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Christmas : नये साल के स्वागत की तैयारी का त्योहार

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Christmas : नये साल के स्वागत की तैयारी का त्योहार

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Christmas  में आपका हार्दिक अभिनंदन है। दोस्तों, यह एक ऐसा उत्सव है जो पूरे विश्व में एक ही दिन मनाया जाता है तथा इसी के साथ-साथ नये वर्ष के उत्सव की तैयारियां भी शुरू हो जाती है।
इस त्योहार का थीम सॉंग भी है कि ” वी विश यू मैरी क्रिसमस एण्ड हैप्पी न्यू ईयर।”

Christmas

ईसाई धर्म का प्रमुख पर्व क्रिसमस  हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह पर्व भारत समेत पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है। क्रिसमस का पर्व ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज की पोस्ट में हम इस उत्सव की विस्तार से चर्चा  करेंगे। तो आईये, पोस्ट शुरू करते हैं –

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Christmas : क्रिसमस शब्द का अर्थ क्या है?

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न्यू टेस्टामेंट के अनुसार, ईसा मसीह की भविष्यवाणियों के मुताबिक, वह बेथलहम (Bethlehem) में पैदा हुए थे। जब यूसुफ और मरियम (Joseph and Mary) शहर में पहुंचे, तो सराय में कोई जगह नहीं थी और इसलिए उन्हें एक अस्तबल में जगह दिया गया, जहां जल्द ही क्राइस्ट चाइल्ड (Christ Child) का जन्म हुआ।

स्वर्गदूतों ने चरवाहों को इस खबर की घोषणा की, जिन्होंने तब ‘क्रिसमस’ शब्द का प्रसार किया (Christmas)। कैथोलिक इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति “क्रिस्टेस मेसे” वाक्यांश से हुई है, जिसे पहली बार 1038 में दर्ज किया गया था, जिसका अर्थ है ईसा मसीह का मास या क्राइस्ट का मास ।

क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?

ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार प्रभु यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, जिसकी वजह से इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है। यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर हुआ था। मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था। इस सपने में उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी।

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इस सपने के बाद मरियम गर्भवती हुईं और गर्भावस्था के दौरान उनको बेथलहम में रहना पड़ा। ऐसी मान्यता है कि एक दिन जब रात हो गई, तो मरियम को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं दिखी। ऐसे में उन्होंने एक ऐसी जगह पर रुकना पड़ा जहां पर लोग पशुपालन किया करते थे। वहीं  पर 25 दिसंबर को मरियम ने यीशु मसीह को जन्म दिया। Christmas

यीशु मसीह के जन्म स्थल से कुछ दूरी पर कुछ चरवाहे भेड़ चरा रहे थे। कहा जाता है कि भगवान स्वयं देवदूत का रूप धारण कर वहां आए और उन्होंने चरवाहों से कहा कि इस नगर में एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है ये स्वयं भगवान ईसा हैं। देवदूत की बात पर यकीन करके चरवाहे उस बच्चे को देखने गए।

देखते ही देखते बच्चे को देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी। लोगों का मानना था कि यीशु ईश्वर का पुत्र है और ये कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया है। मान्यता ये भी है कि प्रभु यीशु मसीह ने ही ईसाई धर्म की स्थापना की थी। यही वजह है कि 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

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कैसे मनाते हैं उत्सव

• क्रिसमस के दिन लोग अपने घरों को सुंदर तरीके सजाते हैं और क्रिसमस ट्री लगाते हैं।

• लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं और कैंडल जलाते हैं।

• कई तरह के व्यंजन बनाकर केक काटकर पार्टी करते हैं ।

• इस दिन बच्चों को चॉकलेट्स और गिफ्ट्स मिलते हैं।

• छोटे बच्चों को इस दिन अपने सांता क्लॉज का इंतजार रहता है।

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क्रिसमस गिफ्ट्स का लाल मोजों से क्या है कनेक्शन-

एक मान्यता के अनुसार इस दिन बच्चे सांता क्लॉस से जो गिफ्ट चाहते हैं अपनी उस विश लिस्ट को 24 दिसंबर की रात कोएक लाल रंग के जुराब में डालकर,उसे अपने पास रखकर सो जाते हैं। बच्चे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि सांता उनकी विश लिस्ट पढ़कर उनके पसंदीदा गिफ्ट उनकी लाल जुराब में रख जाए।

तुर्की से शुरू हुई यह परंपरा

सांता क्‍लॉज के बच्चों को गिफ्ट देने का यह चलन चौथी शताब्‍दी से शुरू हुआ था। तुर्की की एक जगह मायरा में सेंट निकोलस नाम का बेहद अमीर व्‍यक्ति रहता है। निकोलस अमीर होने के साथ बेहद  दयालु व्यक्ति भी था। वह लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहता था साथ ही जरूरतमंद लोगों के आत्मविश्वास को ठेस ना पहुंचे इसलिए वो उनकी मदद छिपकर किया करता था। Christmas

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दरअसल, एक बार एक गरीब व्‍यक्ति के बारे में निकोलस को पता चला। जिसकी तीन बेटियां थीं। गरीब व्यक्ति अपनी बेटियों की शादी को लेकर बेहद चिंता में रहता था क्योंकि उनकी शादी के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। जब निकोलस को यह बात पता चली तो वो उस व्यक्ति की मदद करने के लिए रात को लाल मोजे में छिपाकर ढेर सारे पैसे उस गरीब के घर की चिमनी से नीचे डाल देता था।

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निकोलस ने उस गरीब व्यक्ति को इस तरह कई बार मदद की, एक दिन गरीब व्यक्ति ने निकोलस को ऐसा करते हुए देखा लिया। जिस पर निकोलस ने उस गरीब व्यक्ति को यह बात किसी दूसरे व्यक्ति से कहने के लिए मना किया। लेकिन धीरे-धीरे यह बात पूरे कस्‍बे में फैल गई। उसी समय से लोग क्रिसमस पर सेंट निकोलस के नाम पर ही सांता क्‍लॉज के नाम से एक दूसरे को छिपकर मदद करने और लाल मोजे में गिफ्ट लपेटकर देने लगे।

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इन रूपों में सांता देते हैं बच्चों को गिफ्ट

बच्चों को सांता निम्न रूपों में उपहार देते हैं‌‌ –

• सांता क्लॉज (Santa Claus)

• फादर क्रिसमस (Father Christmas)

• सेंट निकोलस (Saint Nicholas)

 इस प्रकार क्राइस्टकिंड (Christkind) के रूप में खास व्यक्तियों द्वारा क्रिसमस के दौरान बच्चों को गिफ्ट देने की परंपरा है।

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॥ इति ॥

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