जय हो, जय हो, जय हो !  माँ आप ही आदिशक्ति हो जो इस जगत का कल्याण करती हैं। आपकी चार भुजाएं हैं और आपकी प्रसिद्धि तीनों लोकों में फैली हुई है।  से आप शारदा माता के रूप में दो हज़ार वर्षों पूर्व आपके प्रकट होने का अनुमान है। आपकी नगरी मैहर है जिसे सारा संसार जानता है और आप वहां पर शारदा माता के रूप में विराजित हो।

त्रिकूट पर्वत शारदा वासा, मैहर नगरी परम प्रकाशा।

शरद इन्दु सम बदन तुम्हारो, रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो।

कोटि सूर्य सम तन द्युति पावन, राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।

कानन कुण्डल लोल सुहावहिं, उरमणि भाल अनूप दिखावहिं।

भावार्थत्रिकूट पर्वत पर आपका वास है और मैहर नगरी आपके कारण ही प्रकाशमान है। आपका शरीर शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा जैसा शीतल है और यह रूप हम सभी को बहुत प्यारा लगता है। आपके अंदर करोड़ो सूर्य जितना तेज है और राज हंस आपका वाहन है। आपने अपने कानों में कुंडल पहन रखे हैं व साथ ही कई तरह के मणियों से जड़ित आभूषण पहन रखे हैं।

वीणा पुस्तक अभय धारिणी, जगत्मातु तुम जग विहारिणी।

ब्रह्म सुता अखंड अनूपा, शारदा गुण गावत सुरभूपा।

हरिहर करहिं शारदा बन्दन, वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन।

शारद रूप चंडी अवतारा, चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा।

भावार्थआपने वीणा व पुस्तक पकड़ी हुई है और इस जगत में घूमकर आप ही इसका कल्याण करती हैं। आप ब्रह्म रूप हैं और स्वयं देवता भी आपके इस रूप के गुण गाते हैं। भगवान विष्णु भी आपकी वंदना करते हैं और वरुण, कुबेर इत्यादि देवता आपका अभिनन्दन करते हैं। आपने अपने चंडी अवतार में चंड-मुंड राक्षसों का वध कर दिया था।

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महिषासुर बध कीन्हि भवानी, दुर्गा बन शारद कल्याणी।

धरा रूप शारद भई चण्डी, रक्त बीज काटा रण मुण्डी।

तुलसी सूर्य आदि विद्वाना, शारद सुयश सदैव बखाना।

कालिदास भए अति विख्याता, तुम्हारी दया शारदा माता।

भावार्थ मां दुर्गा के रूप में आपने दुष्ट महिषासुर का भी वध कर दिया था। चंडी अवतार में आपने रक्तबीज की युद्ध में मुंडी काट दी थी। तुलसी माता व सूर्य देव इत्यादि विद्वान भी आपके यश का वर्णन करते हैं। कालिदास को आपकी दया के कारण ही इतनी प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी।

वाल्मीक नारद मुनि देवा, पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।

चरण-शरण देवहु जग माया, सब जग व्यापहिं शारदा माया।

अणु-परमाणु शारदा वासा, परम शक्तिमय परम प्रकाशा।

हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा, शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा।

भावार्थमहर्षि वाल्मीकि व देवर्षि नारद मुनि भी बार-बार आपकी ही सेवा करते हैं। सभी देवता आपके चरणों में अपना शीश झुकाते हैं और आपकी माया इस जगत में हर जगह व्याप्त है। सृष्टि के प्रत्येक अणु व परमाणु में शारदा माता का वास है और वही उनमें शक्ति व प्रकाश प्रदान करती हैं। शारदा माता स्वयं ब्रह्म का स्वरुप हैं और भगवान शिव, मनुष्य इत्यादि उनकी पूजा करते हैं।

ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा, शारद के गुण गावहिं वेदा।

जय जग बन्दनि विश्व स्वरूपा, निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा।

सुमिरहु शारदा नाम अखंडा, व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।

सूर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे, शारद कृपा चमकते सारे।

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भावार्थब्रह्म शक्ति का कोई एक भेद नहीं है और सभी वेद भी शारदा माता की महिमा के गुण गाते हैं। शारदा माता इस जगत में वंदनीय हैं और निर्गुण व सगुण दोनों ही उनके रूप हैं। जो भी शारदा माता के नाम का सुमिरन करता है, उसका इस कलियुग में कल्याण हो जाता है। ब्रह्माण्ड में स्थित सूर्य, चन्द्रमा इत्यादि तारे शारदा माता की कृपा से ही चमकते हैं।

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उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी, बन्दउ शारद जगत तारिणी।

दुःख दरिद्र सब जाहिं नसाई, तुम्हारी कृपा शारदा माई।

परम पुनीति जगत अधारा, मातु शारदा ज्ञान तुम्हारा।

विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी, जय जय जय शारदा भवानी।

भावार्थप्रलय काल की स्थिति में भी शारदा माता की कृपा से हमारा कल्याण होता है। शारदा माता की कृपा से हमारे सभी दुःख व गरीबी समाप्त हो जाते हैं। इस जगत की आधार शारदा माता ही हैं और शारदा माता ही ज्ञान का भंडार हैं। शारदा माता की कृपा से ही हमें विद्या, बुद्धि व सुख की प्राप्ति होती है। हे शारदा माँ!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो।

शारदे पूजन जो जन करहीं, निश्चय ते भव सागर तरहीं।

शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना, होई सकल विधि अति कल्याणा।

जग के विषय महा दुःख दाई, भजहुँ शारदा अति सुख पाई।

परम प्रकाश शारदा तोरा, दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा।

भावार्थजो कोई भी शारदा माता की पूजा करता है, वह भवसागर को पार कर जाता है। शारदा माता की कृपा से ही हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और हमारा कल्याण हो जाता है। इस जगत में दुःख ही दुःख है लेकिन शारदा माता के भजन करने से हमें सुख की प्राप्ति होती है। शारदा माँ का प्रकाश बहुत ही दिव्य है और अब आप अपने प्रकाश की एक किरण मुझे भी दीजिये।Sharda Chalisa

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परमानन्द मगन मन होई, मातु शारदा सुमिरई जोई।

चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना, भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना।

रचना रचित शारदा केरी, पाठ करहिं भव छटई फेरी।

सत्-सत् नमन पढ़ीहे धरि ध्याना, शारद मातु करहिं कल्याणा।

भावार्थजो भी शारदा माता के नाम का सुमिरन करता है, उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है। शारदा माता के भजन करने से हमारा मन शांत हो जाता है। शारदा चालीसा के पाठ से हमारे सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं और संकट के बादल छंट जाते हैं। जो भी इस शारदा चालीसा को ध्यान से पढ़ता है, शारदा माता की कृपा से उसका कल्याण हो जाता है।

शारद महिमा को जग जाना, नेति-नेति कह वेद बखाना।

सत्-सत् नमन शारदा तोरा, कृपा दृष्टि कीजै मम ओरा।

जो जन सेवा करहिं तुम्हारी, तिन कहँ कतहुं नाहि दुःखभारी।

जो यह पाठ करै चालीसा, मातु शारदा देहुँ आशीषा।

Sharda Chalisa

भावार्थशारदा माँ की महिमा को तो संपूर्ण विश्व जानता है और स्वयं वेद भी यही वर्णन करते हैं। शारदा माता को मेरा शत-शत नमन है और अब आप मुझ पर कृपा दृष्टि कीजिये। जो भी मनुष्य शारदा माता की सेवा करता है, उसे किसी भी तरह का दुःख नहीं सताता है। जो भी इस शारदा चालीसा का पाठ करता है, उसे शारदा माता का आशीर्वाद मिलता है।Sharda Chalisa

॥ दोहा ॥

बन्दऊँ शारद चरण रज, भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर, सदा बसहु उरगेहुँ॥

जय-जय माई शारदा, मैहर तेरौ धाम।
शरण मातु मोहिं लीजिए, तोहि भजहुँ निष्काम॥

भावार्थमैं शारदा माता के चरणों में अपना शीश झुकाकर उन्हें प्रणाम करता हूँ और उनसे प्रार्थना करता हूँ कि वे मुझे अपनी भक्ति व ज्ञान दें। वे मेरी अविद्या को दूर करें और मेरे हृदय में वास करें। हे शारदा माता!! आपकी जय हो, जय हो। मैहर नगरी में आपका धाम है। मुझे अपनी शरण में ले लीजिये और मैं बिना किसी स्वार्थ के आपके नाम का भजन करता रहूँ।

Sharda Mata Chalisa Benefits In Hindi : शारदा चालीसा के लाभ

शारदा चालीसा के होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं —

• नित्य रूप से शारदा माता की चालीसा को पढ़ने वाले व्यक्ति की बुद्धि प्रखर होती है।

• यह चालीसा जो कोई भी पढ़ता या सुनता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

Sharda Chalisa

• व्यवसाय में उन्नति के लिये भी इस चालीसा Sharda Chalisa का पाठ लाभदायक होता है।

• जिस स्थान पर नियमित रूप से इसका पाठ किया जाता है माता शारदा उस स्थान का कभी त्याग नहीं करतीं।

• शारदा चालीसा के प्रतिदिन पाठ से विद्यार्थी ना केवल परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है अपितु प्रतियोगी परीक्षाओं  में सफलता भी प्राप्त करता है।

॥ इति ॥

दोस्तों, पोस्ट Sharda Chalisa आपको कैसी लगी, कृपया हमें कमेंट करें तथा इसी प्रकार की अन्य धार्मिक पोस्ट प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग से जुडे़ रहिये। अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।


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