Sri Durga Chalisa : श्री दुर्गा चालीसा अर्थ एवं महत्त्व

Sri Durga Chalisa : श्री दुर्गा चालीसा अर्थ एवं महत्त्व (हिंदी अर्थ सहित)

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Sri Durga Chalisa में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, ब्रह्माजी ने राक्षसों का सामना करने के लिए सभी देवताओं की शक्तियों को संग्र्हित करके माँ दुर्गा का निर्माण एक प्रकाश पुंज के रूप में किया और उनके बल पर मधुकैटभ, शुंभ-निशुंभ, महिषासुर आदि राक्षसों का अंत हुआ। माँ दुर्गा की अष्टभुजा का अर्थ आठ प्रकार की शक्तियों से है।

शरीर-बल, धनबल, शस्त्रबल, विद्याबल, चातुर्यबल, शौर्यबल, मनोबल और धर्म-बल इन आठ प्रकार की शक्तियों का सामूहिक नाम ही दुर्गा है। माँ दुर्गा ने इन्हीं के सहारे बलवान राक्षसों पर विजय पायी थी। माँ  दुर्गा जी की दैवीय कृपा तथा शक्ति प्राप्त करने के लिये साधक को नियमित रूप से माँ दुर्गा चालीसा  का पाठ करना चाहिए।

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आइये  हम सभी माँ दुर्गा चालीसा  का पाठ करते हैं इसके साथ ही चालीसा का हिंदी  में अर्थ भी समझ्ते हैं।

Sri Durga Chalisa : श्री दुर्गा चालीसा 

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

Shree Durga Chalisa

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥

अर्थ: माँ को प्रणाम जो सभी को सुख देती हैं। उस अम्बे माँ को प्रणाम जो सब के दुखों का हरण कर लेती हैं।

निराकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

अर्थ: माता ! आपकी जो ज्योत है वह निराकार अर्थात सिमित न होकर असीम है । यह तीनों जगत में चारों ओर फैली हुई है।

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

अर्थ: चंद्र के समान चमकने वाला आपका मुख बहुत ही विशाल है। आपके नयन लाल और आपकी भौहें विकराल हैं।

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

अर्थ: यह रूप माँ को बहुत अधिक सुहाता अर्थात मन को मोह लेने वाला है और जो आपके दर्शन कर लेता है उसे परम सुख प्राप्त होता है।

तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अर्थ: इस संसार में जितनी भी शक्तियाँ हैं वह आपके अंदर विराजमान हैं। आप इस संसार का पालन करने हेतु धन और अन्न दोनों प्रदान करती हैं।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

अर्थ: अन्नपूर्णा होकर आप इस सारे जग को पालती हैं। आप अत्यंत सुन्दर हैं।

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प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

अर्थ: जब प्रलय होता है तो आप सबका नाश करती हैं। आप गौरी रूप हैं और शिव जी को प्रिय भी।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

अर्थ: योगी और शिव आपका ही गुणगान करते हैं। ब्रह्मा और विष्णु आपका ही ध्यान करते हैं।

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥

अर्थ: आपने ही सरस्वती का रूप धारण किया था। आप ही ऋषि और मुनियो के उद्धार के लिए उन्हें सदा बुद्धि देती हैं।

धरा रूप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥

अर्थ: आप खम्बे को चीरते हुए नरसिंह रूप में प्रकट हुई थीं।

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

अर्थ: हिरण्यकश्यप को स्वर्ग भेज कर आपने ही प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

अर्थ: आप ही ने लक्ष्मी स्वरूप धारण किया हुआ है और नारायण के अंग में समाई हुई हैं।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

अर्थ: सिंधु समुद्र में भी आप ही विराजमान हैं। आप सागर हैं दया का , मेरे मन की आस को पूर्ण करें।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

अर्थ: हिंगलाज की भवानी माँ आप ही हैं। आपकी महिमा अनंत है जिसकी व्याख्या शब्दों में नहीं की जा सकती है। Sri Durga Chalisa 

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

अर्थ: धूमावती और मातंगी माँ भी आप ही हैं। आप बगला और भुवनेश्वरी माँ हैं जो सभी को सुख देती हैं।

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

अर्थ: श्री भैरव और सारे जग की तारणहारिणी आप ही हैं। आप छिन्नमाता का स्वरुप हैं जो सब के दु:खों को हल कर देती हैं।

केहरि वाहन सोहे भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥

अर्थ: आप माँ भवानी हैं और सिंह पर सवार होती हैं। आपके अगुवाई करने के लिए हनुमान आपके आगे चलते हैं।

कर में खप्पर-खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजे॥

अर्थ: आप के कर कमलों में तलवार तथा ख़प्पर विराजमान रहता है जिसे देख कर काल भी डर के भाग जाता है।

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

अर्थ: अस्त्र और त्रिशूल आपके पास होते हैं। जिससे शत्रु का हृदय डर के मारे कापने लगता है।

नगर कोटि में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥

अर्थ: नगर कोट में आप विध्यमान हैं। तीनो लोकों में आपका ही नाम है।

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शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥

अर्थ: आपने शुम्भ निशुम्भ जैसे राक्षसों का संहार किया था और असंख्य रक्तबीजों का वध किया।

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

अर्थ: महिषासुर राजा बहुत गर्वी था। जिसने विभिन्न पाप करके धरा को भर रखा था।

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

अर्थ: आपने काली माँ का स्वरुप लेकर उसका उसकी सेना सहित वध कर दिया।

परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अर्थ: जब भी किसी संत पर कोई विपत्ति आयी है तब माँ आपने उनकी सहायता की है।

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥

अर्थ: अमरपुरी और सब लोक आपके कारण ही शोक से बहुत दूर हैं।Sri Durga Chalisa 

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

अर्थ:  ज्वालामुखी में आपकी ज्वाला हमेशा रहती है। और आपको हमेशा ही नर – नारी द्वारा पूजा जाता है।

प्रेम भक्ति से जो यश गावै। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

अर्थ: आपकी यश गाथा का जो भी भक्ति से गायन करता है उसके समीप कभी दुःख या दरिद्र नहीं आता।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

अर्थ: जिसने भी एकचित होकर आपका स्मरण किया है वो जनम मरण के बंधन से मुक्त हुआ है।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

अर्थ: जोगी सुर नर और मुनि यही पुकार करते हैं की बिना आपकी शक्तियों के योग संभव नहीं है।

शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

अर्थ: शंकराचार्य ने कठोर तप कर काम और क्रोध पर विजय पायी।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

अर्थ: प्रतिदिन वह शंकर का ध्यान करते पर आपका स्मरण उन्होंने नहीं किया।

शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

अर्थ: वह शक्ति स्वरुप की महिमा नहीं समझ पाए और जब उनकी शक्ति चली गई तब उन्हें समझ आया।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

अर्थ: तब आपकी शरण में आ गए और आपकी कीर्ति का गान किया। हे भवानी माँ, आपकी सदैव जय हो।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

अर्थ: जगदम्बा माँ प्रसन्न हुईं और बिना विलम्ब किए आपने उन्हें शक्ति दे दी।Sri Durga Chalisa 

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

अर्थ: हे माँ! मैं कष्टों से घिरा हुआ हूँ। आपके सिवा मेरे दुःख का विनाश कौन करे?

आशा तृष्णा निपट सतावे। मोह मदादिक सब विनशावै॥

अर्थ: तृष्णा और आशा मुझे सताते रहते हैं। मोह और गर्व ने मेरा नाश किया हुआ है।

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शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

अर्थ: हे महारानी माँ! आप मेरे शत्रुओ का नाश कीजिये। मैं एकाग्रित होकर आपका सुमिरन करता हूँ ।

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥

अर्थ: हे दयालु माता आप आपकी कृपा करो। रिध्धि सिद्धि देकर मुझे निहाल कीजिए।

जब लगि जियउं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

अर्थ: जब तक में जीवित रहूँ आपकी दया मुझ पर बानी रहे। और आपकी यश गाथा हमेशा गाता रहूँ।

दुर्गा चालीसा जो नित गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

अर्थ: जो दुर्गा चालीसा का हमेशा गायन करते हैं। सभी सुख को प्राप्त करते हैं।

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्बा भवानी॥

अर्थ: सब जान लेने पर देवीदास आपकी शरण में आया है। हे जगदम्बा भवानी ! मुझ पर कृपा करो।

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