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How To Stop Overthinking? | चिंता नहीं चिंतन करें

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How To Stop Overthinking? | चिंता नहीं चिंतन करें

 

How To Stop Overthinking?

 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट How To Stop Overthinking में आपका हार्दिक स्वागत है। चिंता छोड़ो कि तुमने क्या खोया है, ध्यान इस पर दो कि हासिल क्या करना है। अक्सर हम किसी-न-किसी चिंता में डूबे रहते हैं पढ़ाई की चिंता, नौकरी की चिंता, विवाह, स्वास्थ्य तथा कैरियर आदि की चिंता, हममे से अधिकांश लोग इनसे घिरे ही रहते हैं तथा परेशान हो जाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि इन सभी बातों को सोचकर या फिर इतनी चिंता chinta करके हमने हासिल क्या किया ? इस पोस्ट में हम यही जानने वाले हैं।  

How To Stop Overthinking

दोस्तों, आज मैं आपको एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं। एक गांव में एक जमींदार रहा करते थे अच्छा -खासा व्यापार था
उनका। भरा-पूरा परिवार था तथा परिवार के सभी सदस्य उनका बड़ा मान-सम्मान किया करते थे सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था लेकिन फिर भी जमींदार को न जाने कौन सी बात परेशान किया करती थी कि जमीन तथा व्यापार से अच्छी खासी आमदनी होने के बाद भी वह हमेशा चिंता में घिरे रहते थे।

जब उनकी पत्नी तथा बच्चे इस बारे में पूछते तो वह कोई-न-कोई बहाना बनाकर टाल दिया करते। एक बार कोई संत उनके गांव में आये। जमींदार ने सोचा कि शायद वह संत उनकी समस्या का समाधान बता सकें ऐसा सोचकर वह उनके पास गये। संत ने उनसे जब समस्या पूछी तो वे बोले महाराज परमात्मा की दया से मेरे पास सब कुछ है। अच्छा खासा व्यापार, जमीन-जायदाद है मेरे पास इतनी सम्पत्ति है कि मेरी 6 पीढिया बिना कुछ कमाये खा सकती हैं लेकिन मुझे अपनी 7वीं पीढ़ी की चिंता है कि उसका क्या होगा ?

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महात्मा मुस्कुराये तथा उन्हें वहीं गांव मे रहने वाले एक अति गरीब मजदूर के घर जाने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि
भेंट के रूप में वे अपने साथ एक महीने का राशन तथा कुछ धन भी साथ लेते जायें। वह जमींदार उस घर में गये तो मजदूर की पत्नी घर पर थी। जमींदार ने उसे अपना परिचय दिया तथा कहा कि यह एक महीने का राशन और पैसा रख लो जिससे तुम्हें आने वाले समय की चिंता न रहेगी।

मजदूर की पत्नी हाथ जोड़कर बोली – जमींदार जी! जिस परमात्मा ने हमारे आज के भोजन की व्यवस्था कर दी है वही कल की व्यवस्था भी कर देगा, कृपया आप यह धन अपने पास रख लें, हमें कल की चिंता नहीं है। यह सुनकर जमींदार की आंखे खुल गईं उसने सोचा मैं तो अपने 7वीं पीढ़ी की चिंता कर रहा था लेकिन इन लोगों को तो यह भी नहीं पता कि कल का खाना मिलेगा या नहीं फिर भी इन्हें अपने आने वाले कल की चिंता नहीं है। 

How To Stop Overthinking

भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं – क्यों व्यर्थ चिंता करते हो ? जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। दोस्तों, कल के लिए की जाने वाली चिंता हमारे कल को बदले या ना बदले वह हमारे आज की खुशी को जरूर छीन लेती है। यह एक ऐसी मानसिक बीमारी है जो हमारे जीवन की हर तरह की खुशियां छीन लेती है और जीवन को नीरस बना देती है हम अतीत की घटनाओं की तथा भविष्य की चिंता में रहने के कारण अपने वर्तमान समय का आनंद नहीं उठा पाते। 

 

 

असल में चिंता का वास्तविक अस्तित्व नहीं होता। चिंता एक ऐसा भाव है ऐसा विचार है जो आने वाले भविष्य के डर से पैदा होता है जिन चीजों के ऊपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता, जिनके लिए हम कुछ भी नहीं कर सकते उन चीजों के बारे में बार-बार सोचना ही तो चिंता है। आखिर सोच-सोचकर हम क्या बदल लेंगे ?

लेकिन हां अगर हम उसके लिए कुछ कर रहे हैं तो जरूर कुछ बदलाव ला सकते हैं लेकिन अगर उस चीज या घटना के बारे में हम बार-बार सोचना छोड़ देंगे तो कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला तो क्यों व्यर्थ में सोचते रहें। लोग दो बातों के बारे में सोचते हैं पहली वे घटना जो घट चुकी होती है वे सोचते हैं कि अगर मैं ऐसा कर लेता तो ऐसा हो जाता या फिर यह कि यदि मैं ऐसी गलती न करता तो यह न होता। दूसरी बात कल क्या होगा?

यदि ऐसा हो गया तो मैं क्या करूंगा ? ये दोनों ही बातें निरर्थक हैं कल क्या होने वाला है जब इस बात का हमें पता ही नहीं तो उस घटना के बारे में हम क्यों सोचें? मान लें कि कल आपका इंटरव्यू है। आप आज पूरे दिन यही सोचकर परेशान होते रहेंगे कि कल पता नही क्या होगा इंटरव्यू में क्या पूछा जायेगा, नौकरी मिलेगी या नहीं, नहीं मिली तो क्या होगा।

इन सारी चिंताओं को छोड़कर अपनी तैयारी में मन लगाओ अरे भाई आप अपनी पूरी तैयारी करके पहले इंटरव्यू को फेस तो करो। हो सकता है कि इंटरव्यू बहुत बढिया हो जाये। अक्सर यह देखा गया है कि जब कोई अप्रिय हादसा या घटना जीवन में घट भी जाती है तो वह हमें उतना दुख नहीं देती जितना हम उसके बारे में सोच-सोचकर को दुखी होते रहते हैं घटना तो एक बार घट चुकी होती है लेकिन हम न जाने कितनी बार उसके बारे में ही सोचकर परेशान होते रहते हैं, हमें उसको भूलकर आगे बढ़ जाना है।

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भविष्य का दूसरा नाम है संघर्ष । अगर आज आपके मन में कोई इच्छा है और वो पूरी नहीं होती है तो मन भविष्य की योजनाएं बनाने लग जाता है भविष्य में सारी इच्छाएं पूरी होंगी ऐसा सोचने लग जाता है। लेकिन जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में जीवन तो इस पल का नाम है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन का अनुभव है। हम यह सब बातें जानते हुए भी इस सत्य से अंजान बने रहते हैं या तो हम बीते हुए समय की यादों में खोए रहते हैं या फिर आने वाले समय की योजनाएं बनाते रहते हैं और हमारा जीवन बीतता जाता है।

मात्र एक सत्य हमें अपने अंदर उतार लेना है, कि ना तो हम बीते हुए कल को बदल सकते हैं और न ही आने वाले भविष्य को देख सकते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि घर-परिवार की चिंता तो रहती ही है, तो भाई चिंता को चिंतन में बदलना ही हमारा काम है। एक बात जो हमें पता है लेकिन उस पर ध्यान नहीं देते वो यह है कि तुम्हारे हाथ में केवल वह समय है, जिसे तुम अभी जी रहे हो।

चिंतन करो इस बात का कि कैसे इस समय का अधिक से अधिक सदुपयोग किया जाये। चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदी का ही फर्क है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि चिंता करके परिस्थितियों से हार मान लेनी है या फिर चिंतन करके समस्याओं से मुक्त होने का रास्ता निकालना है। इसीलिए अगर तुम्हारे जीवन में कभी भी उदासी और चिंता का पल आए तो रुकना मत बस लगातार प्रयास करते जाना तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी।

वो राजेश खन्ना का एक डाॅयलाग है ना कि जिंदगी लंबी नहीं बल्कि बड़ी होनी चाहिए। एक बात सोचकर देखो अगर हमें यह पता चल जाये कि आज हमारी जिंदगी का आखिरी दिन है तो भी क्या हम इसी तरह चिंता करेंगे जैसे अब करते आ रहे हैं सोचो कि एक ही झटके में हमारी आधी से ज्यादा चिंतायें खत्म हो जायेंगी हम यही सोचेंगे कि क्यों इतनी टेंशन लें।

How To Stop Overthinking

महापुरूष कहते हैं कि ऐसे जिओ जैसे कि आज का दिन हमारी जिंदगी का आखिरी दिन है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सब कुछ छोड़कर ही बैठ जायें। How to stop overthinking चिंतामुक्त होने के लिए यह बातें हमेशा ध्यान रखें – 

1- जिंदगी नाटक की एक स्टेज है जिसके डायरेक्टर ईश्वर हैं। हर एक को उन्होंने अपना-अपना रोल निभाने के लिए इस संसार में भेजा है। जिसे जैसा किरदार दिया गया है उसे वैसा ही निभाना है।

2 -जिंदगी को ज्यादा गंभीरता से न लें हम तथा आपसे पहले कई आये और चले गये किसी के भी आने या जाने से जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ता ये हमेशा से ही चलती आ रही है और चलती रहेगी।

3- सबसे ज्यादा चिंता हम समाज की करते हैं ये वही समाज है जो खुद ही चिंताग्रस्त है और हमारी कोई सहायता नहीं कर सकता।

4- जब आप असफल होते हैं तो यह समाज ताने देता है और जब आप सब कुछ इग्नोर करके अपना कार्य करते हुये एक दिन सफलता के शीर्ष पर पहुंच जाते हैं तो यही समाज आपकी प्रशंसा करता है।

5 – बच्चों का क्या होगा, परिवार का क्या होगा ये बातें फिजूल हैं। एक चींटी से लेकर धरती के सबसे बड़े प्राणी व्हेल तक के भोजन का प्रबंध वह परमात्मा करता है फिर हमें तो मनुष्य शरीर मिला है और साथ ही विवेक भी ईश्वर ने हमें दिया है क्या उसने हमारे बारे में कुछ नहीं सोच रखा होगा ?

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6- चिंता सताये तो गहरी सांस लें, मेडिटेशन करें, संगीत सुनें या फिर अपनी हाॅबी के अनुसार काम करें।

7- जरूरतमंदों की ज्यादा-से-ज्यादा सहायता करें लेकिन इसका ढिंढोरा ना पीटें आप अपने अंदर एक असीम शांति तथा सुकून का अनुभव करेंगे साथ ही यह आपको डिपै्रशन तथा चिंता से भी दूर करेगा।

8- लगभग सभी धर्माें में यह बात स्वीकार की गयी है कि यह दुनिया और इस दुनिया मेें रहने वाले सभी जीव-जन्तु उस परमात्मा ने बनाये हैं और जो होता है उसी की इच्छा से होता है, तो जब सभी कुछ उसकी इच्छा से हो रहा है तो चिंता कैसी ? क्या हम उस परमात्मा से ज्यादा समझदार हैं?

हम चिंता इसलिए भी करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि अभी हमारे पास बहुत समय है हम बहुत सालों तक जिंदा रहेंगे मरते तो दूसरे लोग हैं मैं तो जीवित रहूंगा इसलिए खुद को याद दिलाते रहिए के ज्यादा चिंता करने से कोई मतलब नहीं है, हो सकता है कि आज का दिन मेरा आखिरी दिन हो।

इस दुनिया में ईश्वर ने जो भी बनाया है वह सब बहुत खूसूरत है अगर हम उसमें अच्छाई नहीं देख पा रहे तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह चीजें खराब है बल्कि उसका मतलब यह है कि अभी तक हम इतने मैच्योर नहीं हुए हैं कि उस चीज में अच्छाई देख सकें।

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दोस्तों हमें इस बात को समझना चाहिए कि जो होगा देखा जाएगा, जो हो चुका उस पर मेरा कंट्रोल नहीं था लेकिन आने वाले समय को मैं बेहतर बना सकता हूं। जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है हमारी खुशी और हम तभी खुश रहेंगे जब हमारे दिल और दिमाग में चिंताओं का बोझ ना हो, इसलिए चिंता छोड़िये सुख से जीवन जीना शुरू कीजिए।

जब भी निराशा घेरे अपने परिवार के साथ बैठें, अपनी परेशानियों को शेयर करें निश्चित ही कोई न कोई हल जरूर निकलेगा। लेकिन जब आप खुद को एक कमरे में बंद कर लेंगे अपनों से कट जायेंगे तो परेशानी का हल तो नहीं, पर हां आप डिपै्रशन का शिकार जरूर हो जायेंगे। जमाना क्या कहेगा इसकी चिंता छोड़ो तुम अपनी मेहनत के दम पर क्या कर सकते हो, ये जमाने को दिखा दो। 

जितने भी महापुरूष दुनिया में अपना नाम कर गये वे सभी अभावों से निकलकर बड़े-बड़े संघर्षाें से निकलकर सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचे हैं। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है अपने आस-पास ही नजर डालें स्वामी विवेकानंद, अब्दुल कलाम, धीरूभाई अंबानी वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, अमिताभ बच्चन आदि के बारे में आप सभी ने सुना है इनके बारे में पढे़गे तो पायेंगे कि हमारे पास तो इनसे कई गुना अधिक सुविधायें हैं।

How To Stop Overthinking

स्वामी विवेकानंद ने छोटी उम्र में ही शिकागो में पहुंचकर विश्व शिखर सम्मेलन में पूरी दुनिया को भारत का परिचय दिया आज भी उनके द्वारा लिखे गये लेख युवाओं का मनोबल बढ़ाते हैं। अब्दुल कलाम ने बचपन से ही अपने पिता के साथ स्टेशन पर अखबार बांटे और आगे चलकर सभी संघर्षाें से निकलकर एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा देश के राष्ट्रपति बने।

आज के युवा परीक्षा में नंबर कम आने पर डिपै्रशन का शिकार हो जाते हैं लगता है कि जिंदगी खत्म हो गई लेकिन धीरूभाई अंबानी ज्यादा पढ़ नहीं सके, पेट्रोल पंप पर नौकरी की और रिलायंस इंडस्ट्री खड़ी कर दी। पी0एम0 मोदी ने बचपन में स्टेशनों पर चाय बेची और आज प्रधानमंत्री के रूप में विश्व पटल पर भारत को एक चमकते हुये सितारे के रूप में स्थापित कर दिया।

महामहिम मुर्मु जो अपने पति, अपने बेटों की मृत्यु के वियोग को सहकर भी एक पार्षद से लेकर आज देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं तो यह चिंता नहीं बल्कि चिंतन से ही संभव हो पाया है। अमिताभ बच्चन कोलकाता की एक छोटी सी कंपनी में काम करते थे यहां तक कि कोयले की खान में भी काम किया आज वे सिनेमा के महानायक कहलाते हैं।

ये तो वो नाम हैं जिनसे हम परिचित हैं देश-विदेश में न जाने ऐसे कितने सफल लोग हैं जो अगर चिंता ही करते रह जाते तो शायद वहां तक नहीं पहुंच पाते जहां पर आज वो हैं। संसार में रोजाना न जाने कितनी अप्रिय घटनायें घटती हैं लेकिन हर रोज एक नया सवेरा नई उम्मीदों तथा आशाओं के साथ होता है।

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रोज-रोज नया सूरज हमें यही शिक्षा प्रदान करता है कि पुरानी घटनाओं का चिंतन न करके आगे बढ़ो चिंतन करो और समस्याओं का हल ढूंढने में पूरी तरह जुट जाआ। स्वामी विवेकानंद कहते हैं उठो, जागो और तब तक प्रयास करते रहो जब तक अपना लक्ष्य प्राप्त न कर लो।

दोस्तों आशा करते हैं कि आपको आज की ज्ञानवर्धक How To Stop Overthinking पोस्ट पसंद आई होगी। कृपया इस जानकारी को अधिक -से -अधिक शेयर करें तथा इसी तरह की अन्य जानकारियों प्राप्त करने के लिए ब्लॉग को सब्सक्राईब कर लें । धन्यवाद, आपका दिन शुभ तथा मंगलमय हो।


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2 thoughts on “How To Stop Overthinking? | चिंता नहीं चिंतन करें”

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