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Paanch Bhai : चमत्कारी पांच भाई

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Paanch Bhai : चमत्कारी पांच भाई

Paanch Bhai किसी स्थान पर एक विधवा रहती थी। उसके पांच जवान पुत्र थे, पांचों एक से बढ़कर एक। सबसे खास बात यह थी कि पांचों भाईयों की शक्लें आपस में मिलती थीं जिस कारण उनकी मां के अलावा और कोई भी उन भाईयों को ना पहचान पाता था। ये पांचों भाई अलग-अलग शक्तियों के मालिक थे।

सबसे बड़े पुत्र का नाम था दीनू। दीनू के पास यह शक्ति थी कि वह किसी भी नहर, तालाब या समुद्र का पानी पी लेता था और 5 मिनट तक अपने मुंह में रख सकता था। दूसरे पुत्र का नाम था रामू जो कि अपनी इच्छा के अनुसार जितनी चाहे अपनी टांगों को लम्बी कर सकता था। तीसरा भाई था कमल जिसकी यह विशेषता थी कि वह अपना शरीर वज्र की भांति कर लेता, चौथा प्रकाश जिसे आग में नहीं जलने की शक्ति प्राप्त थी और पांचवे का नाम था संजीव जो पूरे एक दिन तक अपनी सांस को रोक सकता था।

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Paanch Bhai पांचों भाई बड़े ही परिश्रमी थे और उनमें आपस में बड़ा प्रेम था। उनका प्रतिदिन का काम था सुबह सूर्य निकलने से पहले उठ जाते और मछलियां पकड़ते। दीनू नदी का सारा पानी पी जाता और बाकी जल्दी-जल्दी मछलियां उठाकर टोकरी में भर लेते उसके बाद दीनू सारा पानी छोड़ देता। उसके बाद पांचों में से कोई एक भाई बाजार जाकर मछलियां बेच आता था।

एक समय की बात है दीनू बाजार में मछलियां बेचने गया। आस-पास के मछली विक्रेता देखते कि वह रोज ताजी एवं बढ़िया मछलियां लेकर आता है तो एक दिन उससे पूछ ही लिया भाई दीनू ! तुम रोज इतनी ताजा और बढ़िया मछलियां कहां से लाते हो हमें भी बताओ। दीनू ने उन्हें सारी बातें बता दी तो उन लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। तय हुआ कि कल सवेरे हम भी नदी पर आयेंगे और तुम हमें भी मछलियां पकड़ने में मदद करना। जब दीनू घर पहुंचा तो अपनी मां तथा भाईयों को सारी बातें बता दीं (जादुई पांच भाई की कहानी)।

खैर, अगले दिन सवेरे-सवेरे वे लोग नदी पर पहुंच गये और दीनू भी वहां पहुंच गया। दीनू ने उन लोगों से कहा देखो ! मैं सिर्फ 5 मिनट तक ही पानी अपने मुंह में रोक सकता हूं इसलिये तुम इतने समय में मछलियां पकड़कर बाहर आ जाना। उन लोगों के हामी भरने के बाद दीनू सारा पानी पी गया और वे चारों लोग मछलियां बटोरकर टोकरे में भरने लगे।

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समय का पता ना चला और लालच के कारण वह दीनू की बताई बात को भूल गये। इधर 5 मिनट बीत चुके थे दीनू ने जोर-जोर से हाथ हिलाकर इशारा किया लेकिन वे सब तो मछलियां बटोरने में व्यस्त थे। जब दीनू और ज्यादा देर तक अपने मुंह में पानी नहीं रख सका तो उसने सारा पानी छोड़ दिया और वे सारे लोग नदी में ही बह गये। यह बात गांव में फैल गई।

दीनू को राजा के पास ले जाया गया और उस पर लोगों की हत्या का आरोप लगाया तथा उसे भी  नदी में डुबाने की सजा सुनाई गयी। राजा ने दीनू से उसकी अंतिम इच्छा पूछी तो दीनू ने कहा महाराज मैं एक बार अपनी मां से मिलना चाहता हूं। राजा ने आज्ञा दे दी। अब वह घर पहुंचा और सारी बात बताई तो रामू बोला- भईया तुम चिन्ता मत करो तुम्हारी जगह मैं जाउंगा Paanch Bhai।

दीनू के स्थान पर रामू वहां पहुंच गया, अब राजा एवं अन्य लोग पहचान ही ना पाये कि यह दीनू नहीं बल्कि रामू है जब उसे नदी में डाला गया तो वह अपनी टांगे ऊंची करके आराम से नदी पार कर गया। राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ अब तय हुआ कि तलवार से इसकी गर्दन उड़ा दी जाये इस पर किसी तरह से छिपकर रामू के स्थान पर कमल पहुंच गया उसने अपना शरीर वज्र का बना लिया जब तलवार मारी गयी तो गर्दन को तो कुछ ना हुआ, तलवार के दो टुकड़े हो गये।

अब राजा ने आदेश दिया कि इसे आग में जलाकर मार दिया जाये । जब सभी आग जलाने के लिये लकड़ियां इकट्ठा कर रहे थे उस बीच चुपके से प्रकाश वहां पर आ गया और उसने कमल को घर भेज दिया। जब आग में प्रकाश को बिठाया गया तो वह आग में ऐसे जाकर आराम से बैठ गया जैसे कि किसी नदी में स्नान कर रहा हो Paanch Bhai।

Paanch bhai

राजा को बड़ा क्रोध आया उसने सोचा कि शायद यह कोई जादू-टोना जानता है। इसके बाद राजा आज्ञा दी  और कहा कि एक गहरा गड्ढा खुदवाकर ऊपर से मिट्टी डलवाकर इसे मृत्यु दी जाये। जब  गहरा गड्ढा खोदा जा रहा था तो इस बीच किसी तरह छुपकर प्रकाश घर पहुंच गया और सारी बातें अपने छोटे भाई संजीव को समझा दीं कि मेरी जगह पर तुम जाकर गडढे में सांस रोककर लेट जाना। जब तुम्हें दफनाकर राजा व अन्य लोग चले जायेंगे तो रात को हम सब वहां पहुंचकर तुम्हें बाहर निकाल लेंगे।

अगली सुबह संजीव को दफना दिया गया। राजा स्वयं अपने सिपाहियों के साथ शाम तक वहीं रुका रहा और सोचा कि सुबह से शाम होने को आई है अब तक तो उसकी मृत्यु हो गयी होगी यह सोचकर सभी वहां से चले गये। रात होने पर चारों भाई वहां पहुंचे तथा गड्ढ़ा खोदा तो संजीव आराम से उठकर खड़ा हो गया। सारे भाई आपस में गले मिलकर बड़े प्रसन्न हुये और उन्होंने अपनी मां को लेकर वह गांव छोड़ दिया तथा किसी अन्य स्थान पर जाकर रहने लगे, विधवा को अपने पांचों पुत्र रूपी रत्नों पर बड़ा गर्व था।

Paanch Bhai शिक्षा :- अपनी शक्तियों के बारे में किसी को नहीं बताना चाहिये बल्कि उसे दूसरों की भलाई में  लगाना  चाहिये।


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